
Premanand Maharaj Controversial statement: क्या पवित्रता सिर्फ औरतों की होती है? संत प्रेमानंद महाराज के बयान पर सवाल
Premanand Maharaj Controversial statement: हाल ही में वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज का एक बयान सामने आया, जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। उन्होंने कहा की “आजकल 100 में से मुश्किल से 2-4 लड़कियां ही पवित्र होती हैं, बाकी सब बॉयफ्रेंड के चक्कर में हैं।” यह बयान सुनते ही हर किसी के मन में एक सवाल उठा —क्या पवित्रता सिर्फ लड़कियों के लिए होती है?
क्या समाज अब भी यही सोचता है कि एक महिला का चरित्र ही उसकी पहचान है, जबकि पुरुषों से कोई सवाल नहीं पूछा जाता?
पवित्रता का पैमाना सिर्फ महिलाओं के लिए क्यों?
हमारे समाज में लड़कियों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि “तुम्हें अपने चरित्र का ध्यान रखना है”, “लोग क्या कहेंगे”, “कहीं बदनाम न हो जाओ” — लेकिन यही बातें लड़कों को नहीं सिखाई जातीं। अगर एक लड़की किसी लड़के से दोस्ती कर ले, उसके साथ घूम ले, हँसकर बात कर ले — तो उसकी पवित्रता पर सवाल उठाए जाते हैं। लेकिन अगर एक लड़का दस लड़कियों से दोस्ती करे, तो उसे “मर्द” कहा जाता है। यही सोच हमारे समाज को अंदर से खोखला बना रही है।
क्या पुरुषों का चरित्र नहीं होता?
- जब कोई संत, जो समाज में नैतिकता और धर्म का प्रतीक माना जाता है, ऐसा बयान देता है — तो यह केवल महिलाओं का नहीं, बल्कि पूरे समाज का अपमान है।
- क्या प्रेम में पड़ना या किसी से रिश्ता बनाना सिर्फ लड़की को “अपवित्र” बनाता है?
- क्या पुरुष रिश्ता बनाकर अपने आप “पवित्र” रह जाते हैं?
- अगर कोई महिला किसी पुरुष के साथ रिश्ता बनाती है, तो उस रिश्ते में पुरुष भी शामिल होता है। फिर दोष सिर्फ महिला का क्यों?
राजनेताओं की प्रतिक्रिया
इस बयान के बाद योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने नाराज़गी जताई और कहा की “सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा भी महिला हैं। जब वो दुर्गा का रूप धारण करेंगी तो ये बयान देने वाले कहीं नजर नहीं आएंगे।”
उन्होंने यह भी पूछा कि प्रेमानंद महाराज के पास ऐसा कौन-सा उपकरण है जिससे वो तय कर सकें कि कौन पवित्र है और कौन नहीं?
यह बयान केवल एक संत तक सीमित नहीं है — हाल ही में सपा सांसद डिंपल यादव पर भी एक मौलाना ने आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिस पर ओपी राजभर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी की “ऐसी भाषा अमर्यादित है। किसी भी महिला के लिए इस तरह का बयान देना बिल्कुल ठीक नहीं है।”
महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं, लेकिन सोच अब भी पीछे
आज की महिलाएं स्पेस, सेना, अदालत, बिजनेस, खेल और मीडिया जैसे हर क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर रही हैं। लेकिन जैसे ही वो अपनी मर्जी से किसी से दोस्ती करें या प्यार करें — समाज उन्हें “अपवित्र” बताने लगता है।
लड़कों को छूट है — वो देर रात तक कॉल करें, घूमने जाएं, मस्ती करें — कोई सवाल नहीं करता।
लेकिन लड़की ऐसा करे — तो तुरंत संस्कृति खतरे में पड़ जाती है? क्या यही हमारी सोच है 2025 में?
पवित्रता क्या है?
पवित्रता कोई कपड़ा नहीं, कोई रिश्ता नहीं, कोई शादी का प्रमाण पत्र नहीं। पवित्रता सोच में होती है, नीयत में होती है, सम्मान में होती है।
किसी लड़की ने किसी लड़के से दोस्ती की, प्यार किया या रिश्ता बनाया — इससे उसकी इज्जत कम नहीं हो जाती।
बल्कि अगर पुरुष उस रिश्ते का बराबर भागीदार है, तो फिर सवाल दोनों से होना चाहिए, सिर्फ महिला से क्यों?
विवादित बयान पर घिरे कथावाचक अनिरुद्धाचार्य
वृंदावन के कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने युवतियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “कुछ लड़कियां लिव-इन में रहकर चार जगह मुंह मारती हैं, तो क्या वे किसी रिश्ते को निभा पाएंगी?” उनके इस बयान पर विरोध तेज हो गया है। दो लोगों ने वृंदावन थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तहरीर दी है।
सवाल ये है की, क्या लड़किया लिव-इन में अकेले रहती है ? जाहिर सी बात है की वो ज़रूर किसी पुरुष के साथ रह रही होगी जो उसका प्रेमी या मंगेतर होगा। लेकिन कमाल की बात तो ये है की अनिरुद्धाचार्य जी ने लडको के लिए नहीं केवल महिलाओ के लिए बयांन दिया।
विवाद बढ़ने के बाद अनिरुद्धाचार्य ने अमेरिका से एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने सफाई दी कि उनके बयान को काट-छांट कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह बात कुछ लड़कियों और कुछ लोगों के लिए कही थी, सभी के लिए नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके शब्दों से किसी बहन-बेटी का दिल दुखा है, तो वे क्षमा मांगते हैं।
अब सवाल आपसे है…
- क्या पवित्रता का सर्टिफिकेट सिर्फ महिलाओं से मांगा जाएगा?
- क्या पुरुषों का कोई चरित्र नहीं होता?
- क्या प्रेम करना महिला के लिए पाप और पुरुष के लिए गौरव है?
अगर हम 2025 में रह रहे हैं, तो हमारी सोच भी उतनी ही आधुनिक होनी चाहिए।
वरना हम भले ही मोबाइल और मेट्रो में जी रहे हों, लेकिन दिमाग से अब भी 1925 में ही अटके हुए हैं।
अंत में
किसी भी महिला की पवित्रता उसका निजी विषय है। कोई संत, मौलाना, नेता या समाज उसे तय नहीं कर सकता, जो महिला अपने फैसले खुद लेती है, वो खुद में सबसे ज्यादा पवित्र होती है — क्योंकि वो झूठ नहीं जीती, डर में नहीं जीती। अब समय आ गया है कि हम औरतों से नहीं, समाज की सोच से सवाल करें।