Unnao rape case: कुलदीप सिंह सेंगर को बेल मिलने से क्यों टूट गई पीड़िता, क्या यही है न्याय?
Unnao rape case: उन्नाव रेप केस एक बार फिर देश की अंतरात्मा को झकझोर रहा है। उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा निलंबित किए जाने के बाद पीड़िता और उसका परिवार फिर से डर और असुरक्षा के साए में आ गया है। यह मामला सिर्फ एक कानूनी फैसला नहीं, बल्कि उस इंसानी पीड़ा की कहानी है, जो पिछले आठ सालों से खत्म होने का नाम नहीं ले रही।
क्या है हाईकोर्ट का फैसला?
दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा को अपील पर अंतिम सुनवाई तक सस्पेंड कर दिया है। कोर्ट ने उन्हें 15 लाख रुपये के निजी मुचलके पर सशर्त बेल दी है। साथ ही चार अहम शर्तें लगाई गई हैं—
- पीड़िता से कम से कम 5 किलोमीटर दूर रहना होगा
- हर सोमवार पुलिस को रिपोर्ट करना होगा
- पासपोर्ट जमा करना होगा
- किसी भी शर्त के उल्लंघन पर बेल रद्द होगी
हालांकि, सेंगर फिलहाल जेल से बाहर नहीं आए हैं क्योंकि पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में उन्हें अलग से 10 साल की सजा मिली हुई है, जिस पर फैसला अभी बाकी है ।
पीड़िता का दर्द: “मैं फिर डर गई हूं”
फैसले के कुछ ही घंटों बाद पीड़िता, उसकी मां और महिला अधिकार एक्टिविस्ट योगिता भयाना दिल्ली के इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गईं। पीड़िता का कहना है कि इस फैसले ने उन्हें गहरा आघात दिया है। उनका आरोप है कि आने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह बेल दी गई है।
पीड़िता ने कहा—
“अगर ऐसे आरोपी बाहर रहेंगे तो हमारी सुरक्षा कैसे होगी? मेरे परिवार के लोग पहले ही मारे जा चुके हैं। मैं आज भी डर के साथ जी रही हूं।”
आधी रात का धरना और पुलिस कार्रवाई
इंडिया गेट पर देर रात धरना दे रही पीड़िता और उसकी मां को पुलिस ने वहां से जबरन हटा दिया। महिला सिपाहियों ने उन्हें उठाकर ले जाया। इसके बाद यह सवाल और गहरा हो गया कि क्या न्याय मांगना भी अब अपराध बन गया है?
योगिता भयाना ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक गैंगरेप सर्वाइवर के साथ ऐसा व्यवहार असंवेदनशील और शर्मनाक है।
पूरा मामला: एक के बाद एक हादसे
उन्नाव रेप केस केवल एक अपराध नहीं, बल्कि घटनाओं की भयावह श्रृंखला है।
- 2017 में नाबालिग लड़की के साथ रेप
- पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में रहस्यमय मौत
- परिवार पर लगातार धमकियां
- सड़क हादसे में दो मौसियों की मौत
- पीड़िता और उसके वकील का गंभीर रूप से घायल होना
इन सबके बावजूद पीड़िता ने हार नहीं मानी और न्याय की लड़ाई जारी रखी।
2019 में मिली थी उम्रकैद
दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने साफ कहा था कि एक जनप्रतिनिधि होने के बावजूद उन्होंने जनता के विश्वास को तोड़ा और उनके लिए कोई सहानुभूति नहीं बनती।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ट्रायल दिल्ली ट्रांसफर किया था और रोजाना सुनवाई के आदेश दिए थे।
अब फिर सवालों के घेरे में न्याय व्यवस्था
आज, जब वही आरोपी बेल पर बाहर आने की कगार पर है, पीड़िता और उसका परिवार पूछ रहा है—
- क्या सजा का कोई मतलब बचा है?
- क्या चुनावी समीकरण इंसाफ से बड़े हो गए हैं?
- क्या पीड़ितों की सुरक्षा सिर्फ कागजों तक सीमित है?
पीड़िता की बड़ी बहन ने कहा कि इस फैसले से परिवार फिर उसी डर में लौट गया है, जिससे वह मुश्किल से बाहर निकला था।
निर्भया की मां की प्रतिक्रिया
निर्भया की मां आशा देवी ने भी इस बेल को गलत बताया। उन्होंने कहा कि आरोपी चाहे 5 किलोमीटर दूर रहे या 500 किलोमीटर, इससे फर्क नहीं पड़ता। फर्क इस बात से पड़ता है कि अपराध किया गया है और सजा सुनाई गई है।
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