बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक चेयरमैन Tarique Rahman 17 वर्षों के लंबे निर्वासन के बाद लंदन से ढाका लौट आए हैं।
बांग्लादेश में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच 25 दिसंबर 2025 का दिन देश के राजनीतिक इतिहास में बेहद अहम बन गया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक चेयरमैन Tarique Rahman 17 वर्षों के लंबे निर्वासन के बाद लंदन से ढाका लौट आए हैं। उनकी वापसी को बांग्लादेश की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है। बदली परिस्थितियों में उन्हें देश की राजनीति का “क्राउन प्रिंस” कहा जा रहा है।
Tarique Rahman की वापसी ऐसे समय हुई है, जब बांग्लादेश गंभीर राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा है। छात्र आंदोलनों, हिंसा और सत्ता परिवर्तन के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। शेख हसीना भारत में शरण ले चुकी हैं और देश में अंतरिम सरकार काम कर रही है। इसी राजनीतिक शून्य के बीच बीएनपी सबसे मजबूत राजनीतिक ताकत के रूप में उभरकर सामने आई है।
कौन हैं Tarique Rahman?
तारिक रहमान बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान और तीन बार प्रधानमंत्री रहीं खालिदा जिया के बड़े बेटे हैं। उनका जन्म 20 नवंबर 1965 को हुआ था। जियाउर रहमान बांग्लादेश के संस्थापक नेताओं में से एक थे, जिन्होंने 1971 के मुक्ति संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। 1981 में जियाउर रहमान की हत्या के समय तारिक मात्र 15 वर्ष के थे। इसके बाद उनकी मां खालिदा जिया ने बीएनपी की कमान संभाली और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं।
तारिक रहमान ने ढाका विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में पढ़ाई की और 23 वर्ष की उम्र में सक्रिय राजनीति में कदम रखा। 2000 के दशक में वे बीएनपी के सबसे प्रभावशाली युवा नेताओं में उभरे और अपनी मां के कार्यकाल में पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बने। तभी से उन्हें पार्टी का उत्तराधिकारी माना जाने लगा।
17 साल का निर्वासन और विवाद
2008 के बाद से Tarique Rahman लंदन में निर्वासन में रह रहे थे। इस दौरान उन पर भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और 2004 के ग्रेनेड हमले सहित कुल 84 मामले दर्ज किए गए। हालांकि 2024-25 के दौरान बांग्लादेश की अदालतों ने उन्हें सभी मामलों में बरी कर दिया। इसके बाद उनकी स्वदेश वापसी का रास्ता साफ हुआ।
बीएनपी का कहना है कि तारिक की वापसी से पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा आई है। ढाका में उनके स्वागत के लिए लाखों समर्थकों के जुटने का दावा किया गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनकी मौजूदगी आगामी संसदीय चुनावों में बीएनपी को बड़ा लाभ पहुंचा सकती है।
बीएनपी के सत्ता में आने की संभावना
अवामी लीग पर प्रतिबंध और शेख हसीना की गैर-मौजूदगी के बाद बीएनपी को बांग्लादेश की सबसे मजबूत पार्टी माना जा रहा है। पार्टी अध्यक्ष खालिदा जिया लंबे समय से गंभीर रूप से बीमार हैं, ऐसे में तारिक रहमान ही बीएनपी का मुख्य चेहरा बन गए हैं। 2018 से वे पार्टी के कार्यवाहक चेयरमैन हैं और अब उन्हें अगला प्रधानमंत्री बनने का प्रबल दावेदार बताया जा रहा है।
भारत के प्रति कैसी है तारिक की सोच
बांग्लादेश-भारत संबंध हमेशा से संवेदनशील रहे हैं। अवामी लीग को भारत समर्थक माना जाता रहा है, जबकि बीएनपी के साथ रिश्ते अक्सर तनावपूर्ण रहे हैं। तारिक रहमान ने हाल के बयानों में साफ कहा है कि उनकी विदेश नीति “बांग्लादेश फर्स्ट” पर आधारित होगी। उन्होंने नारा दिया है “न दिल्ली, न पिंडी, बांग्लादेश सबसे पहले।”
तारिक का कहना है कि वे न भारत और न पाकिस्तान के साथ किसी तरह का अंधा गठबंधन चाहते हैं। उन्होंने तीस्ता जल बंटवारे जैसे मुद्दों पर बांग्लादेश के अधिकारों की खुलकर बात की है। हालांकि हाल के संकेत बताते हैं कि बीएनपी भारत के साथ व्यावहारिक और संतुलित रिश्ते रखना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा खालिदा जिया के स्वास्थ्य को लेकर मदद की पेशकश पर बीएनपी ने आभार भी जताया है।
आगे की राह
तारिक रहमान की वापसी को बांग्लादेश की राजनीति में निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस से उनकी लंदन में मुलाकात हो चुकी है, जिसमें चुनाव सुधार और लोकतंत्र की बहाली पर चर्चा हुई थी। हालांकि चुनौतियां भी कम नहीं हैं। जमात-ए-इस्लामी जैसे इस्लामी दलों की सक्रियता, आंतरिक अस्थिरता और आर्थिक संकट आने वाले समय में बड़ी परीक्षा होंगे।
फिलहाल इतना तय है कि 25 दिसंबर 2025 को हुई तारिक रहमान की वापसी ने बांग्लादेश की राजनीति को नई दिशा दे दी है और आने वाले महीनों में इसका असर पूरे दक्षिण एशिया पर देखने को मिल सकता है।
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