Posting Zero Trend: सोशल मीडिया पर सन्नाटा क्यों? युवाओं ने क्यों बंद की पोस्टिंग
Posting Zero Trend: आज की दुनिया देखने में पूरी तरह ऑनलाइन लगती है। हर हाथ में मोबाइल, हर जेब में इंटरनेट और हर पल स्क्रीन से जुड़ी ज़िंदगी। लेकिन इस डिजिटल शोर के बीच एक चुपचाप होता बदलाव सबका ध्यान खींच रहा है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल घट रहा है, और सबसे ज्यादा दूरी वही युवा बना रहे हैं, जिनके बिना सोशल मीडिया की कल्पना भी नहीं की जाती थी।
हाल ही में 50 देशों में किए गए एक बड़े सर्वे में सामने आया है कि सोशल मीडिया यूज करीब 10 प्रतिशत तक गिर गया है। यह सर्वे लगभग 2.5 लाख यूजर्स पर किया गया था। हैरानी की बात यह है कि गिरावट सबसे ज्यादा युवाओं में देखी गई है। वही युवा, जिनकी सुबह इंस्टाग्राम से शुरू होती थी और रात रील्स पर खत्म होती थी।
Why People Stop Posting on Social Media?
कुछ साल पहले तक सोशल मीडिया का मतलब था—दोस्तों की तस्वीरें, परिवार के पल, ट्रैवल की यादें और रोजमर्रा की छोटी-छोटी खुशियां। लेकिन अब टाइमलाइन बदल चुकी है। आज स्क्रीन पर सबसे पहले विज्ञापन, फिर लगातार चलने वाली रील्स, और उसके बाद AI से बना कंटेंट दिखाई देता है।
लोग अब अपने जान-पहचान वालों को कम और अजनबियों को ज्यादा देख रहे हैं। यही बदलाव एक नए ट्रेंड को जन्म दे रहा है, जिसे कहा जा रहा है— ‘Posting Zero’। यानी लोग सोशल मीडिया पर मौजूद तो हैं, लेकिन पोस्ट करना बंद कर चुके हैं।
प्राइवेसी का डर और भरोसे की कमी
‘Posting Zero’ शब्द का जिक्र सबसे पहले द न्यू यॉर्कर के कॉलमनिस्ट काइल चायका ने किया था। उनके मुताबिक, लोग अब सोशल मीडिया को सुरक्षित नहीं मानते।
डीपफेक वीडियो, ऑनलाइन स्कैम और फर्जी प्रोफाइल्स ने लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है।
आज एक फोटो पोस्ट करने से पहले लोग दस बार सोचते हैं— कहीं इसका गलत इस्तेमाल न हो जाए, कहीं कोई मज़ाक या ट्रोलिंग न शुरू हो जाए। जहां पहले सोशल मीडिया अपनापन देता था, वहीं अब वह असहजता और तनाव देने लगा है।
AI और बॉट्स से भरा इंटरनेट
इस ट्रेंड को ‘Dead Internet Theory’ से भी जोड़ा जा रहा है। इस थ्योरी के मुताबिक, इंटरनेट का बड़ा हिस्सा अब इंसानों से नहीं, बल्कि AI और बॉट्स से भरा है।
कमेंट्स हों या लाइक्स—कई बार असली इंसान पीछे छूट जाता है और एल्गोरिदम आगे आ जाता है।
यही वजह है कि असली यूजर्स खुद को इस भीड़ में अकेला महसूस करने लगे हैं।
मुनाफे ने बदल दिया सोशल मीडिया का मकसद
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का असली उद्देश्य लोगों को जोड़ना था। लेकिन धीरे-धीरे यह मुनाफे का जरिया बन गया। अब कंटेंट से पहले विज्ञापन दिखते हैं।
विज्ञापन हटाने के लिए सब्सक्रिप्शन खरीदने का दबाव होता है।
यूजर को जितना ज़्यादा रोका जाए, उतना ज़्यादा कमाया जाए—यही रणनीति प्लेटफॉर्म्स की पहचान बन चुकी है। इसका नतीजा यह हुआ कि यूजर एक्सपीरियंस बिगड़ता चला गया, और लोग चुपचाप दूरी बनाने लगे।
सोशल मीडिया खत्म नहीं हुआ, बस बदल रहा है
यह कहना गलत होगा कि सोशल मीडिया मर रहा है। वह अब भी मौजूद है, लेकिन उससे रिश्ता बदल रहा है। लोग देख रहे हैं, पढ़ रहे हैं, लेकिन खुद को दिखाने से बच रहे हैं।
‘Posting Zero’ दरअसल एक संकेत है कि लोग फिर से सुकून, प्राइवेसी और असल ज़िंदगी की तरफ लौटना चाहते हैं।
शायद आने वाला दौर ज्यादा पोस्ट करने का नहीं,
बल्कि कम दिखाने और ज्यादा जीने का होगा, हलाकि अभी सोशल मीडिया प्रोमिनाशन और शॉपिंग अप्प ज्यादा लग्र है।
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