Maldives president visit to India को लेकर कुछ बड़े मुद्दे सामने आ रहे है, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भारत यात्रा में आर्थिक और व्यापारिक सहयोग पर जोर दिया गया, लेकिन सुरक्षा मुद्दों पर चुप्पी और चीन के प्रति उनका झुकाव भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
परिचय:-
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू वर्तमान में भारत के आधिकारिक दौरे पर हैं। वह रविवार शाम को 50 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। राष्ट्रपति भवन में मुइज्जू का गर्मजोशी से अभिवादन हुआ और भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन भी किया। भारत, इस यात्रा को दोनों देशों के बीच आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करने के अवसर के रूप में देख रहा है। लेकिन, मुइज्जू के प्राथमिकता वाले विषयों में सुरक्षा पर चर्चा नहीं होना यह दर्शाता है कि वह अभी भी चीन के प्रति अपने रुख में झुकाव रखते हैं।
Maldives president visit to India: मुइज्जू की यात्रा में सुरक्षा का जिक्र नहीं
मुइज्जू के दौरे पर जारी किए गए संयुक्त बयान में विकास, व्यापार, और आर्थिक सहयोग जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की गई। इसमें डिजिटल और वित्तीय सेवाओं, ऊर्जा क्षेत्र की परियोजनाओं, और अन्य महत्वपूर्ण साझेदारियों पर विचार किया गया। लेकिन, सबसे खास बात यह रही कि इस बयान में सुरक्षा मुद्दों पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। मुइज्जू का यह रुख उनके चुनाव पूर्व किए गए भारत विरोधी बयानों और मालदीव से भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने के निर्णय के अनुरूप है। यह संकेत भी स्पष्ट है कि मुइज्जू अपने देश की सुरक्षा प्राथमिकताओं में भारत को शामिल करने से बच रहे हैं, हालांकि चीन के प्रति उनका रवैया अलग है।
चीन के साथ मजबूत होते संबंध
मोहम्मद मुइज्जू ने मार्च में चीन की यात्रा के दौरान बीजिंग के साथ एक सुरक्षा समझौता किया था, जिसके तहत मालदीव को चीन द्वारा मुफ्त सैन्य सहायता प्रदान की जाएगी। मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा था कि इस समझौते से द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे। इस समझौते में मालदीव को चीन से गैर-घातक सैन्य उपकरण और प्रशिक्षण मिलने की बात की गई है, लेकिन अन्य विवरणों को सार्वजनिक नहीं किया गया। मुइज्जू ने चीन के साथ जो सुरक्षा संबंध विकसित किए हैं, उन्हें लेकर भारत गंभीर चिंताएं जता सकता है, क्योंकि यह समझौता चीन को हिंद महासागर क्षेत्र में अधिक प्रभावी बना सकता है। भारत इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति को लंबे समय से एक चुनौती मानता रहा है।
Maldives president visit to India: मालदीव में पाकिस्तान और चीन का बढ़ता प्रभाव
भारतीय खुफिया एजेंसियां मानती हैं कि चीन और पाकिस्तान के बीच करीबी रिश्ते भारत को कमजोर करने की एक रणनीति के तहत विकसित हो रहे हैं। पाकिस्तान और चीन दोनों ही मालदीव में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। इस्लामी कट्टरपंथ के कुछ तत्वों ने भी मालदीव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। यहां तक कि मालदीव की छोटी जनसंख्या में से कुछ लोग अफगानिस्तान में ओसामा बिन लादेन के समर्थन में लड़ने तक गए थे। हालांकि, ऐसे लोगों की संख्या कम हो चुकी है, लेकिन मालदीव में चीन और पाकिस्तान समर्थक लोगों की कमी नहीं है। ये तत्व भारत के खिलाफ रणनीतियों में सक्रिय रूप से शामिल हो सकते हैं और इसका इस्तेमाल चीन और पाकिस्तान अपने लाभ के लिए कर सकते हैं।
पाकिस्तानी बैंक का मालदीव में प्रभाव
पाकिस्तान का सबसे बड़ा बैंक, हबीब बैंक लिमिटेड (HBL), भी कई वर्षों से मालदीव में सक्रिय है। हबीब बैंक का इतिहास विवादों से घिरा हुआ है। 2016 में अमेरिकी अधिकारियों ने इस बैंक पर अवैध लेन-देन के आरोपों की पुष्टि की थी, जिसके कारण इस पर भारी जुर्माना लगाया गया था। न्यूयॉर्क में इसका परिचालन बंद कर दिया गया है, और इस पर आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता पहुंचाने के आरोप भी लगे हैं। यह बैंक मालदीव में पाकिस्तान की उपस्थिति को मजबूती प्रदान कर सकता है, और इसे भारत के खिलाफ पाकिस्तानी रणनीतियों का हिस्सा माना जा सकता है।
Maldives president visit to India: मुइज्जू की भारत यात्रा की असलियत
मोहम्मद मुइज्जू की यह तीसरी भारत यात्रा है, और इसे ऐसे समय पर किया गया है जब उनके देश की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में है। अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने हाल ही में मालदीव की रेटिंग घटा दी है, जिससे “डिफॉल्ट जोखिम” की चेतावनी दी गई है। मुइज्जू ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान भारत के प्रति कड़ा रुख अपनाया था, लेकिन अब वे आर्थिक स्थितियों के चलते भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने पर मजबूर हैं। इसके बावजूद, मुइज्जू का चीन के प्रति झुकाव और भारत के साथ सुरक्षा मुद्दों पर उनकी दूरी ने उनकी यात्रा को एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना दिया है।
अंततः मोहम्मद मुइज्जू की भारत यात्रा भले ही व्यापार और आर्थिक सहयोग की दिशा में कुछ प्रगति का संकेत देती हो, लेकिन सुरक्षा मुद्दों पर उनकी चुप्पी इस बात का साफ संकेत है कि वे चीन के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता दे रहे हैं। भारत, मालदीव के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर उसकी चिंताएं भी गहरी होती जा रही हैं।
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