jawaharlal nehru jayanti 2025 : पहले प्रधानमंत्री नेहरू, वो नेता जिन्होंने भारत को बदला जानें उनकी पूरी कहानी
jawaharlal nehru jayanti 2025: जवाहरलाल नेहरू — एक ऐसा नाम, जिसे भारत के हर बच्चे ने कभी-न-कभी “चाचा नेहरू” के नाम से जरूर सुना है। वे सिर्फ आज़ादी के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री नहीं थे, बल्कि आधुनिक भारत की नींव रखने वाले सबसे महत्वपूर्ण नेताओं में से एक थे। उनका जीवन संघर्ष, विचार और राष्ट्र निर्माण की कहानी से भरा हुआ है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में एक सम्पन्न कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ। उनके पिता, मोतीलाल नेहरू, एक मशहूर बैरिस्टर और स्वतंत्रता संग्राम के वरिष्ठ नेता थे। माँ स्वरूपरानी कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थीं।
नेहरू को बचपन से ही बेहतरीन शिक्षा मिली। उन्होंने इंग्लैंड के हैरो स्कूल और ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल की। इंग्लैंड में रहते हुए उनके विचारों पर समाजवाद, राष्ट्रवाद और विश्व राजनीति का गहरा असर पड़ा।
1912 में भारत लौटने के बाद उन्होंने वकालत शुरू की, पर जल्दी ही राजनीति की ओर उनका झुकाव बढ़ गया।
स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ाव
नेहरू का असली राजनीतिक जीवन 1919 में महात्मा गांधी के संपर्क में आने के बाद शुरू हुआ। गांधी के शांतिपूर्ण संघर्ष, सविनय अवज्ञा और असहयोग की नीति ने उन्हें बहुत प्रभावित किया।
उन्होंने खादी पहनना शुरू कर दिया, महंगी जीवनशैली छोड़ दी और पूरे मन से स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।
- उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।
- उन्होंने 1920 के असहयोग आंदोलन और 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में अहम भूमिका निभाई।
- 1929 में वे कांग्रेस के अध्यक्ष बने और पूर्ण स्वराज का ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया।
- 26 जनवरी 1930 को उन्होंने लाहौर में स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया—यही तारीख आगे चलकर गणतंत्र दिवस बनी।
आंदोलन के लंबे संघर्ष में नेहरू जनता के प्रिय नेता बन गए।
आजादी और प्रथम प्रधानमंत्री का कार्यकाल
1947 में भारत स्वतंत्र हुआ और जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। उनके सामने एक नया, बिखरा हुआ, गरीबी से जूझता राष्ट्र था। उन्हें 500 से अधिक रियासतों को एक साथ जोड़कर एक आधुनिक राष्ट्र का निर्माण करना था।
नेहरू ने लोकतंत्र, संविधान, विज्ञान और विकास को आगे बढ़ाने के लिए कई बड़े कदम उठाए—
1. मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव
भारत को एक बहुदलीय और स्थिर लोकतंत्र बनाया।
संविधान लागू होने के बाद लोकतंत्र को जनता का शक्ति केंद्र बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रही।
2. उद्योग और विज्ञान को बढ़ावा
उन्होंने योजना आयोग बनाया।
बड़े उद्योग, बांध और वैज्ञानिक संस्थान स्थापित किए।
एटॉमिक एनर्जी, IIT और अन्य तकनीकी संस्थानों के निर्माण में उनका बड़ा योगदान रहा।
3. कृषि और पंचवर्षीय योजनाएँ
पहली तीन पंचवर्षीय योजनाओं ने देश में कृषि और औद्योगिक विकास का रास्ता खोला।
4. विदेश नीति और गुट निरपेक्ष आंदोलन
नेहरू ने न तो अमेरिका और न ही सोवियत संघ के पक्ष में झुकने वाली नीति अपनाई।
उन्होंने मिस्र के नासिर और यूगोस्लाविया के टिटो के साथ मिलकर गुट निरपेक्ष आंदोलन (NAM) की शुरुआत की। इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान मजबूत हुई।
चुनौतियाँ और कठिन दौर
हालाँकि नेहरू को कई उपलब्धियाँ मिलीं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी रहीं।
- पाकिस्तान से कश्मीर मुद्दा हल नहीं हो सका।
- चीन के साथ दोस्ती की कोशिशों के बावजूद 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया। यह नेहरू के लिए बेहद दर्दनाक आघात था।
इसके बावजूद जनता में उनकी लोकप्रियता बनी रही क्योंकि वे ईमानदारी, सरलता और भारतीयता के प्रतीक बन चुके थे।
लेखन और विचार
नेहरू सिर्फ नेता ही नहीं, एक बेहतरीन लेखक भी थे।
उनकी प्रमुख किताबें—
- मेरी कहानी
- विश्व इतिहास की झलक
- भारत की खोज (The Discovery of India)
इन पुस्तकों में उनका इतिहास, संस्कृति और सभ्यता के प्रति गहरा दृष्टिकोण दिखता है। “भारत की खोज” पर आधारित टीवी धारावाहिक आज भी लोगों को भारत की पहचान से जोड़ता है।
अंतिम दिन और विरासत
27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से जवाहरलाल नेहरू का निधन हो गया। उनकी मृत्यु के साथ एक युग का अंत हुआ, लेकिन उनका सपना—
एक आधुनिक, वैज्ञानिक सोच वाला, लोकतांत्रिक भारत—आज भी देश की नींव में मौजूद है। हर वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि नेहरू बच्चों से विशेष प्रेम करते थे।
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