Pradhan Mantri Dhan Dhanaya Krishi Yojana: अब हर खेत में होगी सालभर फसल — जुड़ा जिला प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना से
Pradhan Mantri Dhan Dhanaya Krishi Yojana: झारखंड के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। पश्चिमी सिंहभूम जिला अब प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना से जुड़ गया है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, उन्नत बीजों और उर्वरकों की सुविधा देकर न केवल उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि किसानों की आय को दोगुना करना भी है।
इस योजना की शुरुआत के साथ ही जिले में कृषि विकास की एक नई दिशा तय होने जा रही है। आत्मा सभागार में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के हर किसान को आत्मनिर्भर बनाना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है।
किसानों को मिलेगा तकनीकी और प्रशिक्षण का लाभ
कार्यक्रम के दौरान पश्चिमी सिंहभूम के उपविकास आयुक्त संदीप कुमार मीणा ने बताया कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के तहत झारखंड के सिमडेगा और पश्चिम सिंहभूम जिलों को शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत किसानों को तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और आधुनिक खेती के साधनों से जोड़ा जाएगा ताकि वे बेहतर कृषि पद्धतियाँ अपनाकर उत्पादन बढ़ा सकें।
अब तक जिले के अधिकांश किसान सिर्फ एक फसली खेती पर निर्भर रहे हैं। लेकिन इस योजना के माध्यम से पांच वर्ष की बहुफसली योजना (Multi-Cropping Plan) तैयार की जाएगी, ताकि किसान साल के बारहों महीने खेती कर सकें और अपनी आय में स्थायी रूप से वृद्धि कर सकें।
बहुफसली खेती और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा
योजना के तहत किसानों को अलग-अलग फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। जहां धान की खेती की जरूरत होगी, वहां धान बोया जाएगा, जबकि अन्य क्षेत्रों में मछली पालन, लाह उत्पादन और मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जाएगा।
साथ ही, किसानों को गाय और बैल रखने के लिए सुविधाएं दी जाएंगी, जिससे दूध उत्पादन में भी वृद्धि होगी।
डीसी मीणा ने बताया कि इस योजना से किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ सकती है, क्योंकि अब उन्हें फसलों के साथ-साथ दुग्ध और मत्स्य उत्पादन से भी लाभ मिलेगा।
महिलाओं और युवाओं को भी मिलेगा रोजगार
योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को कृषि से जोड़ना है।
जिले के महिला समूहों को मधुमक्खी पालन (Honey Bee Farming) से जोड़ा जाएगा, जिससे उन्हें आत्मनिर्भरता और अतिरिक्त आय का अवसर मिलेगा।
वहीं युवाओं को मत्स्य पालन (Fish Farming) से जोड़कर रोजगार के नए रास्ते खोले जाएंगे।
इससे न केवल जिले की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
किसानों को मिलेंगे उन्नत बीज और उर्वरक
धन-धान्य कृषि योजना के तहत किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज, वैज्ञानिक विधियों से तैयार उर्वरक और आधुनिक कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे।
इसके साथ ही किसानों को प्रशिक्षण देकर यह भी सिखाया जाएगा कि मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर कौन सी फसल किस क्षेत्र में सबसे उपयुक्त होगी।
इससे खेतों की उत्पादकता बढ़ेगी और फसलों की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
योजना के तहत कृषि वैज्ञानिकों और स्थानीय अधिकारियों की मदद से मॉडर्न फार्मिंग तकनीक को गांव-गांव तक पहुंचाने की तैयारी की जा रही है।
किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का किसान देश की रीढ़ है, और उसका सशक्त होना भारत के विकास की कुंजी है।
उन्होंने कहा कि आने वाले पाँच वर्षों में इस योजना के ज़रिए किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस योजना के माध्यम से किसानों को सिर्फ खेती करने की तकनीक नहीं, बल्कि कृषि-व्यवसाय (Agri-Business) की समझ भी दी जाएगी।
ताकि वे अपने उत्पाद को मार्केट में बेहतर दाम पर बेच सकें और आर्थिक रूप से मज़बूत बन सकें। पश्चिमी सिंहभूम का चयन क्यों?
पश्चिमी सिंहभूम जिला अपने भौगोलिक और जलवायु स्थिति के कारण कृषि के लिए उपयुक्त माना जाता है।
डीसी मीणा ने बताया कि झारखंड के सिर्फ दो जिलों — सिमडेगा और पश्चिमी सिंहभूम — को इस योजना के लिए चुना गया है।
इससे यह क्षेत्र कृषि नवाचार और ग्रामीण विकास का केंद्र बन सकता है।
उन्होंने कहा, “यह मौका हमारे जिले के लिए बहुत बड़ा है। प्रधानमंत्री की सीधी नजर इस योजना पर है, इसलिए हमें इसे सफल बनाने में पूरी ताकत लगानी होगी।”
आत्मनिर्भर किसान, मजबूत भारत
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का मकसद सिर्फ उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना है।
यह योजना आने वाले वर्षों में पश्चिमी सिंहभूम जैसे जिलों की तस्वीर बदल सकती है, जहाँ किसान एक से अधिक फसलें उगाकर अपनी आय कई गुना बढ़ा सकते हैं।
केंद्र और राज्य सरकार का यह साझा प्रयास ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करेगा और किसानों को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अग्रसर करेगा।
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