
Water Fasting केरल के कन्नूर जिले से एक खबर आई है कि 19 साल की एक लड़की ने ऑनलाइन पोर्टल से प्रभावित होकर वजन कम करने के लिए फास्टिंग शुरू की और वह वाटर फास्टिंग कर रही थी। तकरीबन 1 साल से ठीक से भोजन नहीं कर रही थी जिस कारण उसे ईटिंग डिसऑर्डर एनोरेक्सिया नर्वोसा हो गया। इस बीमारी के कारण उसका शरीर बहुत कमजोर हो गया था और शरीर के अंदर कई ऑर्गन्स भी खराब हो गए जिस कारण अस्पताल में इलाज करवाने के बावजूद उसकी मौत हो गई। हालांकि फास्टिंग वजन कम करने के लिए एक अच्छी प्रक्रिया है जिससे प्राचीन काल से देश और दुनिया के लोग अपना रहे हैं। लेकिन उपवास ठीक से ना किया जाए तो वह आपके लिए हानिकारक भी हो सकता है। वाटर फास्टिंग के दौरान हुई इस युवती की मौत इस ओर इशारा करती है कि हमें किसी भी तरह का उपवास बेहद सोच समझ कर रखना चाहिए। आज जानेंगे वाटर फास्टिंग क्या है ? यह कैसे काम करता है और यह कब खतरनाक हो सकता है?
क्या है Water Fasting?
वाटर फास्टिंग एक खास तरह का उपवास है जिसमें व्यक्ति किसी भी तरह का भोजन नहीं ग्रहण करता केवल पानी पीता है और लोग इसे वजन कम करने के लिए, बॉडी डिटॉक्स करने के लिए या किसी स्वास्थ्य समस्या से छुटकारा पाने के लिए अपनाते हैं। हालांकि कुछ लोग इसे आध्यात्मिक या धार्मिक कर्म से भी अपनाते हैं। सामान्यत: इसे 24 से 72 घंटे तक ही किया जाता है लेकिन यदि इससे ज्यादा समय तक वाटर फास्टिंग आप कर रहे हैं तो पहले डॉक्टर की सलाह ले क्योंकि इससे शरीर कमजोर हो सकता है।
Water Fasting से ऑटोफेजी होती है
वाटर फास्टिंग करने से शरीर में एक प्रक्रिया जन्म लेती है जिस ऑटोफेज़ी कहा जाता है। इस प्रक्रिया से शरीर में सबसे स्वस्थ कोशिकाएं ही रह जाती है और हम पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के दौरान भी उपयोग में लाया जाता है। आपको बता दे वाटर फास्टिंग के दौरान भोजन का हर तरह से त्याग कर दिया जाता है और केवल पानी पिया जाता है।
Water Fasting के लाभ
वाटर फास्टिंग सबसे ज्यादा बॉडी डिटॉक्स करने में सहायता करता है। पाचन से संबंधित सभी अंगों को आराम करने का अवसर देता है। इसके अतिरिक्त ये वेट लॉस में भी सहायक होता है। अगर इसे ठीक तरह से किया जाए तो शरीर को सेल रिपेयरिंग का मौका मिलता है। इसके अतिरिक्त ये हार्ट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है। वाटर फास्टिंग करने से वजन नियंत्रित रहता है, पाचन तंत्र में सुधार होता है, ब्लड शुगर भी कंट्रोल रहता है, ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है, बेड कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है, इन्फ्लेमेशन कम होता है, ब्रेन फंक्शनिंग अच्छी हो जाती है, तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है।
Water Fasting करने का सही तरीका क्या है?
डॉ अंजलि तिवारी का कहना है कि वाटर फास्टिंग का अर्थ है कि उपवास के समय से पानी पीना। न इस दौरान कोई भी एनर्जी देने वाली चीज खा सकते और ना ही पी सकते हैं। इसे सही तरीके से किया जाए तो यह बेहद लाभकारी होता है। लेकिन अगर गलत तरीके से किया जाए तो कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। इसलिए वाटर फास्टिंग से पहले सावधानियां बरतनी चाहिए। वाटर फास्टिंग के लिए आपको धीरे-धीरे भोजन कम करना होगा। हाइड्रेट रहना होगा और मानसिक रूप से इसके लिए तैयार रहना होगा। वाटर फास्टिंग करने से पहले छोटे फास्ट रखना शुरू करें। डॉक्टर से कंसल्ट करें की क्या आपका शरीर 72 घंटे से अधिक वाटर फास्टिंग के लिए तैयार है या नहीं। वाटर फास्टिंग के दौरान पर्याप्त मात्रा में ही पानी पिए अधिक पानी न पिए और आराम करें। वाटर फास्टिंग खत्म होने के बाद हल्की-हल्की डाइट ले अचानक से ही भारी खाना ना खाएं। धीरे-धीरे रेगुलर डाइट पर लौटे।
Water Fasting से संबंधित खास जानकारी
वाटर फास्टिंग के दौरान दिन भर में 2 से 3 लीटर पानी ही पिए। जरूरत से ज्यादा पानी पीने से इलेक्ट्रोलाइट और असंतुलित हो सकता है। वाटर फास्टिंग के दौरान आप हल्की-फुल्की एक्सरसाइज भी कर सकते हैं। जिसमें योग या स्ट्रेचिंग शामिल है। हालांकि इंटेंस एक्सरसाइज से बचना चाहिए क्योंकि उपवास के दौरान शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है।
किन लोगों को Water Fasting नहीं करनी चाहिए
वाटर फास्टिंग करना हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं माना गया है क्योंकि इससे कुछ लोगों को नुकसान हो सकता है आईए जानते हैं किन लोगों को वाटर फास्टिंग से बचना चाहिए
कमजोर लोग या जिनका वजन बहुत कम है।
- दिल के मरीज।
- डायबिटीज के पेशेंट।
- जिन्हें अक्सर माइग्रेन की समस्या होती है।
- नियमित रूप से दवा लेने वाला व्यक्ति।
- प्रेग्नेंट महिलाएं।
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