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अमेरिका से 104 भारतीयों की वापसी: हाथों में हथकड़ियां, पैरों में बेड़ियां, दर्द भरी आपबीती

अमेरिका से 104 भारतीयों की वापसी: हाथों में हथकड़ियां, पैरों में बेड़ियां, दर्द भरी आपबीती

अमेरिका से 104 भारतीयों की वापसी: हाथों में हथकड़ियां, पैरों में बेड़ियां, दर्द भरी आपबीती

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अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले 104 भारतीयों को बुधवार को अमृतसर हवाई अड्डे पर उतारा गया। इनमें से कई लोगों ने अपनी दर्दनाक यात्रा और अमेरिकी अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई की आपबीती साझा की।

हथकड़ी और बेड़ियों में कैद भारतीय प्रवासी

पंजाब के गुरदासपुर जिले के रहने वाले 36 वर्षीय जसपाल सिंह ने बताया कि उन्हें अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने 24 जनवरी को गिरफ्तार किया था। उन्होंने कहा, “पूरी यात्रा के दौरान हमें हथकड़ी और बेड़ियों में रखा गया था। इन्हें सिर्फ अमृतसर हवाई अड्डे पर ही खोला गया।”

बुधवार को अमेरिका से रवाना हुई सैन्य विमान में हरियाणा, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ के लोग शामिल थे। इनमें 19 महिलाएं और 13 नाबालिग भी थे, जिनमें एक चार वर्षीय बच्चा और पांच व सात साल की दो बच्चियां थीं।

अवैध प्रवासियों की भयावह यात्रा

हरविंदर सिंह, जो पंजाब के होशियारपुर जिले के ताहली गांव से हैं, ने बताया कि उन्होंने अगस्त 2024 में अमेरिका जाने के लिए यात्रा शुरू की थी। वह कतर, ब्राज़ील, पेरू, कोलंबिया, पनामा, निकारागुआ और मैक्सिको होते हुए अमेरिका पहुंचे थे। उन्होंने कहा, “हमने पहाड़ों को पार किया, समुद्र के रास्ते गए, और कई बार हमारी नाव डूबने की कगार पर थी।”

उन्होंने बताया कि पनामा के जंगल में एक व्यक्ति की मौत होते देखी, जबकि समुद्र में एक अन्य व्यक्ति डूब गया। हरविंदर ने यह भी बताया कि एजेंट ने उन्हें यूरोप के रास्ते अमेरिका पहुँचाने का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में उन्हें लैटिन अमेरिका के खतरनाक रास्ते पर ले जाया गया।

उन्होंने अपनी यात्रा पर करीब ₹42 लाख खर्च किए, लेकिन अंत में उन्हें अमेरिका से वापस भेज दिया गया।

‘डोंकी रूट’ से अमेरिका पहुंचने का खौफनाक सफर

एक अन्य प्रवासी ने बताया कि वह ‘डोंकी रूट’ से अमेरिका पहुंचे थे। यह एक अवैध मार्ग है, जिसमें लोग जंगलों, नदियों और समुद्र को पार करते हैं। उन्होंने बताया कि इस यात्रा के दौरान उनके कपड़े, जिनकी कीमत ₹30,000-35,000 थी, चोरी हो गए

उन्होंने कहा, “हमें पहले इटली ले जाया गया, फिर लैटिन अमेरिका के कई देशों से होते हुए अमेरिका तक पहुँचाया गया। इस दौरान हमें 15 घंटे नाव में बिताने पड़े और फिर 40-45 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।”

उन्होंने आगे कहा कि, “हमने 17-18 पहाड़ पार किए। अगर कोई गिर जाता तो बचने का कोई मौका नहीं था। हमने कई लाशें देखीं। अगर कोई घायल हो जाता, तो उसे वहीं मरने के लिए छोड़ दिया जाता।”

ट्रंप प्रशासन की सख्ती के चलते पहली बड़ी कार्रवाई

अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है। यह डिपोर्टेशन अमेरिकी प्रशासन की अवैध प्रवासियों पर सख्ती का पहला बड़ा कदम माना जा रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई और बढ़ सकती है। अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय को भी अब ज्यादा सतर्क रहना होगा।

डिपोर्ट हुए लोगों का भविष्य क्या होगा?

अमेरिका से निकाले गए लोगों के सामने अब भारत में एक नई चुनौती है। इनमें से कई लोगों ने अपनी जमीन और संपत्ति बेचकर लाखों रुपये खर्च किए थे। अब उनके सामने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने की बड़ी चुनौती है।

स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने इन प्रवासियों को उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की। हालांकि, अब यह देखना होगा कि ये लोग भारत में कैसे अपने जीवन को फिर से पटरी पर लाते हैं।

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