
Chandra Grahan 2025: सूतक काल कब लगेगा और इस दौरान क्या करें, क्या न करें?
Chandra Grahan 2025: भारत जैसे धर्मप्रधान देश में जब भी ग्रहण लगता है, तो इसे सिर्फ एक खगोलीय घटना के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि यह आस्था और आध्यात्मिक परंपराओं से भी गहराई से जुड़ा होता है। 7 सितंबर 2025 को लगने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण भी ऐसा ही एक अवसर है, जब पूरा देश इसे उत्सुकता से देखेगा। इस दौरान सबसे अधिक चर्चा जिस बात की होती है, वह है “सूतक काल”। आइए आसान भाषा में समझते हैं कि सूतक काल क्या होता है, इसका समय कब से कब तक है और इस दौरान हमें किन बातों का पालन करना चाहिए।
सूतक काल क्या होता है?
सूतक काल वह अवधि है जो किसी ग्रहण से पहले शुरू होती है। मान्यता है कि चंद्रग्रहण के लगभग 9 घंटे पहले यह समय शुरू हो जाता है और ग्रहण समाप्त होने पर खत्म हो जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है और ग्रहों का विशेष प्रभाव पृथ्वी और मानव जीवन पर पड़ता है। यही कारण है कि इसे अशुभ समय माना जाता है।
सूतक काल में पूजा-पाठ, भोजन करना, शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि करना वर्जित होता है। इसे आत्मचिंतन और साधना का समय माना गया है।
चंद्र ग्रहण 2025 में सूतक काल का समय
- सूतक आरंभ: 7 सितंबर 2025, दोपहर 12:57 बजे
- सूतक समाप्त: 8 सितंबर 2025, रात 1:27 बजे
इस दौरान पूरे भारत में सूतक मान्य होगा।
सूतक काल में क्या नहीं करना चाहिए?
धार्मिक परंपराओं में कई कामों को इस समय के लिए निषिद्ध बताया गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव में आ सकता है।
- भोजन और जल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- बाल, नाखून काटना, दाढ़ी बनाना या मेकअप करना मना होता है।
- विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते।
- मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं।
- गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। जैसे – कैंची, चाकू या अन्य धारदार चीज़ों का प्रयोग नहीं करना।
- टीवी या मोबाइल पर मनोरंजन से बचने की सलाह दी जाती है।
सूतक काल में क्या करना चाहिए?
हालांकि यह समय अशुभ माना जाता है, लेकिन इसे आध्यात्मिक साधना और आत्मिक शुद्धि का अवसर भी बताया गया है। इस दौरान ये काम करने चाहिए –
- भगवान के मंत्रों का जाप करें, जैसे ॐ नमः शिवाय या ॐ गं गणपतये नमः।
- गीता, रामचरितमानस, दुर्गा चालीसा जैसे धार्मिक ग्रंथ पढ़ें।
- यदि संभव हो तो मौन धारण करें और मानसिक जाप करें।
- सकारात्मक चिंतन करें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
- ज़रूरतमंदों की मदद करें – अन्न, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें।
ग्रहण समाप्त होने के बाद क्या करें?
ग्रहण खत्म होने पर घर और शरीर की शुद्धि करना जरूरी माना गया है।
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर और पूजा स्थल की सफाई करें।
- भगवान को भोग लगाएं और दीप जलाएं।
- ग्रहण से पहले का रखा हुआ भोजन त्याग दें। यदि भोजन में तुलसी या कुशा की पत्तियां डाली गई थीं, तो उसे खाया जा सकता है।
- दान-पुण्य करें।
वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक नज़रिए से चंद्रग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस बार का ग्रहण “ब्लड मून” के रूप में भी दिखेगा, जब चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देगा।
लेकिन आस्था रखने वालों के लिए यह सिर्फ विज्ञान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव भी है। यही कारण है कि सूतक काल जैसी परंपराएँ आज भी हमारे समाज में जीवित हैं।
निष्कर्ष
7 सितंबर 2025 का चंद्रग्रहण खगोलीय और धार्मिक दोनों दृष्टिकोण से विशेष है। इस दौरान सूतक काल का पालन करना हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। चाहे आप इसे विज्ञान मानें या आस्था, सूतक काल का उद्देश्य एक ही है – आत्मसंयम और आत्मशुद्धि।
ग्रहण और सूतक हमें यह याद दिलाते हैं कि जीवन में हर घटना का असर केवल बाहरी नहीं, बल्कि भीतरी दुनिया पर भी पड़ता है।
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