Bangladesh student leader death: शरीफ़ उस्मान हादी कौन थे? जिनकी मौत के बाद बांग्लादेश सुलग उठा
Bangladesh student leader death: बांग्लादेश इन दिनों एक बार फिर हिंसा और अशांति के दौर से गुजर रहा है। वजह बनी है युवा छात्र नेता और राजनीतिक कार्यकर्ता शरीफ़ उस्मान हादी की मौत। जैसे ही उनके निधन की खबर सामने आई, राजधानी ढाका समेत कई शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए। देखते ही देखते प्रदर्शन हिंसा में बदल गया और कई इमारतों को आग के हवाले कर दिया गया।
कौन थे शरीफ़ उस्मान हादी?
Sharif Usman Hadi बांग्लादेश के चर्चित छात्र आंदोलन से उभरे एक प्रमुख युवा नेता थे। साल 2024 में शेख़ हसीना सरकार के खिलाफ हुए उग्र छात्र आंदोलन में उनका नाम सबसे आगे रहा। वह “इंकलाब मंच” नाम के संगठन से जुड़े थे, जो शेख़ हसीना की अवामी लीग सरकार का मुखर विरोध करता रहा है।
हादी सिर्फ एक आंदोलनकारी ही नहीं, बल्कि लेखक और राजनीतिक विचारक भी माने जाते थे। युवाओं के बीच उनकी गहरी पकड़ थी और वह अक्सर सरकार, सत्ता और लोकतंत्र पर खुलकर बोलते थे। आने वाले चुनावों में वे ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे थे।
हादी पर हमला कैसे हुआ?
पिछले शुक्रवार, जब शरीफ़ उस्मान हादी जुमे की नमाज़ पढ़कर ढाका की एक मस्जिद से बाहर निकले, तभी उन पर हमला हुआ। बाइक सवार हमलावरों ने बेहद नजदीक से उनके सिर में गोली मार दी। गोली लगते ही वह गंभीर रूप से घायल हो गए।
पहले उन्हें ढाका के अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत नाजुक होने के कारण 15 दिसंबर को सिंगापुर एयरलिफ्ट किया गया। वहां डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की, लेकिन 18 दिसंबर 2025 को उनकी मौत हो गई।
मौत की खबर और भड़की हिंसा
हादी की मौत की खबर फैलते ही बांग्लादेश में गुस्सा फूट पड़ा। ढाका के धानमंडी, शाहबाग, रामना जैसे इलाकों में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। विरोध प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गए।
प्रदर्शनकारियों ने देश के दो बड़े अखबारों “प्रोथोम आलो” और “डेली स्टार” के दफ्तरों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। उस वक्त कई पत्रकार इमारतों के अंदर फंसे हुए थे, जिन्हें बाद में सेना और दमकल विभाग ने सुरक्षित बाहर निकाला।
इतना ही नहीं, बांग्लादेश के संस्थापक राष्ट्रपति शेख़ मुजीबुर रहमान के पुराने आवास में भी तोड़फोड़ की गई। चटगांव, राजशाही जैसे शहरों में भी हिंसा की खबरें सामने आईं।
भारतीय उच्चायोग पर हमला
गुरुवार रात ढाका में स्थित भारतीय सहायक उच्चायोग के बाहर भी प्रदर्शन हुआ। भीड़ ने पत्थरबाज़ी की और भारत विरोधी नारे लगाए। इसके बाद भारत ने इस मुद्दे पर बांग्लादेश सरकार से कड़ी आपत्ति जताई।
सरकार का बयान और शोक
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने रात 11:20 बजे राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि इस हत्या में शामिल लोगों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
यूनुस ने कहा कि, “हादी लोकतंत्र और बदलाव की आवाज थे। उनकी हत्या देश को अस्थिर करने की साजिश है, जिसे सफल नहीं होने दिया जाएगा।”
सरकार ने एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। साथ ही यह भी कहा गया कि हादी की पत्नी और उनके इकलौते बच्चे की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी।
राजनीतिक माहौल और सवाल
हादी की हत्या ऐसे वक्त पर हुई है, जब बांग्लादेश में फरवरी 2026 में चुनाव होने हैं। शेख़ हसीना पहले ही सत्ता से बाहर हैं और भारत में शरण लिए हुए हैं। ऐसे में इस हत्या ने देश के राजनीतिक माहौल को और ज्यादा तनावपूर्ण बना दिया है।
सबसे बड़ा सवाल यही है—
क्या यह सिर्फ एक हत्या है, या चुनाव से पहले बांग्लादेश को अस्थिर करने की बड़ी साजिश?
हादी की मौत ने यह साफ कर दिया है कि बांग्लादेश की राजनीति अभी भी बेहद नाज़ुक दौर से गुजर रही है, और एक चिंगारी पूरे देश को आग में झोंक सकती है।
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