
मासिक धर्म: वैज्ञानिक दृष्टिकोण, सामाजिक भ्रांतियां और सही समझ
मासिक धर्म : महिलाएं हर महीने पीरियड्स या मासिक धर्म से गुजरती है। ऐसे में महिलाओं को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, और कई सारी सावधानियां भी बरतनी पड़ती है। पीरियड्स के दौरान पेट में, कमर में और पैरों में दर्द होना सामान्य बात है। लेकिन किसी-किसी महिलाओं को यह दर्द ज़रूरत से ज्यादा होने लगता है, ऐसे में चले जानते हैं, दर्द को कम करने के कुछ उपाय।
पीरियड्स क्या होते हैं?
पीरियड्स जिसे हम मासिक धर्म भी कहते हैं, यह महिलाओं के शरीर में होने वाला एक नेचुरल साइकिल है। जब महिलाओं के गर्भाशय के अंदर से रक्त और उजक योनि के जरिए शरीर से बाहर निकलता है, तो इस प्रक्रिया को मासिक धर्म का नाम दिया गया है। मासिक धर्म की अवस्था एक ऐसा संदेश है ,जिसके जरिए यह पता है लगाया जा सकता है, की महिला स्वस्थ है। अगर किसी महिला की पीरियड साइकिल असंतुलित हो जाती है इसका मतलब यह होता है कि, महिला के हार्मोन में दिक्कतें हैं।
मासिक धर्म की कुछ जरूरी बातें
- पीरियड्स के दौरान शरीर के कई हार्मोंस में बदलाव होना शुरू हो जाता है, जिसके कारण महिलाओं को मूड स्विंग जैसी समस्याएं होने लगते हैं।
- मासिक धर्म की अवधि हर महिला की अलग-अलग होती है। मासिक धर्म के दौरान सारी महिलाएं एक जैसा अनुभव नहीं करती है, अर्थात सभी महिलाओं का अनुभव अलग-अलग होता है।
- पीरियड्स के दौरान महिलाओं में कई दिक्कत होने लगती है, जैसे कि उनको जल्दी थकान होने लगता है, उनका सर दर्द होने लगता है, उनके पेट में ऐंठन महसूस होने लगती है, उनकी त्वचा में मुंहासे आ सकते हैं और स्थन भी सूज सकते हैं।
- मासिक धर्म के दौरान, शरीर संभावित गर्भावस्था के लिए तैयार होता है।
- अगर किसी महिला को पीरियड्स नहीं आ रहे इसका अर्थ है कि वह गर्भवती है। इसके अलावा हार्मोन इंबैलेंस भी कारण हो सकता है।
पीरियड्स में दर्द का कारण
मासिक धर्म के दौरान एक महिलाओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं को पेट में क्रमस आने लगता है, उनके पैरों में और कमर के एरिया में दर्द होना शुरू हो जाता है। चलिए जानते हैं ऐसा क्यों होता है।
पीरियड्स के दौरान शरीर में दर्द तब होता है जब गर्भ की मांसपेशियों की दीवार सख्त हो जाती है। खून का प्रभाव लगातार गर्भाशय से गुजरता है, हालांकि ये इतने हल्के होते हैं कि ,ज्यादातर महिलाएं इसे महसूस नहीं कर पाती। लेकिन कुछ ऐसी महिला भी है जिनको जरूरत से ज्यादा दर्द होने लगता है।
जब महिला की बॉडी अपनी योनि के सहारे रसायन को बाहर निकलने लगती है , तो दूसरे रसायनों का भी उत्पादन होने लगता है, इस कारण गर्भाशय की मांसपेशियां जरूरत से ज्यादा सिकुड़ जाती है जिस कारण शरीर में दर्द और बढ़ जाता है।
कुछ महिलाओं को जरूर से ज्यादा दर्द क्यों होता है?
मासिक धर्म के दौरान कई महिलाएं ऐसी है जिनको इतना दर्द होता है , कि वह दर्द को सहन तक नहीं कर पाती हैं। डॉक्टर कभी-कभी इस तिथि को सेकेंडरी डिसमैनरिया कहते हैं। जिन महिलाओं की उम्र 30 से 45 साल की होती है वही इस से सबसे ज्यादा प्रभावित होती है।
क्या मासिक धर्म अशुद्धता की पहचान है?
कई लोगों का मानना है की मासिक धर्म होना एक अशुद्धता की निशानी है। प्राचीन काल में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान ना ही रसोई में प्रवेश करने दिया जाता था ,और ना ही मंदिर जैसे पवित्र स्थान पर। मासिक धर्म में महिलाओं को एक ही जगह बैठने की सलाह दी जाती थी और लोग उसे महिला को छूट भी नहीं थे। प्राचीन काल में इन सब चीजों के परहेज के पीछे एक बहुत ही अच्छा और सुंदर कारण था, लेकिन आजकल उसे कारण को अशुद्धता की बना दिया गया है।
हिंदू धर्म में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को मंदिर रसोई और कई अन्य स्थानों पर जाने से रोका जाता है। कुछ लोगों की पिछड़ी हुई सोच ने महिलाओं के इस समय को अशुद्ध और अछूत का प्रतीक मान लिया है।
साइंटिफिक रीज़न
- पुराने समय में महिलाओं को न हीं रसोई में प्रवेश करने की आज्ञा थी और ना ही मंदिरों में , और इसके साथ कई अन्य स्थानों पर भी महिलाओं को न जाने की नसीहत दी जाती थी। लेकिन उसके पीछे यह कारण बिल्कुल नहीं था कि महिलाएं इस समय अछूती होती है , बल्कि इसका करण यह है कि, पीरियड्स के समय महिलाओं के शरीर में हारमोंस बढ़ते हैं और कम होते हैं। महिला के शरीर में हारमोंस निकलने लगते हैं, इसी कारण महिलाएं चिड़चिड़ी हो जाती हैं, ऐसे में पुराने समय में महिलाओं को अकेले रहने दिया जाता है ,क्योंकि वह और लोगों के कारण ज्यादा गुस्सा कर सकती हैं।
- रसोई और मंदिर में न घुसने का कारण: महिलाओं को मंदिर और रसोई घर में इसीलिए नहीं घुसने दिया जाता था क्योंकि, महिलाओं के शरीर से कई प्रकार के हार्मोन रिलीज होते हैं, और इसके अलावा पुराने समय में महिलाओं के पास अपना ब्लड फ्लो कंट्रोल करने के लिए ना ही पेट्स होते थे और ना ही उनके पास इतने कपड़े होते थे कि वह उपयोग कर पाए। इस कारण उनको एक कमरे में छोड़ दिया जाता है, ताकि उनके शरीर का खून हर जगह न फेल पाए।
- तीसरा कारण: मासिक धर्म के समय महिलाओं के शरीर में हारमोंस रिलीज होने के कारण और दर्द के कारण उनको एक जगह बैठने के लिए कहा जाता था ताकि वह ज्यादा काम ना करें और सिर्फ आराम करे।
मंदिर में क्यों नहीं जा सकते?
हम सभी को पता है कि मंदिर एक पॉजिटिव जगह है। मंदिर की ऊर्जा काफी ज्यादा होती है, वहीं दूसरी तरफ महिला के शरीर में अनेक प्रकार के हारमोंस रिलीज होने के कारण उनकी भी ऊर्जा काफी ज्यादा होती है और साथ ही वह बहुत ज्यादा नेगेटिव फील करती हैं इसी कारण उनको मंदिर में प्रवेश न करने के लिए कहा जाता है।
मां कामाख्या का मंदिर
अगर मासिक धर्म की अवस्था बहुत ज्यादा अछूती और अशुद्ध होती है, तो मां कामाख्या की पूजा क्यों होती है?
आपको बता दे माता कामाख्या के मंदिर में मासिक धर्म के खून के साथ पूजा की जाती है। जहां कहीं ढोंगी पंडित और बाबा मासिक धर्म में महिलाओं को छूने से भी डरते हैं, वहीं दूसरी और मां कामाख्या के मंदिर में महिलाएं अपने पीरियड्स के समय जाती हैं और साथ ही अपना मासिक खून मां को चढ़ाते हैं।
यह भी पढ़े
Cholesterol Se Bachaav: बढ़ते कोलेस्ट्रॉल से बचाव जानें लक्षण, कारण और घरेलू उपाय
1 thought on “मासिक धर्म: वैज्ञानिक दृष्टिकोण, सामाजिक भ्रांतियां और सही समझ”