
Namo Ghat Closed: गंगा का रौद्र रूप, नमो घाट बंद, मणिकर्णिका घाट पर शवों की कतार
Namo Ghat Closed : वाराणसी में गंगा नदी एक बार फिर अपने रौद्र रूप में है। गंगा का जलस्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है और शहर के कई इलाके इसकी चपेट में हैं। गंगा का पानी लगातार बढ़ रहा है और अब यह खतरे के निशान से 57 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है। नमो घाट का बंद होना, मणिकर्णिका घाट की स्थिति, और शहर में हो रहा विस्थापन एक बड़ा संकेत है कि स्थिति गंभीर है।
नमो घाट पहली बार पूरी तरह बंद
वाराणसी का नया और आकर्षक घाट नमो घाट पहली बार पूरी तरह से बंद किया गया है। यहां की प्रसिद्ध ‘नमस्ते’ संरचना अब पूरी तरह डूबने की कगार पर है। प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनज़र पर्यटकों और श्रद्धालुओं की आवाजाही पर रोक लगा दी है। इससे पहले कभी भी नमो घाट पर इतना पानी नहीं चढ़ा था।
शहर के प्रमुख घाटों पर बाढ़ का पानी
गंगा का जलस्तर इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि अब शीतला घाट, अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, सामने घाट और राजघाट जैसे प्रमुख घाटों की सड़कें और सीढ़ियां जलमग्न हो गई हैं। राजघाट की सभी सीढ़ियां डूब चुकी हैं और अब सिर्फ ऊपरी हिस्से पर ही खड़ा हुआ जा सकता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर और बीएचयू ट्रॉमा सेंटर पर खतरा
बाढ़ का पानी काशी विश्वनाथ मंदिर के पास तक पहुंच गया है। रविवार शाम तक गंगा द्वार की केवल 13 सीढ़ियां बची थीं। अगर जलस्तर इसी रफ्तार से बढ़ता रहा, तो मंदिर परिसर भी पानी की चपेट में आ सकता है। बीएचयू ट्रॉमा सेंटर से भी बाढ़ का पानी महज 800 मीटर दूर है।
44 गांवों में बाढ़ का असर, 1400+ परिवार विस्थापित
जिला प्रशासन के मुताबिक, अब तक 44 गांवों में बाढ़ का असर पड़ा है। 1410 परिवारों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। इसके अलावा, 6244 किसानों की करीब 1721 एकड़ फसलें बाढ़ में डूब गई हैं। शहरी क्षेत्र के 24 मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित हैं और हजारों लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है।
गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है
केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, सोमवार सुबह गंगा का जलस्तर 72.03 मीटर तक पहुंच चुका है। यह खतरे के निशान 71.26 मीटर से 57 सेंटीमीटर ऊपर है। गंगा हर घंटे 2 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रही है। यह जलस्तर अगस्त 2022 के रिकॉर्ड 71.54 मीटर से भी ज्यादा है। नदी वैज्ञानिकों का कहना है कि हालात 1978 की बाढ़ जैसे बनते जा रहे हैं।
मणिकर्णिका घाट पर शवों की कतार
वाराणसी का प्रमुख श्मशान घाट मणिकर्णिका घाट भी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। यहां शवों की लंबी कतारें लगी हैं और 5-6 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। गलियों में नावें चलाई जा रही हैं और शवों को ले जाने के लिए लोगों से 200-500 रुपये तक वसूले जा रहे हैं।
लकड़ी के दाम भी आसमान छू रहे हैं। पहले जो लकड़ी 600-700 रुपये प्रति मन मिलती थी, अब उसकी कीमत 1000-1200 रुपये हो गई है।
हरिश्चंद्र घाट पर भी संकट
हरिश्चंद्र घाट पर भी जलस्तर के कारण गलियों में ही अंतिम संस्कार किया जा रहा है। पहले जहां रोजाना 20-25 शवों का दाह संस्कार होता था, अब वह संख्या घटकर 5-8 रह गई है। यहां भी 2-3 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है।
वरुणा, नाद और गोमती नदी भी उफनाईं
गंगा के पलट प्रवाह के कारण वरुणा, नाद, और गोमती नदी भी उफन गई हैं। इसका असर वाराणसी के निचले इलाकों और मोहल्लों में साफ देखा जा सकता है। कई जगहों पर पानी सड़कों तक पहुंच गया है।
सावन सोमवार और सुरक्षा बंदोबस्त
चौथे सावन सोमवार को देखते हुए काशी विश्वनाथ धाम और प्रमुख कांवड़ मार्गों पर पुलिस और प्रशासन की निगरानी बढ़ा दी गई है। बाढ़ के खतरे को देखते हुए गंगा घाटों पर जाने से रोक लगा दी गई है और 100 मीटर पहले बैरिकेडिंग की गई है। जल पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें घाटों पर तैनात हैं।
जल गतिविधियों पर रोक
जिला प्रशासन ने नाव संचालन और जल गतिविधियों पर अस्थायी रोक लगा दी है। साथ ही, बाढ़ राहत केंद्रों में सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं।
प्रशासन की अपील
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और आधिकारिक सूचनाओं का पालन करें। जो लोग बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहते हैं, उन्हें तुरंत सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
अब जरूरत है सतर्कता, सहयोग और संवेदनशीलता की। प्रशासन और नागरिकों को मिलकर इस संकट का सामना करना होगा।
यह भी पढ़े
72 Hours Rain Alert: देशभर में अगले 72 घंटे भारी बारिश की चेतावनी, IMD ने जारी किया अलर्ट!