
Sankashti Chaturthi 2025 संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूरी तरीके से भगवान गणेश जी को समर्पित है। संकष्टी चतुर्थी हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है। माना जाता है कि अगर संकष्टी चतुर्थी मंगलवार के दिन हो तो इससे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी की बहुत मानता है और इस दिन को काफी शुभ माना जाता है। इस साल 18 मार्च को संकष्टी चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाएगा।
Sankashti Chaturthi 2025: कब हुई थी शुरुआत?
इस साल संकष्टी चतुर्थी का त्यौहार 18 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन मंगलवार होने के कारण इसे अंगारकी चतुर्थी या अंगारिका भी कहा जाएगा।
इस त्यौहार को मनाने की प्रथा आज से लगभग 700 ईसा पूर्व मैं परस्पर विरोधी विचारों से संबंधित मुश्किलों का निवारण करने के लिए शुरू हुई थी। इसका अभिषेक महर्षि ने अपने शिष्य ऐश्वर्या को शास्त्रों से उचित कारण बताते हुए बताया है।
Sankashti Chaturthi 2025: महत्व
हर महीने दो बार चतुर्थी व्रत रखा जाता है। बताया जा रहा है कि इस बार चैत्र माह की पहली चतुर्थी तिथि को बालचंद संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।
सनातन धर्म में मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन में जितनी भी बढ़ाया आ रही हैं उनका निवारण होता है, इतना ही नहीं बल्कि इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है और हर तरीके की नकारात्मक चीज और परेशानियां दूर होती हैं।
अगर किसी व्यक्ति को आर्थिक समस्याएं हैं या बहुत ज्यादा कर्ज है या नौकरी में परेशानियां आती हैं तो उसे व्यक्ति को इस व्रत को जरूर करना चाहिए ऐसा करने से उसकी सारी परेशानियों का निवारण होगा। चल जानते इस व्रत का शुभ मुहूर्त।
Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
इस बार संकष्टी चतुर्थी 17 मार्च 2025 सोमवार को मनाई जाएगी लेकिन पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि 17 मार्च को शाम 7:33 पर शुरू होगी और 18 मार्च को रात 10:09 पर समाप्त होगी।इस दिन चंद्रमा का उदय रात 9:22 पर होगा जिस वक्त इस व्रत का समापन भी होगा। 17 मार्च को सोमवार का दिन है जिस दिन आप महादेव और मां पार्वती की पूजा आराधना कर सकते हैं ऐसा करने से आप पर विशेष कृपा होगी। इसी के साथ ही 18 मार्च को मंगलवार है जिस कारण इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाएगा।
Sankashti Chaturthi 2025: बालचंद संकष्टी चतुर्थी व्रत
भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है इस कारण जो भी व्यक्ति इस दिन भगवान गणेश जी का व्रत करता है तो भगवान गणेश जी उनके सारे विष्णु को हर लेते हैं। व्रत रखने वाले व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस देन विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्तियों की सारी परेशानियां खत्म हो जाती है और घर में सुख शांति बनी रहती है, जिन लोगों को नौकरी में समस्या आती है तथा जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं उन लोगों को इस दिन व्रत जरूर रखना चाहिए ऐसा करने से उनकी परेशानियां दूर होती है।
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
- संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठने की मान्यता है।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर कर साफ कपड़े पहने।
- घर की तथा पूजा स्थल की साफ सफाई करें और गंगाजल छिड़क।
- भगवान गणेश जी की मूर्ति को लाल या पीले रंग के कपड़े से स्थान दे।
- इसके बाद भगवान को लड्डू , मोदक फूल और दूर्वा अर्पित करें।
- उसके बाद श्री गणेश जी की पूजा आराधना करें और ध्यान करें।
- फिर गणेश चालीसा और गणपति मित्रों का जब जरुर करें।
- आखिर में गणेश जी की आरती करें।
- रात के समय चंद्र उदय के बाद चंद्रमा को जल अर्पित करें और अपना व्रत खोलें।
Sankashti Chaturthi 2025: सावधान जल्दी से भी यह चीज ना करें!
- अगर आपने संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा है तो इस दिन कुछ चीजों का ध्यान जरूर रखें और इन चीजों को करने से बचे।
- इस दिन किसी से भी झूठ ना बोले।
- इस दिन किसी का अपमान ना करें और साथ ही कोई भी गलत काम भी ना करें।
- अपने घर में तामसिक चीजों को ना लेकर आए और ना ही खुद उपयोग करें।
- अपने घर में इस दिन प्याज लहसुन और मांस मदिरा का सेवन किसी को भी न करने दे और ना ही खुद करें।
- व्रत के दौरान एन का सेवन न करें सिर्फ फलों का सेवन करें।
- व्रत के दौरान किसी के प्रति इशा या गलत सोच अपने मन में ना पाले।
Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार की बात है, जब मां पार्वती ने महादेव को चौपाड़ खेलने की बात कही, महादेव ने पार्वती मां की बात मानी और वह भी तैयार हो गए। जब वह खेलने बैठे तो वहां एक समस्या उत्पन्न हो गई, वह समस्या यह थी कि उन दोनों के अलावा कोई तीसरा व्यक्ति वहां मौजूद नहीं था जो इस बात का चयन कर सके कि कौन विजेता होगा।
मां ने इस सुविधा को सुलझाने के लिए एक लड़के का निर्माण किया। इसके बाद मां ने उसे लड़के की मूर्ति पर जान फूंक दी। मां गौरी ने उस लड़के को आदेश दिया कि तुम चयन करना, हम दोनों में से कौन विजेता होगा। खेल शुरू होने के बाद मां गौरी ने महादेव को हर बार हराया और जीत गई। मां गौरी के जीतने के बावजूद भी उसे लड़के ने महादेव को ही विजेता घोषित किया, ऐसा सुनके मां गौरी अत्यंत क्रोधित हो गई, और उसे लड़के को श्राप दे दिया। ,maa के श्राप के प्रकोप के कारण वह लड़का लंगड़ा हो गया ।
मां के श्राप देने के बाद लड़के ने मां गौरी से क्षमा याचना करी। मां का दिल पिघल गया और मां ने उसे लड़के से कहा कि, मैं यह श्राप वापस नहीं ले सकती किंतु इसका निवारण बता सकती हूं। मां गौरी ने उसे लड़के को उपाय बताते हुए कहा कि अगर संकष्टी के दिन यहां आने वाली कन्याओं से व्रत का विधान पूछ कर अगर तुम विधि विधान पूर्वक इस व्रत को करते हो, तो तुमको इस श्राप से मुक्ति मिल जाएगी। उसे लड़के ने ठीक ऐसा ही किया और संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा आराधना कर व्रत रखा। इसके बाद भगवान गणेश जी ने खुश होकर उसे लड़के के सारे कष्ट को हर लिया।
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