
Sharda University Suicide Case मेडिकल छात्रा ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में Teachers पर लगाए गंभीर आरोप
Sharda University Suicide Case: ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी के गर्ल्स हॉस्टल में शुक्रवार की शाम एक 21 वर्षीय छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतका की पहचान BDS सेकंड ईयर की छात्रा “ज्योति” के रूप में हुई है। इस घटना से न सिर्फ यूनिवर्सिटी में हड़कंप मच गया है, बल्कि पूरे प्रदेश में छात्र सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गहरी बहस छिड़ गई है।
12वीं मंज़िल पर मिला शव, कमरे से मिली चिट्ठी
घटना शारदा यूनिवर्सिटी के मंडेला गर्ल्स हॉस्टल की 12वीं मंजिल पर हुई, जहां छात्रा का शव उसके कमरे में पंखे से लटका मिला। कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद था। सूचना मिलते ही यूनिवर्सिटी प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंची। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें छात्रा ने दो शिक्षकों – महेंद्र सर और शैरी मैम – पर मानसिक उत्पीड़न और अपमान करने का आरोप लगाया है।
Sharda University Suicide Case: सुसाइड नोट में लिखे गंभीर आरोप
सुसाइड नोट में ज्योति ने साफ लिखा कि इन दोनों शिक्षकों द्वारा उसे झूठे आरोपों में फंसाया गया और बार-बार अपमानित किया गया। उसने लिखा:
“उन्होंने मेरा मानसिक शोषण किया, बार-बार बेइज्जती की… मैं बहुत तनाव में हूं। अब और सहन नहीं कर सकती।”
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ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में BDS छात्रा ने हॉस्टल में फांसी लगाकर आत्महत्या की।
📄 सुसाइड नोट में आरोप:
“मेरी मौत के जिम्मेदार महेंद्र सर और शार्ग मैम हैं। इन्होंने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।”#ShardaUniversity #JusticeForStudent #GreaterNoida… pic.twitter.com/Qy3qHcMTCh— Aarambh News Official (@aarambhnewsoffi) July 19, 2025
उसने यह भी लिखा कि हॉस्टल की व्यवस्था, खाने की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर भी कई समस्याएं थीं। ज्योति ने यह भी कहा कि उसे झूठा केस बना कर बदनाम किया गया और जब उसने शिकायत करने की कोशिश की, तो उसे धमकाया गया।
पुलिस ने दोनों प्रोफेसर को हिरासत में लिया
पुलिस ने मृतका के परिवार की शिकायत के आधार पर दोनों शिक्षकों को हिरासत में ले लिया है। ग्रेटर नोएडा एडीसीपी सुधीर कुमार ने बताया कि आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है और जांच जारी है।
पुलिस यह भी पता लगा रही है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन को छात्रा की मानसिक स्थिति की जानकारी थी या नहीं और उन्होंने इसके लिए कोई सहायता उपलब्ध कराई थी या नहीं।
छात्रों में रोष, कैंपस में प्रदर्शन
घटना के बाद यूनिवर्सिटी में छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। दर्जनों छात्र-छात्राओं ने प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। उनका कहना था कि अगर यूनिवर्सिटी में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाता, तो शायद एक जान बच सकती थी।
छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि यह पहला मामला नहीं है – पहले भी छात्रों को परेशान किया गया है, लेकिन प्रशासन ने हमेशा मामले को दबा दिया।
विश्वविद्यालय प्रशासन की चुप्पी
हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। जबकि पुलिस पूछताछ और मीडिया की रिपोर्टें इस बात की पुष्टि कर चुकी हैं कि सुसाइड नोट में शिक्षकों के नाम साफ लिखे गए हैं।
प्रशासन की चुप्पी से छात्रों और अभिभावकों में और ज्यादा आक्रोश है।
मानसिक स्वास्थ्य और भारत की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर से भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 15–29 वर्ष की उम्र के युवाओं में आत्महत्या एक प्रमुख कारण बन चुकी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में काउंसलिंग की व्यवस्था, स्टूडेंट हेल्पलाइन, और फैकल्टी के लिए व्यवहार प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए।
क्या आगे होगा?
- पुलिस जांच: दोनों शिक्षकों से पूछताछ जारी है। सुसाइड नोट की फॉरेंसिक जांच भी की जा रही है।
- कानूनी कार्रवाई: आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
- प्रशासनिक सुधार: उम्मीद की जा रही है कि अब यूनिवर्सिटी अपने परिसर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बनाएगी और शिकायत निवारण प्रणाली को मजबूत करेगी।
- परिवार की मांग: ज्योति के परिजन न्याय की मांग कर रहे हैं और चाहते हैं कि दोषियों को सख्त सजा मिले ताकि भविष्य में किसी और की बेटी इस तरह न टूटे।
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