Cyber safety for kids: डिजिटल दुनिया में बच्चों की सुरक्षा, अक्षय कुमार ने किया आगाह
Cyber safety for kids: बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता अक्षय कुमार ने हाल ही में एक ऐसी घटना का खुलासा किया है, जिसने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आजकल इंटरनेट और गेमिंग की दुनिया में हमारे बच्चे किस तरह के खतरों से घिरे हैं। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी 13 वर्ष की बेटी ऑनलाइन गेम खेलते समय एक अनजान व्यक्ति द्वारा अश्लील तस्वीर भेजने की मांग की गई — और उन्होंने इस घटना को साइबर अपराध की शुरुआत बताया।
आइए देखें, इस घटना से हम क्या सीख सकते हैं और कैसे बच्चों को सुरक्षित रख सकते हैं।
अक्षय कुमार ने सुनाई आपबीती
अक्षय कुमार ने कहा कि कुछ महीने पहले उनकी बेटी एक मल्टीप्लेयर ऑनलाइन गेम खेल रही थी, जिसमें गेमर्स सार्वजनिक रूप से या निजी चेट में बातचीत कर सकते थे। उस गेम दौरान एक अजनबी खिलाड़ी ने चैट के ज़रिए पूछा, “तुम लड़का हो या लड़की?” जब बेटी ने कहा “लड़की”, तो उसी समय उस व्यक्ति ने अश्लील तस्वीरें भेजने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया।
खुशकिस्मती से, बेटी ने तुरंत गेम बंद कर दिया और ये बात अपनी माँ ट्विंकल खन्ना को बताई। अक्षय ने कहा कि ये घटना डराने वाली है क्योंकि इस तरह की छोटी-छोटी शुरुआत ही बड़े साइबर अपराधों की जड़ बन जाती है।
इस घटना के बाद अक्षय ने महाराष्ट्र सरकार से आग्रह किया कि हर स्कूल में “साइबर पीरियड” (Cyber Period) शुरू किया जाए — 7वीं से 10वीं तक हर हफ्ते एक घंटे का समय साइबर सुरक्षा, ऑनलाइन खतरों और सतर्क रहने की शिक्षा देने के लिए रखा जाए।
साइबर अपराधियों का तरीका: कैसे फँसाते हैं बच्चे
यह घटना अकेली नहीं है — साइबर अपराधी आज बहुत चालाक तरीके अपनाते हैं। सबसे आम तरीके ये हैं:
1. भरोसा जाल
पहले वे मैत्रीपूर्ण बातचीत करेंगे — “Nice move!”, “Great play!” आदि शब्दों से शुरुआत कर सकते हैं। धीरे-धीरे वे निजी बातें पूछने लगते हैं — “कहां रहते हो?”, “तुम कितनी उम्र की हो?” आदि। एक बार भरोसा बन जाए, फिर वे अश propriety फोटो, वीडियो आदि माँगने लगते हैं।
2. ब्लैकमेल और डराने-धमकियाँ
अगर बच्चा नहीं माने तो वे डराने-धमकियाँ देते हैं — “अगर नहीं सेंड करोगी तो…”, “सबको दिखा दूंगा” आदि। इससे बच्चे तनाव में आ जाते हैं।
3. फर्जी लिंक और मैलवेयर
वे लिंक भेजते हैं (कहते हैं “देखो ये फोटो”, “देखो ये वीडियो”)। उस लिंक पर क्लिक करते ही फोन या कंप्यूटर में मैलवेयर, ट्रोजन आदि घुस जाते हैं, जिससे अपराधी डिवाइस का नियंत्रण पा लेते हैं।
4. ग्रूमिंग
कई अपराधी गेम चैट या वॉयस चैट में बच्चों से दोस्ती करते हैं। धीरे-धीरे वे उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं और फिर व्यक्तिगत जानकारियाँ या असभ्य तस्वीरें मांगने लग जाते हैं।
ये क्यों जरूरी है कि हम जागरूक हों
- आज इंटरनेट, ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया बच्चों के जीवन का हिस्सा है।
- साइबर अपराधियों के पास तकनीक है — डीपफेक, वॉयस क्लोनिंग, फेस क्लोनिंग आदि — जिससे वे मास्क पहनकर भी बच्चों को फँसाते हैं।
- यदि बच्चे किसी अवधि में ब्लैकमेल या शोषण की स्थिति में फँस जाते हैं, तो वे डर या शर्म की वजह से चुप रहते हैं, जिससे मनोवैज्ञानिक और आत्महत्या तक की स्थिति हो सकती है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023 में देशभर में हजारों मामले ऐसे दर्ज हुए जिनमें बच्चों को ऑनलाइन उत्पीड़न, ब्लैकमेल या ग्रूमिंग का शिकार बनाया गया।
कैसे बचाएं बच्चों को — कुछ सरल उपाय
नीचे कुछ कदम दिए हैं जिन्हें अभिभावक और बच्चे मिलकर उठा सकते हैं:
- पारदर्शिता बनाएँ
— बच्चों से रोज़ पूछें कि वे कौन सा गेम खेल रहे हैं और किसके साथ।
— उन्हें बताएं कि यदि कोई अज्ञात व्यक्ति अश्लील या असुविधाजनक मांग करे, तो झिझक के बिना आपको बताएं। - प्राइवेसी सेटिंग और पैरेंटल कंट्रोल
— गेमिंग अकाउंट को “प्राइवेट / निजी” रखें।
— व्हिस्पर, गोपनीय चैट आदि बंद रखें।
— मोबाइल / कंप्यूटर में पैरेंटल कंट्रोल ऐप या सेटिंग्स का इस्तेमाल करें। - कोई लिंक न खोलना
— कोई भी अनजान लिंक, फोटो, वीडियो या फाइल न खोलें, विशेषकर जो गेमिंग चैट में मिले हों।
— यदि किसी लिंक से संदेह हो तो उससे पहले जांच कर लें। - ऑनलाइन कम दोस्त और सीमित जानकारी
— अजनबियों को दोस्त न बनाएं।
— नाम, स्कूल, पता, उम्र, परिवार की जानकारी आदि न दें। - समय और स्थान नियंत्रण
— बच्चे को गेमिंग के लिए सीमित समय दें।
— ऑनलाइन गेमिंग या चैटिंग ऐसे कमरे में करें जहाँ अभिभावक निगरानी कर सकते हों। - अगर कुछ गलत हो जाए तो तुरंत कदम उठाएँ
— यदि कोई अश्लील सामग्री माँगे या ब्लैकमेल करे, घटना तुरंत साइबर अपराध पोर्टल (cybercrime.gov.in) या स्थानीय पुलिस को रिपोर्ट करें।
— भारत में टोल फ्री हेल्पलाइन 1930 भी है, जहां आप शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
— स्क्रीनशॉट, चैट रिकॉर्ड, संदिग्ध URL आदि सब सुरक्षित रखें।
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