
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: Bihar SIR में Aadhaar card को मिला मान्यता, लेकिन not for citizenship
Supreme Court ने ECI को आदेश दिया कि Bihar SIR के दौरान Aadhaar card को 12th document मानकर identity proof के रूप में स्वीकार किया जाए। लेकिन Aadhaar को citizenship proof नहीं माना जाएगा।
नई दिल्ली, 8 सितंबर 2025 – भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक ऐतिहासिक आदेश सुनाते हुए चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) को निर्देश दिया है कि बिहार में चल रहे Special Intensive Revision (SIR) अभियान के दौरान Aadhaar card को पहचान पत्र (proof of identity) के तौर पर स्वीकार किया जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि आधार को केवल पहचान पत्र के रूप में माना जाएगा, इसे नागरिकता (citizenship) का प्रमाण नहीं माना जा सकता।
यह फैसला देशभर में चुनावी सुधार और लोकतांत्रिक अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
Supreme Court का आदेश क्यों है अहम?
लाखों भारतीय मतदाता, विशेषकर वे जो दूसरे राज्यों में काम करने के लिए प्रवास (migrant workers) करते हैं, voter list update के समय बड़ी समस्याओं का सामना करते हैं। कई लोग अपने पासपोर्ट, driving license या अन्य दस्तावेज़ उपलब्ध न होने की स्थिति में voter list से बाहर रह जाते हैं।
- अब तक चुनाव आयोग 11 प्रकार के दस्तावेज़ों को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार करता था।
- Supreme Court के ताज़ा आदेश के बाद अब Aadhaar card को 12th document के रूप में शामिल किया गया है।
- इसका मतलब यह है कि अगर किसी व्यक्ति के पास सिर्फ आधार कार्ड है तो भी वह अपनी पहचान साबित कर सकता है और voter list में अपना नाम दर्ज करवा सकता है।
अदालत ने साफ कहा: “Aadhaar card को identity proof के रूप में स्वीकार करें, लेकिन citizenship verification के लिए इसका उपयोग न करें।”
Bihar SIR (Special Intensive Revision) क्या है?
Bihar SIR 2025 एक विशेष प्रक्रिया है, जिसका मकसद राज्य में voter list की गहन समीक्षा करना है।
- यह अभियान 24 जून 2025 से शुरू हुआ।
- इसके तहत मतदाताओं को enumeration form भरकर अपनी details जमा करनी थी।
- आयोग ने पहले 11 documents को ही identity proof माना, जिसमें voter ID, ration card और कुछ सरकारी पहचान पत्र शामिल थे।
- Aadhaar card को standalone document नहीं माना गया था।
इसी वजह से लाखों लोगों—खासकर गरीब और प्रवासी मजदूरों—के voter list से बाहर होने का खतरा बन गया था।
Supreme Court की Bench का निर्णय
यह मामला सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की पीठ के सामने आया। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि आधार को मान्यता न देने से लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होगा और eligible voters voter list से बाहर हो जाएंगे।
Bench ने अपने आदेश में कहा:
- Aadhaar केवल identity proof है।
- Aadhaar को citizenship proof के रूप में इस्तेमाल करना कानून के खिलाफ होगा।
- ECI के field officers को Aadhaar को स्वीकार करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाएं।
Political और Social Impact
इस आदेश का राजनीतिक और सामाजिक असर व्यापक है।
- विपक्षी दलों ने इसे inclusive democracy की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
- याचिकाकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे उन करोड़ों लोगों के लिए राहत बताया है जिनके पास आधार तो है, लेकिन पासपोर्ट या driving license जैसे दस्तावेज़ नहीं हैं।
- अब voter registration की प्रक्रिया और सरल होगी, जिससे मतदाता सूची में ज्यादा लोगों का नाम जुड़ सकेगा।
Supreme Court की पिछली टिप्पणियाँ
यह पहला मौका नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को मतदाताओं के inclusion पर जोर देने के लिए कहा हो।
- 14 अगस्त 2025 को अदालत ने आदेश दिया था कि आयोग उन सभी लोगों की सूची सार्वजनिक करे जिनके नाम voter list से हटाए गए हैं।
- 22 अगस्त 2025 को अदालत ने कहा कि जिन लोगों का नाम draft roll से बाहर हो गया है, वे Aadhaar और अन्य valid documents के साथ अपना दावा (claim) दर्ज करा सकते हैं।
आज के आदेश ने इस दिशा में और स्पष्टता ला दी है।
आगे की प्रक्रिया
ECI को अब Aadhaar को 12th document के रूप में आधिकारिक सूची में शामिल करना होगा।
- Booth Level Officers (BLOs) को निर्देश दिए जाएंगे कि वे Aadhaar को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार करें।
- 30 सितंबर 2025 तक अंतिम voter list प्रकाशित की जानी है।
- इस आदेश से यह सुनिश्चित होगा कि कोई eligible voter केवल आधार न होने के कारण मतदान के अधिकार से वंचित न रहे।