ओला, उबर और रैपिडो जैसे कैब एग्रीगेटर ऐप्स पर अब यात्रियों को अपने जेंडर के अनुसार ड्राइवर चुनने का विकल्प मिलेगा।
Ola Uber New Rules: कैब से सफर करने वाले यात्रियों के लिए जल्द ही बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। ओला, उबर और रैपिडो जैसे कैब एग्रीगेटर ऐप्स पर अब यात्रियों को अपने जेंडर के अनुसार ड्राइवर चुनने का विकल्प मिलेगा। इसके साथ ही सफर पूरा होने के बाद ड्राइवर को टिप देने की सुविधा भी दी जाएगी, जिसकी पूरी राशि सीधे ड्राइवर को मिलेगी। सरकार का कहना है कि इन बदलावों का मकसद यात्रियों की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाना है, खासतौर पर महिला यात्रियों के लिए।
केंद्र सरकार ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर्स गाइडलाइंस, 2025 में संशोधन कर ये प्रावधान जोड़े हैं और सभी राज्य सरकारों को इन्हें लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। यह कदम देश में बढ़ती ऑन-डिमांड ट्रांसपोर्ट सेवाओं के लिए एक अहम नीतिगत बदलाव माना जा रहा है।
क्यों आया Ola Uber New Rules?
सरकार के अनुसार, सेम जेंडर ड्राइवर चुनने का विकल्प मुख्य रूप से महिला यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लाया गया है। अब महिला पैसेंजर चाहें तो महिला ड्राइवर द्वारा संचालित कैब बुक कर सकेंगी। यह सुविधा खासकर रात के समय या अकेले सफर करने वाली महिलाओं के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगी।
नई गाइडलाइंस के तहत कैब एग्रीगेटर्स को अपने ऐप्स में यह फीचर जोड़ना अनिवार्य होगा। इसके लिए क्लॉज 15.6 में संशोधन किया गया है, जिसके तहत यात्रियों को यह विकल्प दिया जाएगा कि वे उपलब्ध ड्राइवरों में से अपने जेंडर के अनुसार ड्राइवर चुन सकें।
कब से लागू होंगे Ola Uber New Rules?
सरकारी नोटिफिकेशन में इन संशोधनों के लिए कोई स्पष्ट प्रभावी तारीख नहीं बताई गई है। ऐसे में इन्हें नोटिफिकेशन जारी होने की तारीख से ही लागू माना जा रहा है। हालांकि, जुलाई 2025 में जब मोटर व्हीकल एग्रीगेटर्स की मूल गाइडलाइंस जारी की गई थीं, तब राज्यों को इन्हें अपनाने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि संशोधित नियमों के लिए भी राज्यों को कुछ समय मिल सकता है, लेकिन फिलहाल कोई निश्चित समयसीमा घोषित नहीं की गई है। अंतिम रूप से यह राज्यों पर निर्भर करेगा कि वे इन्हें अपनी लाइसेंसिंग प्रक्रिया में कब और कैसे शामिल करते हैं।
कैसे होगा नियमों का क्रियान्वयन
ये गाइडलाइंस केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई हैं, लेकिन इनका वास्तविक क्रियान्वयन राज्य सरकारों के माध्यम से होगा। राज्य सरकारें इन्हें कैब एग्रीगेटर्स की लाइसेंस शर्तों में शामिल करेंगी।
कैब कंपनियों को अपने ऐप्स में तकनीकी बदलाव करने होंगे, ताकि यात्रियों को सेम जेंडर ड्राइवर चुनने का विकल्प मिल सके। नियमों का पालन न करने पर एग्रीगेटर का लाइसेंस निलंबित या रद्द भी किया जा सकता है। ऐसे में ओला, उबर और रैपिडो जैसी कंपनियों के लिए इन दिशानिर्देशों का अनुपालन अनिवार्य होगा।
महिला ड्राइवरों की कमी बड़ी चुनौती
हालांकि सरकार के इस फैसले का उद्देश्य सराहनीय माना जा रहा है, लेकिन इसे लागू करना आसान नहीं होगा। इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल देश में महिला कैब ड्राइवरों की संख्या बेहद कम है।एक कैब एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म से जुड़े अधिकारी के अनुसार, पूरे देश में कुल कैब ड्राइवरों में महिलाओं की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में हर बुकिंग पर सेम जेंडर ड्राइवर उपलब्ध कराना व्यावहारिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे ऑन-डिमांड सर्विस की प्रकृति प्रभावित हो सकती है। खासकर देर रात के समय, जब ड्राइवरों की उपलब्धता पहले से ही कम होती है, महिला ड्राइवर चुनने पर यात्रियों को लंबा वेटिंग टाइम झेलना पड़ सकता है। फिलहाल ओला, उबर और रैपिडो ने इस मुद्दे पर आधिकारिक टिप्पणी करने से इनकार किया है।
टिपिंग सिस्टम में पारदर्शिता
सरकार ने नए दिशानिर्देशों में टिपिंग सिस्टम को भी पूरी तरह पारदर्शी बना दिया है। अब यात्री अपनी इच्छा से ड्राइवर को टिप दे सकेंगे, लेकिन यह विकल्प केवल ट्रिप पूरी होने के बाद ही उपलब्ध होगा। बुकिंग के समय या यात्रा के दौरान टिप देने का कोई विकल्प नहीं होगा।
सबसे अहम बात यह है कि यात्री द्वारा दी गई टिप की 100 प्रतिशत राशि ड्राइवर को ही मिलेगी। कैब कंपनियां इस रकम में से किसी तरह का कमीशन या कटौती नहीं कर सकेंगी। इसके अलावा कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि टिप देने के लिए किसी तरह के भ्रामक या दबाव बनाने वाले तरीकों का इस्तेमाल न किया जाए, जो उपभोक्ता संरक्षण कानून के खिलाफ हों।
यात्रियों और ड्राइवरों दोनों के लिए असर
सरकार का मानना है कि ये बदलाव न केवल यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा बढ़ाएंगे, बल्कि ड्राइवरों की आय में भी पारदर्शिता लाएंगे। हालांकि, आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि कैब कंपनियां इन नियमों को जमीन पर कितनी प्रभावी तरीके से लागू कर पाती हैं और इससे सेवा की गुणवत्ता पर क्या असर पड़ता है।
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