"अबकी बार मोदी सरकार" लिखने वाले पीयूष पांडेय का निधन
भारतीय विज्ञापन जगत के बेताज बादशाह Piyush Pandey का 70 साल की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया। इस बात की जानकारी उनकी बहन तृप्ति पांडे ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट के द्वारा साझा की। तृप्ति पांडे ने लिखा “हमारे प्रिय भाई Piyush Pandey आज सुबह में इस दुनिया को अलविदा कह गए। वह सिर्फ भारतीय विज्ञापन जगत के सितारे नहीं थे बल्कि उन लाखों दिलों में चमकते रहेंगे जिन्हें उनकी संवेदनशील लाइनो ने छू लिया था।”
Piyush Pandey की बहन ने दी जानकारी
पीयूष पांडे की दूसरी बहन और लोकप्रिय अभिनेत्री इला अरुण ने बीबीसी के एक सहयोगी पत्रकार को बताया कि उनके भाई का निधन गुरुवार सुबह 5:50 पर हुआ। इला ने कहा कि “पीयूष सांस लेने में दिक्कतों से जूझ रहे थे, उन्हें इंफेक्शन हो गया था जो बढ़ता ही चला गया। मुंबई के एचएन रिलायंस फाऊंडेशन हॉस्पिटल में पिछले एक महीने से उनका इलाज चल रहा था। यही उन्होंने आखिरी सांस ली। हम सभी भाई बहनों में सबसे दुलारा और हमारा सहारा हमें छोड़कर चला गया।”
आपको बता दे कि भारतीय विज्ञापनों को एक खास पहचान देने का श्रेय पीयूष पांडे को दिया जाता है। वह 40 साल से अधिक समय तक विज्ञापन बनाने वाली कंपनी ओगिल्वी इंडिया से जुड़े रहे।
विज्ञापन की दुनिया में कैसे आए पीयूष
प्रारंभिक शिक्षा के समय उनके मां-बाप चाहते थे कि Piyush Pandey इंजीनियर बने। लेकिन पीयूष का कहना था कि अगर वह डॉक्टर बनते तो रोगियों को बहुत परेशानी होती और अगर इंजीनियर बनते तो कई घर टूटते। सेंट स्टीफेंस कॉलेज ने उन्हें सिर्फ आर्ट्स में दाखिला दिया और वहां से उनकी जिंदगी थोड़ी सी बदल गई क्योंकि साइंस और गणित अब उनके बस का रोग नहीं था।
एक एक बार जब पियूष कॉलेज में थे, पढ़ाई के दौरान उन्होंने और उनके दोस्त मशहूर क्रिकेटर अरुण लाल ने यह तय किया था कि जहां भी नौकरी करेंगे एक साथ करेंगे। वह चाय की कंपनी में टी टेस्टर बन कर चले गए थे। लेकिन जब पीयूष ने एमए पूरा किया तो और उन्होंने उनका बायोडाटा मंगवाया और उन्हें भी अपनी कंपनी में नौकरी लगवा दी। जहां पर उन्होंने 3 साल तक टी टेस्टिंग का काम किया। एक दिन जब अरुण ने कहा कि तुम जो चीज बोलते हो दिन भर तुम क्यों नहीं एडवरटाइजिंग में अपना हाथ आजमाते। तब पीयूष मुंबई आए और काफी भाग दौड़ करने के बाद ओगिल्वी ने उन्हें नौकरी दी जहां पर उन्होंने 40 साल तक काम किया।
अपना पहला ऐड पड़ोसी की टीवी पर देखा
Piyush Pandey को शुरू से ही वन लाइनर और पंच लाइन मारने में महारत हासिल थी।
पीयूष के दोस्त अरुण लाल याद करते हैं की शुरुआत में उन्हें विज्ञापनों के प्रति कोई खास दिलचस्पी नहीं थी लेकिन उनके लिए वह एक तरह का एक्सीडेंट था। शुरू से ही इनमें तुकबंदी करने का गुण था। वे जिस तरह से सोचते थे कोई भी वैसा नहीं सोचता था। उनके मुंह से इतने अच्छे वन लाइनर निकलते थे कि मैं उनसे कहा करता था कि तुम्हें तो विज्ञापनों की दुनिया में होना चाहिए था चाय की नौकरी में तुम अपना वक़्त बर्बाद कर रहे हो।
‘चल मेरी लूना’ के विज्ञापन से पीयूष ने पहली बार अपनी पहचान बनाई और दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने अपनी यह कीर्ति पहली बार अपने पड़ोसी के टीवी पर देखी और वह भी उसकी खिड़की के शीशे से।
जब दिया “अबकी बार मोदी सरकार” का नारा
प्रधानमंत्री मोदी को सत्ता में लाने का थोड़ा श्रेय Piyush Pandey को भी जाता है। पीयूष पांडे ने हीं ‘अबकी बार मोदी सरकार’ का नारा दिया था और ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’ का अभियान भी उन्होंने ही चलाया।
पियूष ने बताया था जो टीम हमें ब्रीफ कर रही थी उनकी सोच साफ थी। उनका फैसला था कि मोदी सरकार से लीड करेंगे, भाजपा सरकार से नहीं। इसके बाद मेरा काम और आसान हो गया। लेकिन पीयूष की जिस कृत्य पर उनकी मां को सबसे ज्यादा फक्र था, वो था कालजयी ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’। उन्होंने कहा था कि काश तुम्हारे पिता भी इस कार्य को देखने के लिए जीवित होते।
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