
Bharat Bandh: भारत बंद से जनजीवन प्रभावित, श्रमिक अधिकारों की बहाली को लेकर देशभर में प्रदर्शन
Bharat Bandh: ”Bharat Bandh” के दौरान देश के कई राज्यों में सार्वजनिक सेवाएं प्रभावित रहीं। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने श्रम कानूनों और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। कई जगहों पर रेल-बस सेवाएं रुकीं, दुकानें बंद रहीं और हाईवे जाम हुआ। मजदूरों के अधिकारों की बहाली और श्रमिक समस्याएं आंदोलन का मुख्य केंद्र रहीं।
‘बुधवार’ को भारत के कई राज्यों में ‘Bharat Bandh’ के कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर काफी असर पड़ा। यह बंद 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच द्वारा बुलाया गया है। इस आंदोलन का मकसद केंद्र सरकार की उन नीतियों और श्रम कानूनों का विरोध करना है, जिन्हें यूनियनें मजदूरों के हक के खिलाफ मानती हैं। यूनियनों का कहना है कि ये बदलाव मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करते हैं। इस हड़ताल का असर पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सरकारी दफ्तरों, सरकारी कंपनियों, बैंकिंग और बीमा सेवाओं, डाक सेवाओं, कोयला खनन और औद्योगिक उत्पादन पर पड़ने का लक्ष्य था।
Bharat Bandh: बिहार और पश्चिम बंगाल में ट्रेनें रोकी गईं
बिहार के जहानाबाद रेलवे स्टेशन पर राष्ट्रीय जनता दल की छात्र इकाई के सदस्यों ने रेलवे ट्रैक जाम कर दिया, जिससे ट्रेनों की आवाजाही बाधित हुई। वहीं, पश्चिम बंगाल में भी कई स्टेशनों पर प्रदर्शनकारियों ने रेल सेवाएं रोकीं। खासकर जादवपुर स्टेशन पर लेफ्ट से जुड़ी यूनियनों के सदस्य पुलिस मौजूदगी के बावजूद ट्रैक पर बैठकर प्रदर्शन करते रहे।
Bharat Bandh: उत्तर बंगाल में बस ड्राइवरों ने हेलमेट पहनकर की ड्यूटी
उत्तर बंगाल राज्य परिवहन निगम (NBSTC) के बस ड्राइवरों ने बुधवार को कुछ अलग ही अंदाज़ में सुरक्षा अपनाई। भारत बंद के चलते तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए उन्होंने ड्यूटी के दौरान हेलमेट पहनना शुरू कर दिया, हालांकि दार्जिलिंग हिल्स को इससे अलग रखा गया। समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए एक बस ड्राइवर ने कहा,
“ये लोग जो कह रहे हैं, वो सही है (भारत बंद की बात करते हुए), लेकिन हमें अपना काम करना है। हम भी मज़दूर हैं, इसलिए हम समर्थन करते हैं…हम इसे (हेलमेट) सिर्फ अपनी सुरक्षा के लिए पहन रहे हैं, अगर कुछ हो जाए तो।”
Bharat Bandh: ओडिशा में हाईवे जाम, केरल में दुकानें बंद
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में ‘भारत बंद’ के समर्थन में सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (CITU) की खोरधा ज़िला इकाई के सदस्यों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया। वहीं, केरल के कोट्टायम में दुकानदारों और व्यापारियों ने यूनियनों के बंद के समर्थन में प्रदर्शन किया, जिसके चलते वहां की दुकानें और मॉल्स बंद रहे।
Bharat Bandh: तमिलनाडु के कई हिस्सों में सामान्य रही सेवाएं
जहां एक ओर भारत बंद का असर देश के कई राज्यों में देखने को मिला, वहीं तमिलनाडु, खासकर चेन्नई में स्थिति लगभग सामान्य रही। यहां सार्वजनिक परिवहन सेवाएं, जैसे बसें, तय समय के अनुसार चलती रहीं और जीवन पर कोई खास असर नहीं पड़ा।
Bharat Bandh: CITU के महासचिव तपन कुमार सेन ने क्या कहा ?
पश्चिम बंगाल में वामपंथ समर्थित ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह मजदूरों के अधिकारों को दरकिनार कर कॉर्पोरेट समर्थक सुधारों को आगे बढ़ा रही है। जादवपुर के 8बी बस स्टैंड के पास भारी पुलिस बल तैनात रहा, हालांकि शहर के कुछ हिस्सों में निजी और सरकारी बसें सामान्य रूप से चलती रहीं।
CITU के महासचिव तपन कुमार सेन ने कहा:
“हमारी 17-सूत्रीय मांगों की सूची में सबसे प्रमुख मांग है 2020 में सरकार द्वारा लाए गए श्रम संहिताओं (Labour Codes) को पूरी तरह से रद्द करना। ये कानून देश के ट्रेड यूनियन आंदोलन को खत्म करने की कोशिश हैं। यह एक खतरनाक कदम है और सरकार का मकसद लोकतांत्रिक ढांचे को तोड़ना है। इसी के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है।”
Bharat Bandh: यूनियनों ने एक साझा बयान जारी कर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला
भारत बंद के दौरान कई बड़ी ट्रेड यूनियनों ने हिस्सा लिया, जिनमें इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), हिंद मजदूर सभा (HMS), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (CITU) और AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC जैसी अन्य यूनियनें भी शामिल रहीं।
इन यूनियनों ने एक साझा बयान जारी कर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले एक दशक से सरकार ने वार्षिक श्रम सम्मेलन (Annual Labour Conference) आयोजित नहीं किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार जो चार नए श्रम कानून (Labour Codes) ला रही है, उनका मकसद यूनियनों की ताकत और मजदूरों की सामूहिक बातचीत की ताकत को कमजोर करना है, जबकि इसे “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” के नाम पर पेश किया जा रहा है। यूनियनों ने सरकार की आर्थिक नीतियों को भी कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि
”बेरोज़गारी लगातार बढ़ रही है, जरूरी सामानों की कीमतें आसमान छू रही हैं, और मजदूरों की आमदनी लगातार गिरती जा रही है।साथ ही, स्वास्थ्य, शिक्षा और नगर सेवाओं में बजट में कटौती ने आम लोगों की ज़िंदगी और मुश्किल बना दी है।”
प्रमुख मांगों में शामिल हैं: सरकारी विभागों में खाली पदों पर तुरंत भर्ती, मनरेगा (MNREGA) के तहत काम के दिनों और मजदूरी में बढ़ोतरी। ”Bharat Bandh” के केंद्र में मजदूरों की पीड़ा
Bharat Bandh: यूनियनों का कहना एक सोची-समझी रणनीति
आज का Bharat Bandh संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के मजदूरों के अधिकारों की बहाली की आवाज़ बनकर उभरा है। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि केंद्र सरकार एक सोची-समझी रणनीति के तहत वर्षों से चली आ रही श्रम सुरक्षा और मजदूर हितों को खत्म करने की कोशिश कर रही है। हालांकि अलग-अलग राज्यों में बंद का असर अलग रहा, लेकिन हेलमेट पहनकर ड्यूटी करने वाले बस ड्राइवरों जैसे प्रतीकात्मक विरोध ने यह साफ कर दिया कि भारत का श्रमिक वर्ग अंदर ही अंदर गहरी नाराज़गी और असंतोष से जूझ रहा है।
अब तक केंद्र सरकार की ओर से इस विरोध पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन जानकारों का मानना है कि यह विरोध प्रदर्शन सरकार को नए श्रम कानूनों के लागू होने की समयसीमा पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर कर सकता है।
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