World Mental Health Day 2025: 10 अक्टूबर, वो दिन जब पूरी दुनिया ‘मन’ के इलाज की बात करती है!
World Mental Health Day 2025: आज के दौर में जिस तेज़ी से ज़िंदगी भाग रही है, उसी रफ़्तार से लोगों का मानसिक संतुलन भी बिगड़ता जा रहा है।
काम का बढ़ता दबाव, रिश्तों में दूरी, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निर्भरता और सामाजिक मेलजोल की कमी — ये सब मिलकर इंसान को भीतर से तोड़ रहे हैं।
इसी कारण हर साल 10 अक्टूबर को “विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस” (World Mental Health Day) मनाया जाता है, ताकि लोग समझें कि मानसिक सेहत भी उतनी ही ज़रूरी है, जितनी शारीरिक सेहत।
क्यों बढ़ रही हैं मानसिक बीमारियां?
विशेषज्ञों का कहना है कि तेज़ी से बदलती जीवनशैली, भागदौड़ भरी दिनचर्या और सामाजिक दबाव ने इंसान के दिमाग पर गहरा असर डाला है।
लोग पहले जैसी बातचीत नहीं करते, परिवारों का ढांचा बदल गया है, काम और सफलता की होड़ ने मन को थका दिया है।
कई बार यही तनाव डिप्रेशन, एंग्जायटी (चिंता), अनिद्रा और सामाजिक अलगाव का कारण बन जाता है।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ की स्थापना और इतिहास
विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ (WFMH) की स्थापना 1948 में लंदन, इंग्लैंड में हुई थी। यह संगठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर जरूरतों को देखते हुए बनाया गया। इसका उद्देश्य था कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जाए और मानसिक व भावनात्मक विकारों से जूझ रहे लोगों को सहायता दी जाए।
WFMH के शुरुआती दस्तावेज़ ‘मानसिक स्वास्थ्य और विश्व नागरिकता’ ने मानसिक स्वास्थ्य को साझा मानवता के रूप में देखा। संघ के उप महासचिव रिचर्ड हंटर की पहल पर वर्ष 1992 से हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाना शुरू किया गया।
आज यह दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने और जागरूकता फैलाने का अवसर है।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का महत्व
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का महत्व सिर्फ मानसिक बीमारियों के इलाज तक सीमित नहीं है। यह दिवस लोगों को यह समझाने का काम करता है कि:
- मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य।
- अवसाद, चिंता और तनाव जैसी समस्याओं को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
- समाज में मानसिक स्वास्थ्य पर बनी भ्रांतियों और कलंक को हटाने की आवश्यकता है।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ (WFMH) गैर-सरकारी संस्था (NGO) के रूप में ग्रासरूट स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य के लिए जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह संगठन संयुक्त राष्ट्र (UN) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ मिलकर वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य नीतियों के निर्माण में भी योगदान देता है।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम
हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के लिए एक खास थीम तय की जाती है। वर्ष 2025 की थीम है:
“सेवाओं तक पहुंच – आपदाओं और आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य”
(Access to Services – Mental Health in Catastrophes and Emergencies)
इस थीम का मकसद है कि आपात स्थितियों और आपदाओं से प्रभावित लोगों तक मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित की जाए। यानी किसी प्राकृतिक आपदा, महामारी या संकट के दौरान मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना और मनो-सामाजिक सहायता प्रदान करना बेहद जरूरी है।
मानसिक बीमारी के लक्षण क्या हैं?
डॉ. ओम प्रकाश बताते हैं कि मानसिक बीमारी के संकेत अक्सर बहुत सामान्य लगते हैं —
- नींद या भूख में बदलाव
- बार-बार थकान महसूस होना
- ध्यान की कमी
- चिड़चिड़ापन
- लोगों से दूरी बनाना
अक्सर लोग इन्हें तनाव या थकान मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जबकि ये डिप्रेशन या एंग्जायटी की शुरुआती निशानियां हो सकती हैं।
समय रहते इलाज शुरू किया जाए तो गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।
खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ कैसे रखें?
- हर दिन थोड़ी देर योग या मेडिटेशन करें
- सोशल मीडिया से दूरी बनाएं
- परिवार और दोस्तों से खुलकर बातें करें
- पर्याप्त नींद और संतुलित आहार लें
- ज़रूरत हो तो काउंसलर या डॉक्टर से मदद लेने में झिझकें नहीं
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