नाडर ने वित्त वर्ष 2024–25 में कुल ₹2,687 करोड़ का दान दिया। यह औसतन हर दिन ₹7.4 करोड़ के बराबर है।
Philanthropy List 2025: भारत के प्रमुख उद्योगपति और HCL टेक्नोलॉजीज के संस्थापक शिव नाडर ने एक बार फिर देश के सबसे बड़े परोपकारी (Philanthropist) का खिताब हासिल किया है।
एडेलगिव हुरुन इंडिया फिलैंथ्रॉपी लिस्ट 2025 के मुताबिक, नाडर ने वित्त वर्ष 2024–25 में कुल ₹2,687 करोड़ का दान दिया। यह औसतन हर दिन ₹7.4 करोड़ के बराबर है। यह लगातार चौथा वर्ष है जब शिव नाडर इस सूची में शीर्ष पर रहे हैं। उनकी परोपकारी संस्था ‘शिव नाडर फाउंडेशन’ देश में शिक्षा और सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
Philanthropy List 2025: शिक्षा को बदलने का मिशन
शिव नाडर का अधिकतर दान शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में जाता है। 1994 में स्थापित उनका फाउंडेशन आज देशभर में कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों का संचालन करता है, जिनमें शिव नाडर यूनिवर्सिटी (ग्रेटर नोएडा), विद्या ज्ञान स्कूल्स, और SSN कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (चेन्नई) शामिल हैं। फाउंडेशन का लक्ष्य ग्रामीण भारत के प्रतिभाशाली लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को विश्वस्तरीय शिक्षा के अवसर प्रदान करना है। नाडर का मानना है कि “शिक्षा ही भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास की असली कुंजी है।”
Philanthropy List 2025: अंबानी और बिड़ला दूसरे व तीसरे स्थान पर
परोपकार की इस सूची में दूसरे स्थान पर हैं रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी, जिन्होंने वर्ष 2024–25 में लगभग ₹480 करोड़ का दान किया।
अंबानी परिवार का अधिकतर योगदान स्वास्थ्य सेवाओं, ग्रामीण विकास, और खेल प्रतिभाओं के प्रोत्साहन पर केंद्रित है।
रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन नीता अंबानी के नेतृत्व में संस्था ने शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और डिजास्टर रिलीफ में भी उल्लेखनीय कार्य किए हैं। तीसरे स्थान पर हैं आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला, जिन्होंने ₹460 करोड़ का दान दिया। उनका योगदान विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रमों में रहा है।
Philanthropy List 2025: महिलाओं में रोहिणी निलेकणी सबसे आगे
महिला परोपकारियों में रोहिणी निलेकणी लगातार शीर्ष पर बनी हुई हैं। उन्होंने पिछले साल ₹120 करोड़ से अधिक का दान किया।
उनकी संस्था ‘रोहिणी निलेकणी फिलैंथ्रॉपी’ जल संरक्षण, नागरिक समाज सशक्तिकरण और शिक्षा सुधारों पर काम करती है।
उन्होंने कहा था, “भारत की प्रगति तभी संभव है जब हर नागरिक को समान अवसर और संसाधन मिलें।”
महिलाओं की सूची में दूसरे नंबर पर लीना गांधी तिवारी (यूएसवी प्राइवेट लिमिटेड) और तीसरे पर किरण मजूमदार-शॉ (बायोकॉन) हैं, जिन्होंने क्रमशः स्वास्थ्य और विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
Philanthropy List 2025: नए परोपकारी, नई सोच
एडेलगिव हुरुन रिपोर्ट में इस बार कई नए नाम शामिल हुए हैं, जो भारत की नई पीढ़ी के उद्यमियों की सामाजिक प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक बिन्नी बंसल, जोमैटो के दीपिंदर गोयल, और नायका की फाल्गुनी नायर पहली बार सूची में शामिल हुए हैं। इनका दान मुख्य रूप से शिक्षा, स्टार्टअप इनोवेशन और सामाजिक कल्याण प्रोजेक्ट्स पर केंद्रित है।रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अब भारत में परोपकार की संस्कृति युवा उद्यमियों और टेक कंपनियों के जरिए तेज़ी से बढ़ रही है।
Philanthropy List 2025: टेक सेक्टर सबसे आगे
कुल परोपकार में लगभग 60% योगदान टेक्नोलॉजी सेक्टर से जुड़े उद्यमियों का रहा है। आईटी कंपनियों के संस्थापकों जैसे इंफोसिस, विप्रो, एचसीएल, और टीसीएस ने इस साल भी शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट और डिजिटल इनक्लूजन के क्षेत्र में भारी निवेश किया।
विप्रो के अज़ीम प्रेमजी भी शीर्ष दस में शामिल हैं, जिन्होंने लगभग ₹430 करोड़ का योगदान दिया।
Philanthropy List 2025: भारत में परोपकार का बढ़ता दायरा
एडेलगिव हुरुन इंडिया के अनुसार, भारत में दान की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है। 2023 की तुलना में इस साल ₹5 करोड़ से अधिक दान करने वालों की संख्या 120 से बढ़कर 160 हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय उद्यमी अब केवल आर्थिक सफलता पर नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन पर भी ध्यान दे रहे हैं।
एडेलगिव फाउंडेशन की सीईओ नीलिमा ठाकर ने कहा “भारत में परोपकार अब जिम्मेदारी नहीं, बल्कि गर्व का विषय बन चुका है। कारोबारी परिवार अब समाज के विकास को अपने बिज़नेस एजेंडा का हिस्सा बना रहे हैं।”
Philanthropy List 2025: सामाजिक निवेश का नया युग
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारतीय परोपकार का स्वरूप और भी व्यापक होगा।
कॉरपोरेट हाउस और टेक दिग्गज अब जलवायु परिवर्तन, डिजिटल एजुकेशन, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं और महिलाओं के उद्यमिता कार्यक्रमों में अधिक निवेश कर रहे हैं।शिव नाडर, अंबानी और बिड़ला जैसे उद्योगपतियों के प्रयासों ने यह साबित कर दिया है कि भारत में “Wealth Creation with Purpose” की अवधारणा मजबूत हो रही है।
इन दानदाताओं ने न केवल आर्थिक विकास में योगदान दिया है, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में भी ठोस कदम उठाए हैं।
