The Hunt for assassination of Rajiv Gandhi: राजीव गाँधी के अस्सीसिनाशन के ऊपर बानी नयी सीरीज
The Hunt for assassination of Rajiv Gandhi: राजीव गांधी का पूरा नाम राजीव रत्न गांधी था। उनका जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था। राजीव गांधी पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रपौत्र और फिरोज गांधी तथा देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र थे। राजीव गांधी 1981 से कांग्रेस पार्टी के महासचिव रहे और 1984 में अपनी मां की हत्या के बाद भारत के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 1984 से 1989 तक प्रधानमंत्री पद संभाला। राजीव गांधी का विवाह सोनिया गांधी से हुआ था। उनके दो बच्चे हैं — बेटा राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी। राजीव गांधी और उनके छोटे भाई संजय गांधी (1946–1980) की प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल में हुई थी।
इसके बाद राजीव गांधी ने लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में पढ़ाई की और 1965 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम पूरा किया। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजिव गाँधी की 21 मई 1991 के एक आत्मघाती हमले में उनकी हत्या कर दी गयी थी। जिस लिट्टे (LTTE) को इंद्रा गाँधी का समर्थन था तोह उसने भला कैसे राजीव गाँधी की हत्या करदी, सोचने वाली बात तोह यह है। उन्होंने राजीव गाँधी को नापसंद करना शुरू कर दिया और इसकी वजहें से उन्हें 1989 में कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर कर दिया गया था।
LTTE की स्थापना
साल 1976 में तमिल अलगाववादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) की स्थापना वेलुपिल्लई प्रभाकरन (Velupillai Prabhakaran) ने की। इस संगठन का उद्देश्य था श्रीलंका में एक अलग तमिल राज्य की स्थापना करना और तमिल लोगों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ना। एलटीटीई को भारत सरकार का समर्थन भी था और उनके प्रति सहानुभूति भी थी। इंदिरा गांधी (Indra Gandhi) के कार्यकाल में भारत की खुफिया एजेंसी ने कुछ तमिल गुटों को प्रशिक्षण और समर्थन भी दिया।
क्यों थी यह नज़राज़गी LTTE की RAJIV GANDHI से ?
July 30, 1987, राजीव गांधी ने इंडियन पीस कीपिंग पोर्स (IPKF) को श्रीलंका भेजा, ताकि श्रीलंका में हो रहे संघर्ष को खत्म किया जा सके। शुरुआती दिनों में तो एलटीटीई ने भारतीय पीस कीपिंग फोर्स का स्वागत किया। लेकिन समय के साथ हालात बदलने लगे और एलटीटीई को यह भारत की राजनीति की कोई नयी और सोची समझी साज़िस लगने लगी। जसिको लेकर कुछ समय तक इंडियन फाॅर्स के लिए मोर्चा भी लगाना शुरू कर दिया। जिसके चलते पीस कीपिंग फोर्स की तैनाती के बाद एलटीटीई में नाराजगी आने लगी थी। साल 1989 में कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। लेकिन विपक्ष में कांग्रेस अब भी थी। ऐसे में साल 1991 में राजीव गांधी एक बार फिर चुनाव प्रचार करने के लिए उतरे। इस दौरान उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर वह दोबारा सत्ता में आएंगे तो दोबारा वह पीस कीपिंग फोर्स को श्रीलंका भेजेंगे। यह बात एलटीटीई अचे जान चूका था की अगर राजीव गाँधी फिरसे प्रधानमन्त्री बनेंगे तो वो इंडियन पीस कीपिंग पोर्स (IPKF) को फिर से श्रीलंका भेजेंगे।
राजीव गाँधी की हत्या की सोची समझी प्लानिंग !
इसके बाद एलटीटीई ने राजीव गाँधी की हत्या की प्लानिंग करनी शुरू कर दी। यह कोई छोटी मोती प्लानिंग नहीं थी, यह प्लानिंग बोहोत बड़े लेवल पर हो रही थी। 21 मई 1991 को जब राजीव गांधी तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली को संबोधित करने जा रहे थे। वहीं एक आत्मघाती महिला हमलावार जिसका नाम था थेनमोझी “गायत्री” रजरत्नम, वह राजीव गांधी को माला पहनाने के बहाने उनके पास पहुंची और फिर विस्फोट कर दिया। इस विस्फोट में राजीव गांधी समेत कुल 14 लोगों की मौत हो गई। बता दें कि आत्मघाती हमलावर थेनमोझी (Thenmozhi) एलटीटीई की सदस्य थी। हालांकि इस हमले से पहले राजीव गांधी को इस रैली में ना जाने की सलाह भी दी गई थी। हालांकि राजीव गांधी नहीं मानें, जिसका परिणाम हुआ कि आत्मघाती हमले में 21 मई को उनकी मौत हो गई।
लिट्टे (LTTE) ने किआ RAJIV GANDHI का अस्सीसिनाशन !
प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी ने शांति प्रयासों के तहत भारतीय सेना को श्रीलंका भेजा था। इसी कारण लिट्टे (LTTE) प्रमुख प्रभाकरन के मन में राजीव गांधी के प्रति नाराज़गी और दुश्मनी पैदा हो गई थी। जो धीरे धीरे एक बदले की आग में उबलने लगी और इसके परिणामस्वरूप, राजीव गांधी लिट्टे (LTTE) के निशाने पर आ गए। 1991 के आम चुनावों से पहले, जब वे कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर थे, तब चुनाव प्रचार के दौरान श्रीपेरंबदूर (Sriperumbudur) में एक कार्यक्रम के दौरान उन्हें लिट्टे (LTTE) की आत्मघाती हमलावर थेनमोझी (Thenmozhi) ने बम धमाके में हत्या कर दी।
Documentary फिल्म The Hunt का review
द हंट – राजीव गांधी एसासिनेशन केस एक सच्ची घटना पर आधारित राजनीतिक थ्रिलर वेब सीरीज़ है, जो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद शुरू हुई 90 दिनों की जांच को दर्शाती है। यह सीरीज़ सोनी LIV पर हिंदी में उपलब्ध है और इसे नागेश कुकुनूर ने निर्देशित किया है। इसकी कहानी पत्रकार अनिरुद्ध मित्रा की किताब “नाइंटी डेज” पर आधारित है। प्रोडूसेड बाये अप्प्लायसे एंटरटेनमेंट (Applause Entertainment) एंड कुकुनूर मूवीज (Kukunoor movies) जिसके अंदर अमित सियाल (Amit Sial), साहिल वैद (Sahil Vaid), डेनिश इक़बाल (Danish Iqbal), गिरीश शर्मा (Girish Sharma), विद्युत गार्गी (Vidyuth Gargi), शफीफ मुस्तफा (Shafeeq Mustafa), अंजना बालाजी (Anjana Balaji), बी साई दिनेश (B Sai Dinesh), श्रुति जायन (Shruthy Jayan), और गौरी मेनोन (Gouri Menon) इन लोगों ने अपने अपने किरदार बोहोत ही बेहतरीन तरहे से निभाए है। इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म को 3.5/5 रेटिंग मिली है। यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म के द्वारा जिन लोगों को इस रजिस गाँधी के अस्सीसिनाशन के बारें में नहीं भी प्ताह तोह जान रहे है।

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