जम्मू के नरवाल इलाके में गुरुवार को पत्रकार अर्फाज अहमद डैंग का घर जमींदोज किए जाने के बाद मामला लगातार गर्माता जा रहा है।
Jammu journalist house demolition: जम्मू के नरवाल इलाके में गुरुवार को पत्रकार अर्फाज अहमद डैंग का घर जमींदोज किए जाने के बाद मामला लगातार गर्माता जा रहा है। जहां एक ओर पत्रकार वकीलों के संगठन प्रशासन की कार्रवाई को गैरकानूनी बताकर विरोध जता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार और अधिकारियों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। इसी बीच एक स्थानीय व्यक्ति ने मानवीय आधार पर डैंग और उनके परिवार की मदद के लिए जमीन दान करने की घोषणा करके सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
वरिष्ठ वकीलों ने कार्रवाई पर उठाए सवाल
Jammu journalist house demolition की शुरुआत तब हुई जब जम्मू विकास प्राधिकरण (JDA) ने डैंग का एकमंजिला घर अतिक्रमण हटाने की मुहिम के तहत ढहा दिया। कार्रवाई के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता शेख शकील अहमद ने प्रशासन पर गंभीर प्रश्न उठाए।
उन्होंने पूछा कि “क्या JDA ने मकान गिराने से पहले निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया? क्या नोटिस दिया गया? क्या अपील का अवसर उपलब्ध कराया गया?”
शेख शकील ने आगे आरोप लगाया कि शहर के जनिपुर इलाके में राज्यपाल के सलाहकार रहे कविंदर गुप्ता का मकान भी कथित रूप से अवैध जमीन पर बना है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वास्तव में कानून का पालन कराना चाहती है, तो कार्रवाई चुनिंदा लोगों पर नहीं बल्कि सभी पर समान रूप से होनी चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने Jammu journalist house demolition मामले पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से हस्तक्षेप और निष्पक्ष जांच की मांग की।
स्थानीय निवासी ने दिखाई इंसानियत, 5 मरला जमीन दान की
जब डैंग का परिवार घर टूटने के बाद बेघर सा हो गया, तभी जम्मू के रहने वाले कुलदीप कुमार शर्मा आगे आए और मानवता का परिचय देते हुए पत्रकार के नाम पांच मरला (लगभग 1360 वर्ग फीट) जमीन देने की घोषणा की।
मीडिया के सामने डैंग को गले लगाते हुए भावुक शर्मा ने कहा “डैंग मेरा भाई है। मैं उसे सड़क पर नहीं रहने दूंगा। उसके छोटे बच्चों को देखकर दिल टूट गया। मैं अपनी बेटी से जमीन के कागज़ लेकर आया हूं और इन्हें सौंप रहा हूं। चाहे इसके लिए भिक्षा क्यों न मांगनी पड़े, मैं इसका नया घर बनवाऊंगा।”
शर्मा की पहल की सोशल मीडिया और स्थानीय समुदाय में खूब सराहना हो रही है। लोगों का कहना है कि ऐसी परिस्थितियों में इंसानियत ही असली ताकत है।
राजनीतिक पारा चढ़ा: CM उमर अब्दुल्ला का आरोप
विवाद बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि “राजभवन द्वारा नियुक्त अधिकारी एक खास समुदाय को टारगेट कर रहे हैं। केवल चुनिंदा लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जबकि कई बड़े नाम जिनके कब्जे कथित रूप से अवैध हैं, उन पर कोई हाथ नहीं डालता।”
उमर ने प्रशासन से सभी अवैध कब्जों की सूची सार्वजनिक करने की मांग की, जिससे यह पता चल सके कि कार्रवाई पारदर्शी और बिना भेदभाव के की जा रही है या नहीं।
भाजपा नेता ने भी जताई चिंता
भाजपा के प्रदेश पूर्व अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि पार्टी पत्रकार अर्फाज डैंग और उनके परिवार के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि परिवार की हर संभव मदद की जाएगी।
हालांकि, रैना ने इस कार्रवाई को लेकर उमर सरकार पर भी सवाल उठाए और कहा कि प्रशासन को यह स्पष्ट करना चाहिए कि किन आधारों पर इस मकान को तोड़ा गया और क्या उचित नोटिस दिया गया था।
डैंग का आरोप “मेरी पत्रकारिता से नाराज थे अधिकारी”
पत्रकार अर्फाज डैंग ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनका घर लगभग 40 वर्षों से उसी जगह पर बना था और उनका परिवार उसी में रह रहा था। उनका आरोप है कि उनकी पत्रकारिता कुछ अधिकारियों को पसंद नहीं थी, इसलिए मकान को अतिक्रमण के नाम पर निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा “अगर यह जमीन अवैध कब्जे में थी, तो इतने साल तक किसी ने क्यों नहीं बताया? अचानक इतने बड़े बल के साथ मेरा घर गिराया गया। यह सीधा हमला है मेरी आवाज़ पर।”
कार्रवाई के दौरान मौके पर भारी पुलिस और अर्धसैनिक बल तैनात थे ताकि किसी तरह का विरोध या तनाव न हो सके।
प्रशासन का पक्ष “अतिक्रमण हटाने का अभियान”
जम्मू प्रशासन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि डैंग का मकान JDA की जमीन पर अवैध रूप से बना था और इसे हटाना अतिक्रमण विरोधी अभियान का हिस्सा था।
प्रशासन ने कहा कि शहर में कई जगहों पर अवैध कब्जे हटाए जा रहे हैं और यह कार्रवाई किसी विशेष व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ नहीं है।
मामला अब बन चुका है बड़ा मुद्दा
डैंग का घर तोड़े जाने की घटना ने जम्मू में राजनीतिक, कानूनी और सामाजिक स्तर पर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। एक तरफ प्रशासन अपनी कार्रवाई को सही बता रहा है, तो दूसरी ओर पत्रकार, वकील और राजनीतिक नेता इसे भेदभाव बताकर विरोध कर रहे हैं।
कुलदीप शर्मा की मानवीय पहल इस पूरे विवाद के बीच उम्मीद की एक किरण बनकर सामने आई है। लेकिन अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि क्या सरकार पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ इस मामले की जांच करेगी या विवाद और गहराएगा।






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