Gen-Z बन गई पाकिस्तान की सबसे बड़ी चुनौती, POK में शहबाज-मुनीर की साख दांव पर
POK Gen-Z protest: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में इन दिनों आग लगी हुई है। यह आग किसी आतंकी हमले या सीमा संघर्ष की नहीं, बल्कि युवाओं की नाराज़गी की है। जिस पीढ़ी को पाकिस्तान के नेता “भविष्य का कर्णधार” कहते आए हैं, वही Generation-Z अब इस्लामाबाद और सेना दोनों के खिलाफ खुलकर सड़क पर उतर आई है।
मुज़फ्फराबाद, रावलकोट और मीरपुर जैसे शहरों में छात्र आंदोलन ने शिक्षा सुधार से शुरू होकर अब शासन और सेना की नीतियों को चुनौती देने वाला जनविस्फोट का रूप ले लिया है।
POK Gen-Z protest: शिक्षा से शुरू हुआ आंदोलन, राजनीतिक बवंडर बन गया
इस पूरे आंदोलन की शुरुआत मुज़फ्फराबाद यूनिवर्सिटी से हुई। छात्रों ने फीस में अचानक की गई बढ़ोतरी, खराब मूल्यांकन व्यवस्था और ई-मार्किंग सिस्टम का विरोध किया। धीरे-धीरे इस आंदोलन में अन्य विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, शिक्षकों और आम नागरिकों की भागीदारी बढ़ी।
लेकिन जो चीज़ इसे विशेष बनाती है, वह यह कि युवाओं ने पहली बार खुले तौर पर पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ नारे लगाए।
लोग सड़कों पर “मुनीर हाय-हाय” और “शहबाज जवाब दो” जैसे नारे लगाने लगे।
यानी यह अब सिर्फ शिक्षा या आर्थिक असमानता का विरोध नहीं रहा, बल्कि पाकिस्तान के पूरे सत्ता ढांचे के खिलाफ एक युवा क्रांति का रूप ले चुका है।
POK Gen-Z protest: शहबाज शरीफ और जनरल मुनीर की मुश्किलें बढ़ीं
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के लिए यह स्थिति बेहद असहज है। पहली बार POK जैसे संवेदनशील इलाके में लोग यह कह रहे हैं कि “इस्लामाबाद हमें सिर्फ इस्तेमाल करता है, देता कुछ नहीं।”
सेना पर आरोप लग रहे हैं कि वह POK के प्राकृतिक संसाधनों और करों का फायदा उठाती है, जबकि इलाके में बेरोज़गारी, महंगाई और बिजली संकट चरम पर है।
मुनीर और शहबाज दोनों इस आंदोलन को शांत करने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन युवा वर्ग किसी समझौते के मूड में नहीं है।
POK Gen-Z protest: सड़कें बनी रणभूमि, इंटरनेट बंद
पिछले कुछ दिनों में पुलिस और छात्रों के बीच कई हिंसक झड़पें हुई हैं। मुज़फ्फराबाद, रावलकोट और कोटली में हालात तनावपूर्ण हैं। सरकार ने कई इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं, ताकि आंदोलन की तस्वीरें और वीडियो बाहर न जा सकें। लेकिन TikTok, X और Instagram जैसे प्लेटफॉर्म पर POK के युवा लगातार वीडियो पोस्ट कर रहे हैं, जिनमें वे कहते दिख रहे हैं “हम पाकिस्तान नहीं, अपने अधिकार चाहते हैं।”
यह संदेश पाकिस्तान की सत्ता और सेना दोनों के लिए खतरे की घंटी है।
POK Gen-Z protest: Gen-Z का नया रूप, डर नहीं, बदलाव की मांग
पाकिस्तान की Gen-Z वह पीढ़ी है जिसने सोशल मीडिया, बेरोज़गारी और सेना के हस्तक्षेप वाले देश में आंखें खोली हैं। वे न तो पुराने नेताओं से प्रभावित हैं, न ही इस्लामाबाद के झूठे वादों से। यह वर्ग अब सवाल कर रहा है कि POK में शिक्षा और स्वास्थ्य की हालत इतनी खराब क्यों है?
प्राकृतिक संसाधनों से अरबों डॉलर की कमाई होती है, फिर भी लोग गरीबी में क्यों हैं? सेना क्यों हर निर्णय में दखल देती है? न सवालों के जवाब पाकिस्तान की सत्ता के पास नहीं हैं, और यही इस आंदोलन की असली ताकत है।
POK Gen-Z protest: अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और भारत की निगरानी
इस आंदोलन का असर अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दिखने लगा है। भारत ने इसे “POK के असली जन असंतोष” के रूप में पेश करने की रणनीति अपनाई है। भारतीय विश्लेषकों का कहना है कि यह वही इलाका है जिसे पाकिस्तान आतंक का अड्डा बनाकर रखता आया था, अब वहीं के युवा सेना के खिलाफ खड़े हैं। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने भी स्थिति पर चिंता जताई है।
हालांकि पाकिस्तान सरकार इन प्रदर्शनों को “विदेशी साजिश” बताने में लगी है,
लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट्स कुछ और ही कहती हैं। यह पाकिस्तान की नीतियों के खिलाफ अंदर से उठी बगावत है।
