Illegal foreigners in India: अवैध रूप से रह रहे विदेशियों के लिए भारत स्वर्ग? सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
Illegal foreigners in India: देश के सबसे बड़े न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक टिप्पणी की है, जिसने पूरे देश में हलचल मचा दी है। अदालत ने कहा कि जो विदेशी अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं, उनके लिए यह देश अब स्वर्ग बन गया है। यह टिप्पणी गोवा में रहने वाले एक इजरायली नागरिक के मामले में आई, जिसने सुप्रीम कोर्ट से अपनी दो नाबालिग बेटियों को रूस भेजने से रोकने की मांग की थी।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और इसे प्रचारात्मक और तुच्छ बताया। अदालत ने इजरायली नागरिक ड्रोर श्लोमी गोल्डस्टीन की खिंचाई करते हुए पूछा कि भारत में रहकर आप अपनी जीविका कैसे चला रहे हैं और इसका स्रोत क्या है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की याचिका केवल प्रचार के उद्देश्य से दायर की गई है।
मामला क्या है?
यह पूरा मामला जुलाई 2025 का है। स्थानीय पुलिस को कर्नाटक के जंगल में एक गुफा में 40 साल की रूसी महिला नीना कुटीना और उसकी दो बेटियाँ (छह और पांच साल की) मिलीं। तीनों कथित तौर पर बिना किसी वैध यात्रा या निवास दस्तावेज़ के कई हफ्तों से वहां छिपकर रह रही थीं। इसके बाद पुलिस ने उन्हें विदेशी हिरासत केंद्र में रखा। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि उन्हें प्रत्यावर्तन के लिए आवश्यक दस्तावेज़ प्रदान किए जाएं।
इसी बीच, खुद को गोवा में रहने वाला इजरायली व्यवसायी बताने वाले गोल्डस्टीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने दावा किया कि वे दोनों नाबालिग लड़कियों के पिता हैं और उनकी देखभाल कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि उनकी बेटियों को रूस वापस न भेजा जाए।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची शामिल थे, ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि यह याचिका पूरी तरह से प्रचार हेतु दायर की गई है। पीठ ने गोल्डस्टीन से पूछा कि क्या उसके पास कोई सबूत है जिससे यह साबित हो कि दोनों बच्चियाँ उसकी हैं। साथ ही कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जब बच्चे जंगल में गुफा में रह रहे थे, तो उस समय गोल्डस्टीन क्या कर रहा था और क्या उसे भारत से निष्कासित नहीं किया जाना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि भारत में अवैध रूप से रह रहे लोगों के लिए कानून सख्त है और किसी भी तरह की छूट या संरक्षण केवल प्रचारात्मक याचिकाओं के लिए नहीं दिया जा सकता।
देश में चर्चा और सवाल
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत वास्तव में अवैध रूप से रहने वाले विदेशी नागरिकों के लिए स्वर्ग बन गया है? अदालत ने इस टिप्पणी के जरिए यह स्पष्ट किया कि कानून सबके लिए समान है और कोई भी व्यक्ति बिना वैध दस्तावेज़ के भारत में रहकर स्थायी रूप से रह नहीं सकता।
इस घटना ने यह भी सामने लाया कि अवैध निवास और इसके साथ जुड़े जोखिम कितने गंभीर हो सकते हैं। सिर्फ गोवा या कर्नाटक ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में अवैध रूप से रह रहे लोग सामाजिक और कानूनी संकट का सामना कर सकते हैं।
हाईकोर्ट की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट से पहले, गोल्डस्टीन ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की थी। उसने अपनी बेटियों की हिरासत और प्रत्यावर्तन रोकने की मांग की थी। हालांकि हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को भी खारिज कर दिया। इस तरह यह मामला न्यायालयों में कई स्तरों पर पहुंचा और अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया।
मानव और सामाजिक दृष्टिकोण
यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। छोटे बच्चों की सुरक्षा, माता-पिता की जिम्मेदारी और विदेशियों के अधिकारों का संतुलन इस कहानी का मुख्य पहलू है। सुप्रीम कोर्ट ने यह दिखाया कि कानून और न्याय के बीच संतुलन बनाना कितना जरूरी है। अदालत ने यह साफ किया कि बच्चों की सुरक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन यह भी जरूरी है कि कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन करके अपनी स्थिति मजबूत न करे।
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