
Chaitra Purnima 2025: जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पौराणिक महत्व!
Chaitra Purnima 2025: भारत देश एक ऐसा देश है, जहां हर दिन कोई ना कोई पर्व होता है। आने वाली पूर्णिमा तिथि बहुत ही खास होने वाली है, क्योंकि इस दिन “बुद्ध पूर्णिमा” के साथ-साथ “चित्रा पूर्णिमा” मनाई जाएगी।
चित्रा पूर्णिमा कब है?
चित्रा पूर्णिमा चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। ज्यादातर यह पर्व अप्रैल या मैं के महीने में ही मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इस त्यौहार की काफी मानता है, विशेष रूप से तमिलनाडु और केरल में यह पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
2025 में चित्र पूर्णिमा 12 में को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 मई 2025 को 8:01 से शुरू होगी, और इसका समापन अगले दिन, यानी 12 मई 10:25 pm पर होगा।
शुभ मुहूर्त
- चित्रा पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त की शुरुआत सुबह 4 मिनट से होगी, और 4:46 तक रहेगी।
- प्रात संध्या मुहूर्त की बात कर तो यह सुबह 4:25 से 5:28 तक रहेगा।
- अभिजीत मुहूर्त 11:46 से दोपहर 12:40 तक रहेगा।
- विजय मुहूर्त दोपहर 2:28 से 3:22 तक रहेगा।
- गोधूलि मुहूर्त शाम 6:57 मिनट से 7:18 तक रहेगा।
- अमित कल का समय 11:18 से 1:05 यानी 13 में तक रहेगा।
- निशिता मुहूर्त की बात कर तो 11:52 मिनट से 12:34 तक रहेगा।
- अंत में रवि योग ग की बात कर तो, 5:28 से 6:17 तक रहेगा।
चित्रा पूर्णिमा का महत्व
तमिलनाडु और केरल में चित्रा पूर्णिमा का महत्व काफी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन चित्रगुप्त का जन्म हुआ था। आपको बता दे की, यह वही चित्रगुप्त है जिनको मृत्यु के देवता यमदेव का सहायक माना जाता है। चित्रगुप्त के जन्म के कारण इस दिन को चित्रा पूर्णिमा कहां गया है। कई लोग इन्हें यमराज के छोटे भाई भी मानते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब व्यक्ति मृत्यु के बाद अपनी आत्मा को यमराज को सौंप देती है, तब वहां पहले से ही चित्रगुप्त उनके कर्मों का लेखा-जोखा यमराज के आगे प्रस्तुत करते हैं। अगर व्यक्ति के गम अच्छे होते हैं तो उसे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति दे दी जाती है, अन्यथा बुरे कर्म होने पर उसे नर्क में भेज दिया जाता है।
- जो भी व्यक्ति चित्रा पूर्णिमा पर्व पर श्रद्धा के साथ चित्रगुप्त की पूजा करता है तो, उसे व्यक्ति की कुंडली में विराजमान केतु दोष की समाप्ति हो जाती है।
- दक्षिण भारत के कांचीपुरम स्थित जगह में भगवान चित्रगुप्त का एक भव्य मंदिर भी है, इस दिन सभी भक्त जान उनके दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं।
- मान्यता है कि, जो भी व्यक्ति इस पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान करता है तो उसके सभी पापों का नाश होता है।
- कई महिलाएं और पुरुष इस पूर्णिमा पर चित्रगुप्त देव के नाम का व्रत भी रखते हैं, इस व्रत को तमिल में विरथम कहा जाता है।
- जो भी व्यक्ति इस दिन दान पूर्ण का काम करता है, और जरूरतमंद लोगों को भोजन करता है, तो उसे व्यक्ति के बुरे कर्म दूर हो जाते हैं।
पूजा विधि
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- अपने घर और पूजा स्थल की सफाई करके गंगाजल जरूर छिड़के।
- लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाए, और सत्यनारायण भगवान, चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान को पंचामृत, पान, तिल, रोली ,कुमकुम और फल फूल आदि अर्पित करें।
- भगवान को भोग लगाकर, उनके मित्रों का जाप करें।
- अंत में आरती करके, भगवान से क्षमा याचना करें।
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