cough syrup for kids ban: दिल्ली में कोल्ड्रिफ समेत कई कफ सिरप पर बैन, बच्चों की मौत के बाद सख्त हुई सरकार
cough syrup for kids ban: दिल्ली सरकार ने बच्चों की जान से जुड़ी एक बड़ी कार्रवाई की है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 11 बच्चों की मौत के बाद अब ‘कोल्ड्रिफ’ और उससे मिलते-जुलते कफ सिरप की बिक्री, वितरण और भंडारण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।
यह कदम दिल्ली औषधि नियंत्रण विभाग ने सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया है। विभाग ने आदेश जारी करते हुए कहा कि किसी भी हालत में विषाक्त कफ सिरप को बाजार में आने नहीं दिया जाएगा।
मौत के पीछे का ज़हर — क्या है DEG?
दरअसल, छिंदवाड़ा में जिन बच्चों की मौत हुई, उनकी जांच रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया। तमिलनाडु की श्रीसैन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी द्वारा बनाए गए सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकाॅल (DEG) की मात्रा 46.28 प्रतिशत पाई गई।
यह एक औद्योगिक रसायन है, जो सामान्यत: एंटीफ्रीज और ब्रेक फ्लूइड जैसे उत्पादों में इस्तेमाल होता है।
जब इसे दवाओं में सस्ते साल्वेंट के रूप में मिलाया जाता है, तो यह शरीर के लिए बेहद घातक साबित होता है। DEG के ज़हरीले प्रभाव से किडनी फेलियर, न्यूरोलॉजिकल डैमेज, और कई मामलों में मौत तक हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2022 से अब तक DEG युक्त सिरप से 300 से ज़्यादा बच्चों की जान जा चुकी है।
दिल्ली सरकार का सख्त कदम
छिंदवाड़ा की इस घटना के बाद दिल्ली सरकार ने तुरंत कार्रवाई की।
औषधि नियंत्रक संजीव कुमार के निर्देश पर उप औषधि नियंत्रक केआर चावला ने आदेश जारी करते हुए कहा कि दिल्ली में अब कोल्ड्रिफ और उससे मिलते-जुलते सभी कफ सिरप की बिक्री, भंडारण और वितरण पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
इसके साथ ही सिरप बनाने वाली कंपनियों को अब DEG जांच रिपोर्ट अनिवार्य रूप से जमा करनी होगी, तभी किसी भी सिरप को बाजार में भेजा जा सकेगा।
थोक और रिटेल दुकानदारों पर निगरानी
दिल्ली औषधि नियंत्रण विभाग ने सभी थोक और फुटकर विक्रेताओं को आदेश दिया है कि वे 24 घंटे के भीतर अपने स्टॉक की जानकारी संबंधित ड्रग इंस्पेक्टर को सौंपें।
6 से 10 अक्टूबर तक दिल्ली भर में एक बड़ा सर्वे अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें 20 से ज़्यादा टीम —
ड्रग इंस्पेक्टर, पुलिस और स्थानीय प्रशासन मिलकर जांच कर रहे हैं।
ये टीमें बाजारों और गोदामों में जाकर ऐसे सिरप की तलाश में जुटी हैं जो पहले से स्टॉक में मौजूद हैं।
इनकी रिपोर्ट सीधे स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव को सौंपी जाएगी।
एक लाख से ज़्यादा बोतलें स्टॉक में होने की आशंका
विभागीय सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में करीब 11 कंपनियां कोल्ड्रिफ और उससे मिलते-जुलते सिरप बनाती हैं।
हर दिन लगभग 6 से 7 हज़ार (100 मिली की बोतल) सिरप दिल्ली में बिकती थीं।
यह सिरप 50–60 रुपये में आसानी से उपलब्ध होता है और सर्दी-खांसी के इलाज के लिए आम लोगों की पहली पसंद बन चुका था।
लेकिन अब यही सस्ता इलाज जानलेवा ज़हर साबित हो रहा है।
अनुमान है कि फिलहाल एक लाख से अधिक बोतलें दिल्ली के बाजारों या गोदामों में मौजूद हैं, जिनकी तलाश अब टीमों द्वारा की जा रही है।
अभिभावकों के लिए चेतावनी और सलाह
दिल्ली औषधि नियंत्रण विभाग ने अभिभावकों से अपील की है कि ‘ किसी भी कफ सिरप को डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को न दें।’
अगर किसी दुकान या घर में ‘कोल्ड्रिफ’ या उससे मिलता-जुलता कोई सिरप दिखे तो तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1031 या नजदीकी ड्रग इंस्पेक्टर को सूचित करें।
विभाग का कहना है की यह सिर्फ कार्रवाई नहीं, बच्चों की जिंदगी बचाने का हमारा संकल्प है।”
क्यों ज़रूरी है यह कदम
भारत में पहले भी कई बार सस्ते और नकली सिरप की वजह से बच्चों की जान गई है।
दवा कंपनियां साल्वेंट के रूप में DEG या इसी तरह के रसायन का इस्तेमाल कर लागत घटाने की कोशिश करती हैं।
पर इसका सीधा असर बच्चों की किडनी और नर्वस सिस्टम पर पड़ता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश के लिए एक जागने का संकेत है।
दवाओं में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स की लैब टेस्टिंग और मॉनिटरिंग को अब अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।
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