चिकित्सकों के अनुसार अल्सर पेट या आंत की अंदरूनी परत में बनने वाला घाव होता है
आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी, गलत खान-पान और बढ़ते तनाव के कारण पेट से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। इन्हीं में से एक गंभीर समस्या है Stomach ulcer (अल्सर), जिसे अक्सर लोग मामूली गैस या एसिडिटी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। चिकित्सकों के अनुसार अल्सर पेट या आंत की अंदरूनी परत में बनने वाला घाव होता है, जो समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ता जाता है और सही समय पर इलाज न मिलने पर गंभीर रूप ले सकता है।
Stomach ulcer के लक्षण
विशेषज्ञों का कहना है कि अल्सर की सबसे बड़ी समस्या यह है कि शुरुआती दौर में इसके लक्षण हल्के होते हैं। इसी वजह से लोग डॉक्टर से सलाह नहीं लेते और बीमारी बढ़ती चली जाती है। पेट में जलन, लगातार दर्द, खट्टी डकारें आना, उलटी जैसा महसूस होना और भूख कम लगना इसके आम लक्षण हैं। कुछ मामलों में खून की उलटी या काले रंग का मल भी अल्सर का संकेत हो सकता है, जो बेहद खतरनाक स्थिति मानी जाती है।
आयुर्वेद की नजर में अल्सर
आयुर्वेद में Stomach ulcer को केवल एक शारीरिक बीमारी नहीं, बल्कि पाचन अग्नि की गड़बड़ी से जुड़ा रोग माना गया है। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार जब व्यक्ति लंबे समय तक गलत खान-पान करता है, जरूरत से ज्यादा तनाव लेता है और दिनचर्या बिगड़ी रहती है, तो पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। यही कमजोरी आगे चलकर अल्सर जैसी समस्या को जन्म देती है।
अल्सर होने के मुख्य कारण
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार अल्सर होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं। सबसे बड़ा कारण है अत्यधिक तेल-मसालेदार और तीखा भोजन। जिन लोगों के खाने में लंबे समय से मिर्च और मसालों की मात्रा अधिक रहती है, उनमें Stomach ulcer का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा लंबे समय तक खाली पेट रहना भी पेट की अंदरूनी परत को नुकसान पहुंचाता है। तनाव और चिंता भी अल्सर को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारणों में शामिल हैं। मानसिक दबाव का सीधा असर पाचन तंत्र पर पड़ता है।
चाय, कॉफी, सिगरेट और शराब का अत्यधिक सेवन भी अल्सर का खतरा कई गुना बढ़ा देता है। वहीं, जो लोग छोटी-छोटी समस्याओं में भी पेन किलर दवाओं का अधिक इस्तेमाल करते हैं, उन्हें भी अल्सर होने की आशंका रहती है।
अल्सर में क्या खाना चाहिए
डॉक्टरों और आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार अल्सर से पीड़ित मरीजों को हल्का और सुपाच्य भोजन लेना चाहिए। ऐसे भोजन से पेट पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता और घाव भरने में मदद मिलती है।
मूंगदाल, दलिया और सादा चावल अल्सर के मरीजों के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। सब्जियों में लौकी, कद्दू, तोरई और हरी सब्जियां पाचन के लिए अच्छी होती हैं। फल के रूप में पका हुआ केला और पपीता खाना लाभकारी माना जाता है।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि एक बार में ज्यादा खाने के बजाय दिन में थोड़ा-थोड़ा करके कई बार भोजन करना चाहिए। इससे पेट में एसिड का संतुलन बना रहता है।
अल्सर में क्या नहीं खाना चाहिए
Stomach ulcer होने पर कुछ चीजों से पूरी तरह परहेज करना जरूरी है। तीखा, तला-भुना और मसालेदार भोजन पेट की जलन को बढ़ा सकता है। खट्टे फल, अचार और ज्यादा नमक वाली चीजों से भी दूरी बनानी चाहिए।
इसके अलावा ज्यादा चाय, कॉफी, सिगरेट और शराब अल्सर को और गंभीर बना सकते हैं। बाहर का जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक भी पेट के लिए नुकसानदायक होते हैं, इसलिए इन्हें अवॉयड करना ही बेहतर है।
अल्सर का आयुर्वेदिक इलाज
आयुर्वेद में अल्सर के इलाज के लिए प्राकृतिक और सरल उपाय बताए गए हैं। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार सुबह खाली पेट मुलेठी चूर्ण का सेवन करने से पेट के घाव भरने में मदद मिलती है। मुलेठी में मौजूद गुण पेट की अंदरूनी परत को राहत देते हैं।
इसके साथ ही दिन में एक से दो बार ठंडा दूध पीने की सलाह दी जाती है। देसी गाय का आधा चम्मच घी भी पाचन तंत्र को मजबूत करने में सहायक माना जाता है। हालांकि विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि किसी भी आयुर्वेदिक उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर या वैद्य से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
तनाव से दूरी जरूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि अल्सर के इलाज में केवल दवाइयां ही नहीं, बल्कि तनाव से दूरी बनाना भी बेहद जरूरी है। योग, ध्यान और पर्याप्त नींद अल्सर से राहत दिलाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
कुल मिलाकर, Stomach ulcer एक ऐसी बीमारी है जिसे सही समय पर पहचाना जाए तो आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। संतुलित आहार, सही दिनचर्या और तनावमुक्त जीवनशैली अपनाकर इस गंभीर समस्या से बचा जा सकता है।
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