Har Ghar Tiranga 2025: सूरत बना भारत का तिरंगा हब, 'हर घर तिरंगा' मुहिम को दे रहा पंख
Har Ghar Tiranga 2025: 15 अगस्त नज़दीक है और पूरा देश एक बार फिर आज़ादी का जश्न मनाने को तैयार है। इस बार ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को लोगों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। लेकिन इस मुहिम के पीछे एक शहर है, जिसने चुपचाप इसे हकीकत में बदलने की ज़िम्मेदारी उठाई है — सूरत, भारत का टेक्सटाइल हब, अब बन चुका है तिरंगा हब।
क्यों खास है यह बार का ‘हर घर तिरंगा’ अभियान?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘हर घर तिरंगा’ मुहिम का उद्देश्य है कि हर भारतीय के घर पर तिरंगा फहराया जाए, ताकि देशभक्ति की भावना और मजबूत हो। इस अभियान का असर अब ज़मीन पर साफ दिख रहा है। सिर्फ भावनात्मक स्तर पर ही नहीं, आर्थिक और रोजगार के स्तर पर भी यह अभियान असरदार साबित हो रहा है, खासकर सूरत जैसे शहरों में।
3.5 करोड़ झंडों का ऑर्डर: रिकॉर्ड मांग
सूरत के तिरंगा कारोबारियों को इस बार करीब 3.5 करोड़ झंडों के ऑर्डर मिले हैं। इससे अनुमान है कि अकेले झंडों के कारोबार से 100 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई होगी। यह आंकड़े दिए हैं सूरत के प्रमुख झंडा निर्माता प्रवीण ओवरसीज के मालिक प्रवीण गुप्ता ने।
प्रवीण गुप्ता बताते हैं, “सूरत में लगभग 50 यूनिट इस समय झंडा निर्माण में लगी हुई हैं। झंडों की मांग सिर्फ गुजरात ही नहीं, बल्कि यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड से भी आ रही है।”
छोटे-छोटे कारीगरों को मिला बड़ा प्लेटफॉर्म
यह सिर्फ बड़े व्यापारियों का काम नहीं है। इस बार सूरत में सैकड़ों स्थानीय और गरीब कारीगरों को भी इस काम में रोजगार मिला है। 5 इंच x 8 इंच से लेकर 20 फीट x 30 फीट तक के झंडे बनाए जा रहे हैं। हर साइज़ की मांग है, और हर कारीगर को काम।
कई महिलाएं, मजदूर, और छोटे टेलर अब इस तिरंगा निर्माण से जुड़कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं। यह एक शानदार उदाहरण है कि देशभक्ति और रोज़गार एक साथ कैसे आगे बढ़ सकते हैं।
टेबल तिरंगा: एक नई पहल
इस बार खासतौर पर टेबल तिरंगा बनाया जा रहा है। यह एक छोटा सा झंडा होता है जो आप अपने टेबल या डेस्क पर रख सकते हैं। सरकारी दफ्तर, पुलिस स्टेशन, स्कूल, अस्पताल — हर जगह यह टेबल तिरंगा लगाया जा रहा है।
प्रवीण गुप्ता कहते हैं, “प्रधानमंत्री मोदी का विजन है कि हर हाथ में तिरंगा हो और हर दिल में देशभक्ति। हमने इस भावना को ध्यान में रखते हुए टेबल तिरंगा डिजाइन किया है, जो हर अधिकारी, कर्मचारी को अपने काम में देशसेवा की प्रेरणा देगा।”
टेक्सटाइल हब से राष्ट्र सेवा का केंद्र
सूरत हमेशा से टेक्सटाइल नगरी के रूप में जाना जाता रहा है। लेकिन अब वह सिर्फ कपड़ों तक सीमित नहीं रहा। आज यह राष्ट्रीय गर्व के प्रतीक तिरंगे को देशभर में पहुंचा रहा है। और यह सब बिना किसी बड़े शोर-शराबे के, मेहनत और ईमानदारी से हो रहा है।
सूरत में तिरंगा निर्माण अब एक लगातार चलने वाला काम बनता जा रहा है। सिर्फ स्वतंत्रता दिवस ही नहीं, गणतंत्र दिवस, क्रिकेट मैच, स्कूल कार्यक्रमों, और कई अन्य आयोजनों में झंडों की मांग लगातार बनी रहती है।
राष्ट्रगान के साथ लहराता विशाल तिरंगा
प्रवीण ओवरसीज की कंपनी ने क्रिकेट वर्ल्ड कप और टी-20 वर्ल्ड कप में 35 मीटर x 20 मीटर के विशाल झंडे बनाए थे, जो राष्ट्रगान के समय पूरे स्टेडियम में लहराए गए थे। यह सिर्फ एक व्यापार नहीं, बल्कि गर्व का क्षण था, जब पूरी दुनिया ने भारतीय तिरंगे को सम्मान के साथ लहराते देखा।
राष्ट्रभक्ति से बना रोजगार का पुल
इस पूरे अभियान की सबसे बड़ी खासियत है कि यह देशभक्ति और रोजगार को एक साथ जोड़ता है। तिरंगा बनाना एक मुनाफे वाला व्यापार बन गया है, लेकिन इससे भी बढ़कर यह देश के प्रति जिम्मेदारी निभाने का एक माध्यम बन गया है।
प्रवीण गुप्ता का कहना है, “तिरंगा बनाना केवल हमारा काम नहीं, बल्कि हमारी सेवा और कर्तव्य है। हमारा सपना है कि हर भारतीय गर्व से झंडा फहराए और भारत को विश्वगुरु बनाने में अपना योगदान दे।”
‘हर घर तिरंगा’ केवल एक सरकारी अभियान नहीं, बल्कि यह एक जन आंदोलन बन चुका है। और सूरत जैसे शहर इस आंदोलन की रीढ़ बनकर उभरे हैं। जहां एक ओर देश झंडे के रंग में रंगा है, वहीं दूसरी ओर हजारों परिवारों के जीवन में रोजगार और सम्मान की रोशनी आई है।
इस बार जब आप अपने घर या दुकान पर तिरंगा लगाएं, तो याद रखें — वह सिर्फ एक कपड़ा नहीं है, बल्कि उस मेहनत, सपने और गर्व का प्रतीक है जिसे सूरत के हजारों हाथों ने सींचा है।
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