
Satyapal Malik death: पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, सरकार से सवाल करने वाली आवाज़ खामोश
Satyapal Malik death: पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, जो जम्मू-कश्मीर, गोवा, मेघालय, बिहार और अन्य कई राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं, अब हमारे बीच नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में उनका निधन हो गया। वे 77 वर्ष के थे।
सत्यपाल मलिक सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, बल्कि एक ऐसी आवाज़ थे जो सत्ता से सवाल पूछने की हिम्मत रखती थी। वे अपनी बेबाक राय और निष्पक्षता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने न सिर्फ राज्यपाल रहते हुए, बल्कि बाद में भी कई गंभीर मुद्दों पर केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखा प्रहार किया।
पुलवामा हमले पर बड़ा बयान
पूर्व राज्यपाल मलिक सबसे ज्यादा चर्चा में तब आए जब उन्होंने पुलवामा आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा था कि सीआरपीएफ के जवानों की हवाई यात्रा की मांग को ठुकरा दिया गया, जबकि उन्हें सड़क मार्ग से भेजा गया जो एक बहुत बड़ी चूक थी। उन्होंने दावा किया था कि अगर सरकार ने समय रहते सुरक्षा इंतज़ाम किए होते, तो यह हमला टल सकता था।
जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सवाल किया कि मलिक ने यह बात राज्यपाल रहते क्यों नहीं कही, तो मलिक ने दो टूक जवाब दिया – “मैंने उसी वक्त कई बार इस मुद्दे को उठाया था। हमले के दिन, अगले दिन और फिर कई बार बयान दिए थे। प्रधानमंत्री को भी चाहिए था कि वो इस पर देश को स्पष्टीकरण देते।”
‘एक उम्मीदवार बनाम एक उम्मीदवार’ की रणनीति
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सत्यपाल मलिक ने विपक्ष को एकजुट करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने विपक्षी दलों को सुझाव दिया कि भाजपा के खिलाफ अगर एकजुट होकर चुनाव लड़ा जाए, तो परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।
उनका मंत्र था – ‘एक उम्मीदवार के बदले एक उम्मीदवार’।
मलिक ने कहा था, “मैंने दिल्ली में सभी राजनीतिक दलों से बात की है और सभी इस रणनीति पर सहमत हैं। अगर यह प्लान लागू हो जाता है, तो भाजपा को दिल्ली में कोई बचा नहीं पाएगा।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे खुद कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे और न ही किसी पार्टी से जुड़ेंगे, बल्कि विपक्ष को एक मंच पर लाने के लिए काम करेंगे।
सरकार पर लगातार सवाल
सत्यपाल मलिक ने कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी।
- किसान आंदोलन: मलिक ने खुलकर केंद्र सरकार की किसान नीतियों की आलोचना की थी और किसानों के साथ खड़े रहे।
- अदाणी मुद्दा: उन्होंने अदाणी समूह और सरकार के बीच संबंधों पर सवाल उठाए।
- जंतर-मंतर पर पहलवानों का प्रदर्शन: उन्होंने कहा था कि खिलाड़ियों के साथ ऐसा व्यवहार शर्मनाक है।
- राजनाथ सिंह पर बयान: उन्होंने एक बार कहा था कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ‘प्रधानमंत्री पद के सीरियस उम्मीदवार’ हैं। यह बयान उस वक्त खासा चर्चा में आया था।
अंतिम समय और बीमारी
पिछले कुछ महीनों से सत्यपाल मलिक की तबीयत लगातार बिगड़ रही थी। वे सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूरी बनाने लगे थे। हालाँकि उन्होंने यह ज़रूर कहा था कि वे हर महीने दस पब्लिक मीटिंग्स करेंगे, लेकिन स्वास्थ्य ने उनका साथ नहीं दिया।
उनका आखिरी बड़ा राजनीतिक संदेश था – “अगर 2024 में ये लोग (भाजपा) फिर से सत्ता में आ गए, तो उसके बाद आप (जनता) नहीं बचेंगे। यह आपका आखिरी मौका है। जात-पात छोड़कर एक समान मकसद के लिए सबको एकत्रित होना होगा।”
सत्यपाल मलिक की विरासत
मलिक की राजनीतिक यात्रा बेहद विविध रही है। वे लोकसभा और राज्यसभा, दोनों के सदस्य रहे। वे भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी जैसी कई पार्टियों में रहे लेकिन अंततः उनकी छवि एक स्वतंत्र और निडर विचारक की बन गई। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि संवैधानिक पद पर रहते हुए भी कोई व्यक्ति सच्चाई के साथ खड़ा रह सकता है। उन्होंने जिस तरह से पुलवामा, किसानों, और विपक्ष की एकता जैसे मुद्दों पर बेझिझक राय रखी, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक मिसाल है।
सत्यपाल मलिक का निधन सिर्फ एक नेता की मौत नहीं है, यह एक आवाज़ की खामोशी है जो सत्ता से सवाल करने का साहस रखती थी। उनकी कमी राजनीति और समाज दोनों को लंबे समय तक खलेगी।
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