
Uttar Pradesh Ration Card Cancelled: UP में बड़ा खुलासा, विदेश में रह रहे लोगों के भी बन गए फर्जी राशन कार्ड
Uttar Pradesh Ration Card Cancelled: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहाँ करीब 4 लाख 95 हज़ार राशन कार्ड निरस्त कर दिए गए हैं। जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है—कई मृतकों और विदेश में रहने वाले लोगों के नाम पर भी मुफ्त राशन लिया जा रहा था।
यह खबर केवल एक जिला या एक विभाग की गड़बड़ी नहीं बताती, बल्कि यह गरीबों के हक पर डाका डालने वाली एक बड़ी सच्चाई को सामने लाती है।
जांच में कैसे हुआ खुलासा?
शासन ने 2024 में राशन कार्डधारकों की केवाईसी (KYC) प्रक्रिया शुरू कराई थी। मक़सद था यह पता लगाना कि जिनके नाम पर राशन मिल रहा है, वह वास्तव में मौजूद हैं या नहीं। लेकिन जब सत्यापन शुरू हुआ तो खुलासा हुआ कि— 42 हज़ार मृतकों के नाम पर राशन लिया जा रहा था।
- कई कार्डधारक विदेश में रह रहे थे, फिर भी उनके नाम से राशन बंट रहा था।
- ऐसे भी लोग सामने आए जिनकी आय और संपत्ति बहुत अधिक थी, लेकिन उनके पास भी “गरीबों वाला राशन कार्ड” था।
- यानि असली ज़रूरतमंदों का हक़ छिनकर, फर्जी कार्डधारक लाभ ले रहे थे।
3 महीने तक सस्पेंड होगा राशन
सीतापुर के पूर्ति विभाग ने बड़ा कदम उठाते हुए लगभग 5 लाख राशन कार्डों को निरस्त कर दिया है। अब आने वाले तीन महीनों तक इन कार्डों से कोई भी राशन नहीं मिलेगा।
जिला पूर्ति अधिकारी अखिलेश श्रीवास्तव का कहना है—
“14 अगस्त 2024 से हम केवाईसी करा रहे थे। 8 लाख 89 हज़ार कार्डधारकों में से लगभग 5 लाख ने केवाईसी नहीं कराई। जब जांच हुई तो कई फर्जी कार्ड सामने आए।”
इस कार्रवाई ने साफ़ कर दिया है कि अब विभाग लापरवाही नहीं बरत पाएगा।
गरीबों का हक़ छिन रहा था
इस मामले ने गरीबों की पीड़ा को और गहरा कर दिया है। कांग्रेस सांसद राकेश राठौर ने विभाग पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा की जिला पूर्ति कार्यालय पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबा है। अमीरों और संपन्न लोगों के पास राशन कार्ड बने हैं, लेकिन विधवा और गरीब महिलाएँ दर-दर भटक रही हैं। सबको पता था कि मृतकों के नाम पर राशन लिया जा रहा है, फिर भी इस लूट को रोका नहीं गया।”
यह आरोप केवल विभागीय लापरवाही नहीं, बल्कि एक ऐसे सिस्टम को उजागर करता है जिसमें गरीब का हक़ सबसे आखिर में आता है।
अखिलेश यादव का बीजेपी पर हमला
इस मुद्दे पर राजनीति भी गर्मा गई है। समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर बीजेपी को घेरा। उन्होंने लिखा—
“हमने तो पहले ही कहा था—पहले वोटर लिस्ट से नाम काटेंगे, फिर राशन कार्ड से, फिर घर-खेत-ज़मीन के काग़ज़ से। भाजपा जाए तो हक़ बच पाए!”
अखिलेश का यह बयान साफ़ इशारा करता है कि वह इस कार्रवाई को गरीबों और विपक्षी वोट बैंक पर चोट मान रहे हैं।
यह गड़बड़ी क्यों बड़ी है?
राशन कार्ड केवल अनाज पाने का साधन नहीं है, बल्कि गरीबों की पहचान और अस्तित्व से जुड़ा होता है। सीतापुर जैसी घटनाएँ बताती हैं कि—
- सिस्टम में भ्रष्टाचार गहरा है।
- विभागीय अफसरों और डीलरों की मिलीभगत से मृतकों तक के नाम पर राशन बंट रहा था।
- गरीब परिवार, जिन्हें सच में राशन की ज़रूरत है, लाइन में खड़े रह गए।
जनता की प्रतिक्रिया
जिले के लोग इस खबर से हैरान और नाराज़ हैं। गाँव की रहने वाली रेखा देवी कहती हैं—
“हमारे घर में रोज़ का चूल्हा इसी राशन से जलता है। अगर कार्ड बंद हो गया तो बच्चों को खिलाएँगे क्या? हमने तो सब काग़ज़ दिए थे, फिर भी नाम कटा दिया गया।”
वहीं, एक अन्य कार्डधारक ने कहा—
“जो अमीर लोग शहरों में रहते हैं, उनके नाम पर राशन आता रहा। हम जैसे लोग बार-बार चक्कर काटते रहे। यह गरीब के साथ नाइंसाफी है।”
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