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बाल वैज्ञानिकों ने राम मंदिर और सफारी के बनाए मॉडल, विज्ञान मेला बना आकर्षण का केंद्र
इटावा में आयोजित दो दिवसीय विज्ञान मेला मंगलवार को संपन्न हुआ, जिसमें करीब पांच हजार बाल वैज्ञानिकों ने अपनी प्रतिभा और विज्ञान के प्रति जुनून का परिचय दिया। इस मेले में बच्चों ने विभिन्न प्रकार के विज्ञान परियोजनाओं को प्रदर्शित किया, जिनमें राम मंदिर और सफारी पार्क के मॉडल प्रमुख आकर्षण बने। इन मॉडल्स को बच्चों ने बेहद मेहनत और रचनात्मकता से तैयार किया, जो विज्ञान की बुनियादी समझ के साथ-साथ उनके देश प्रेम को भी दर्शाता है।
विज्ञान मेले में बाल वैज्ञानिकों का अद्भुत प्रदर्शन
इस विज्ञान मेले का आयोजन इटावा में किया गया था, जहां विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने अपनी परियोजनाओं को प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में सरकारी और निजी स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया, जो अपने-अपने विचार और दृष्टिकोण से विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहे थे। राम मंदिर और सफारी पार्क के मॉडल्स ने सभी का ध्यान आकर्षित किया और इन्हें बनाने वाली टीमों को विशेष सराहना मिली।
राम मंदिर का मॉडल बनाने वाली टीम में एक मुस्लिम छात्रा, अलीसा भी शामिल थी, जिन्होंने यह मॉडल न केवल अद्भुत रूप से तैयार किया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि विज्ञान और कला से कोई भी भेदभाव नहीं होता। अलीसा की यह पहल समाज में एकता और सामंजस्य का संदेश देती है, जिससे यह घटना और भी अधिक महत्वपूर्ण बन जाती है।
कार्यक्रम की शुरुआत: सम्मानित अतिथियों का मार्गदर्शन
इस विज्ञान मेले का उद्घाटन मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार सौरभ द्विवेदी, जिलाधिकारी (डीएम) अवनीश राय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) संजय कुमार वर्मा, जिला वन अधिकारी (डीएफओ) अतुल कांत शुक्ला, मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अजय कुमार गौतम, एडीएम अभिनव रंजन श्रीवास्तव, और जिला शिक्षा अधिकारी (डीआईओएस) मनोज कुमार के साथ-साथ संत विवेकानंद सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. आनंद द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में सौरभ द्विवेदी ने बच्चों को अपनी बोली, भाषा और जन्मभूमि से प्यार करने की प्रेरणा दी।
उन्होंने बच्चों को जीवन का मूल मंत्र देते हुए कहा, “चींटी रोज चलती है, यही सिद्धांत आपको जीवन में सफलता की ओर मार्गदर्शन करेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपनी संस्कृति और धरोहर पर गर्व करना चाहिए क्योंकि यही हमें पहचान और दिशा देती है।
विज्ञान मेला: 2500 से अधिक मॉडल प्रदर्शित
विज्ञान मेले में इस बार 2500 से अधिक चलित और अचलित मॉडल प्रदर्शित किए गए थे। इन मॉडलों में न केवल विज्ञान की मूल बातें, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के समुचित उपयोग पर भी फोकस किया गया था। बाल वैज्ञानिकों ने न केवल बुनियादी विज्ञान बल्कि समाज में विज्ञान के योगदान को भी दिखाने की कोशिश की।
राम मंदिर और सफारी पार्क के मॉडल्स के अलावा, बच्चों ने विभिन्न प्रकार के विज्ञान आधारित प्रयोग भी प्रस्तुत किए, जिनसे यह सिद्ध हुआ कि बच्चों में विज्ञान के प्रति गहरी रुचि और समझ है। इन प्रयोगों ने यह साबित किया कि विज्ञान केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन सकता है।
संत विवेकानंद स्कूल का विशेष योगदान
संत विवेकानंद सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. आनंद ने विज्ञान मेले के आयोजन में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में रचनात्मकता और विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाना है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के आयोजनों से बच्चों को न केवल पढ़ाई में बल्कि जीवन में भी सफल होने के लिए जरूरी प्रेरणा मिलती है।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. आनंद ने मुख्य अतिथि को अभिनंदन पत्र भी प्रदान किया और उन्हें विज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया।
किशोरों में विज्ञान की बढ़ती रुचि
इस विज्ञान मेले ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि भारतीय बच्चों में विज्ञान के प्रति गहरी रुचि और समर्पण है। जिस तरह से बाल वैज्ञानिकों ने राम मंदिर और सफारी पार्क जैसे प्रासंगिक विषयों पर मॉडल तैयार किए, उसने यह संदेश दिया कि युवा पीढ़ी न केवल अपने देश की संस्कृति से जुड़ी हुई है, बल्कि उन्हें आधुनिक विज्ञान और तकनीक की गहरी समझ भी है।
इस मेले ने यह दिखाया कि बच्चे केवल किताबों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे समाज के हर पहलू को समझने और उसमें योगदान देने के लिए तैयार हैं। बच्चों का यह प्रयास इस बात का संकेत है कि आने वाला समय विज्ञान के क्षेत्र में और अधिक उन्नति लेकर आएगा, क्योंकि यह युवा वर्ग नए-नए विचारों और तकनीकों के साथ दुनिया को चुनौती देने के लिए तैयार है।
समाप्ति और भविष्य की दिशा
यह कार्यक्रम बाल वैज्ञानिकों को एक मंच प्रदान करने के साथ-साथ उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ावा देता है। अब जब वे अपनी सोच और रचनात्मकता को प्रदर्शित कर चुके हैं, तो यह भविष्य में और भी अधिक वैज्ञानिक परियोजनाओं की प्रेरणा देगा।
इस मेले का समापन बेहद उत्साहजनक था, और सभी ने यह उम्मीद जताई कि भविष्य में ऐसे और कार्यक्रम होंगे, जो बच्चों को अपनी क्षमताओं को और अधिक निखारने का अवसर प्रदान करेंगे। इसके साथ ही, बाल वैज्ञानिकों की यह प्रेरणादायक यात्रा देश के भविष्य के विज्ञान के क्षेत्र में योगदान देने के रास्ते को प्रशस्त करेगी।
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