Aniruddhacharya controversy: उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज के विवादित बयान का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। महिलाओं पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद शुरू हुआ यह विवाद अब कानूनी मोड़ ले चुका है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के आधार पर उनके खिलाफ दायर याचिका को मथुरा की सीजेएम उत्सव राज गौरव की अदालत ने स्वीकार कर लिया है। अदालत द्वारा परिवाद दर्ज किए जाने के बाद अब इस मामले में कानूनी प्रक्रिया तेज होने जा रही है, और संभावना है कि अनिरुद्धाचार्य महाराज को आगे चलकर अदालत में पेश होना पड़ सकता है।
क्या है Aniruddhacharya controversy?
विवाद की जड़ वह वीडियो है जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था। इस वीडियो में स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज अविवाहित महिलाओं को लेकर ऐसी टिप्पणी करते नजर आए, जिसने आम लोगों से लेकर महिला संगठनों तक तीखी प्रतिक्रिया पैदा कर दी।
वायरल वीडियो में कथावाचक ने कहा था कि “25 वर्ष तक की शादी योग्य अविवाहित कन्याएं 4-5 जगह मुंह मार चुकी होती हैं, तभी वे विवाह पर विचार करती हैं। ऐसी महिलाएं विवाह के बाद पति के साथ जीवन निर्वहन नहीं कर सकतीं।”
इस कथन को महिलाओं के सम्मान के खिलाफ बताया गया और इसे सीधे-सीधे उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला अपराध माना गया। याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि कथित बयान 25 वर्ष या उससे अधिक आयु की अविवाहित महिलाओं के प्रति समाज में गलत संदेश देता है और भेदभाव को बढ़ावा देता है।
मथुरा से लेकर वाराणसी तक इस वीडियो को लेकर विरोध प्रदर्शनों का दौर देखा गया। महिलाओं के समूहों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे स्त्री सम्मान के विरुद्ध बताते हुए कठोर कार्रवाई की मांग शुरू कर दी थी।
14 वर्ष में विवाह कराने वाला बयान भी विवादों में
यह पहली बार नहीं है जब अनिरुद्धाचार्य महाराज अपने बयानों को लेकर विवादों के घेरे में आए हैं। इससे पहले भी एक वीडियो में वे यह कहते दिखे थे कि “माता-पिता को अपनी पुत्री का विवाह 14 वर्ष की आयु में कर देना चाहिए।”
इस बयान को दो युवा महिला वकीलों ने चुनौती देते हुए मथुरा कोर्ट में केस दर्ज कराया था। उनका कहना था कि यह टिप्पणी बाल विवाह को बढ़ावा देने वाली और भारतीय कानूनों एवं सामाजिक नीतियों के खिलाफ है। भारत में बाल विवाह कानून के तहत 18 वर्ष से कम आयु में लड़की का विवाह कराना दंडनीय अपराध है। ऐसे में कथावाचक का यह सुझाव गंभीर विवाद का विषय बन गया था।इन दोनों मामलों ने मिलकर अनिरुद्धाचार्य को राष्ट्रीय स्तर पर निशाने पर ला दिया। कई सामाजिक संगठन, महिला अधिकार समूह तथा कानूनी विशेषज्ञ लगातार उनके बयानों की निंदा कर रहे हैं।
मीरा राठौर की याचिका ने तेज की कानूनी कार्रवाई
अखिल भारत हिंदू महासभा की आगरा जिलाध्यक्ष मीरा राठौर ने अनिरुद्धाचार्य के विवादित बयान के खिलाफ मथुरा कोर्ट में परिवाद दायर किया था। उन्होंने इसे महिलाओं के सम्मान का गंभीर उल्लंघन बताते हुए अदालत से कठोर कार्रवाई की मांग की।
कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद परिवाद को स्वीकार करते हुए इसे आधिकारिक रूप से दर्ज कर लिया। इस फैसले के बाद मामला औपचारिक रूप से अदालत की प्रक्रिया में आ चुका है। अब 1 जनवरी 2026 को होने वाली सुनवाई में मीरा राठौर के बयान दर्ज किए जाएंगे, जिसके बाद कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार यदि बयानों को महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला माना जाता है, तो भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराएं इस मामले में लागू हो सकती हैं। इनमें महिलाओं की प्रतिष्ठा को आहत करने वाली टिप्पणियों से जुड़े प्रावधान विशेष रूप से शामिल हैं।
सामाजिक और धार्मिक हलकों में बहस तेज
स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज के समर्थक उनके बयान को संदर्भ से हटाकर पेश किए जाने की बात कर रहे हैं, जबकि विरोधियों का कहना है कि कथावाचक जैसे प्रभावशाली लोगों द्वारा ऐसी टिप्पणियां समाज में नकारात्मक असर छोड़ती हैं।
धार्मिक जगत में भी इस मुद्दे को लेकर दोहरी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ संत और कथावाचक इस बयान को ‘अत्यधिक आपत्तिजनक’ बताकर इसका विरोध कर रहे हैं, वहीं कुछ इसे ‘गलतफहमी’ का परिणाम बता रहे हैं।
अब आगे करवाई
अब जब कोर्ट ने मामले को आधिकारिक रूप से दर्ज कर लिया है, तो आने वाले महीनों में यह विवाद और भी बड़ा रूप ले सकता है। कानूनी प्रक्रिया के तहत याचिकाकर्ता के बयान दर्ज होंगे संबंधित वीडियो और सबूतों की जांच की जाएगी।
जरूरत पड़ने पर कथावाचक को अदालत में उपस्थित होने के आदेश दिए जा सकते हैं इस विवाद ने समाज में यह महत्वपूर्ण प्रश्न भी खड़ा कर दिया है कि प्रभावशाली धार्मिक वक्ताओं की जिम्मेदारी क्या होनी चाहिए, और महिलाओं तथा युवा पीढ़ी पर उनके विचारों का क्या प्रभाव पड़ता है।






