NCR metro projects: DPR से आगे क्यों नहीं बढ़ पा रही NCR की मेट्रो योजनाएं?
NCR metro projects: दिल्ली और एनसीआर के लोग रोज़ जाम, प्रदूषण और लंबी यात्राओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में मेट्रो को सबसे बड़ा सहारा माना जाता है। हाल ही में केंद्र सरकार ने दिल्ली के लिए तीन नए मेट्रो कॉरिडोर को मंजूरी देकर एक नई उम्मीद जगाई है। इन परियोजनाओं के लिए 12,014.91 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी मिल चुकी है।
लेकिन इसके साथ ही एक कड़वी सच्चाई भी सामने आती है—एनसीआर के कई मेट्रो प्रोजेक्ट अब भी सिर्फ DPR तक ही सीमित हैं।
घोषणाएं बहुत, काम बहुत कम
एनसीआर में कई मेट्रो परियोजनाएं ऐसी हैं जिनकी वर्षों से चर्चा हो रही है। कई बार घोषणाएं हुईं, कई की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) भी तैयार हो गई, लेकिन ज़मीन पर काम आज तक शुरू नहीं हो सका।
तीन नए कॉरिडोर की मंजूरी के बाद यह उम्मीद ज़रूर बनी है कि अब पुराने अटके प्रोजेक्ट भी रफ्तार पकड़ेंगे, लेकिन फिलहाल हालात जस के तस बने हुए हैं।
नोएडा–गाजियाबाद मेट्रो विस्तार: DPR बनी, इंतज़ार जारी
नोएडा और गाजियाबाद के बीच मेट्रो विस्तार का सपना लाखों लोग सालों से देख रहे हैं।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने नोएडा सेक्टर-62 इलेक्ट्रॉनिक सिटी मेट्रो स्टेशन से साहिबाबाद नमो भारत स्टेशन तक मेट्रो विस्तार का प्रस्ताव भेजा था। इसकी DPR भी बन चुकी है।
अगर यह कॉरिडोर बनता है, तो नोएडा-गाजियाबाद के बीच रोज़ आने-जाने वाले लाखों यात्रियों को राहत मिलेगी। साथ ही यह लाइन मेरठ जाने वाली नमो भारत ट्रेन से भी जुड़ सकती थी। लेकिन अफ़सोस—यह प्रोजेक्ट अब तक कागज़ों से बाहर नहीं आ पाया।
एक्वा मेट्रो विस्तार: तीन में से सिर्फ एक को मंजूरी
नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (NMRC) ने एक्वा लाइन के विस्तार के लिए तीन रूट प्रस्तावित किए थे—
- सेक्टर-51 से नॉलेज पार्क-5
- सेक्टर-142 से बोटेनिकल गार्डन
- ग्रेटर नोएडा डिपो से बोड़ाकी
राज्य सरकार से मंजूरी के बाद ये प्रस्ताव केंद्र के पास भेजे गए। सार्वजनिक निवेश बोर्ड (PIB) से मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार ने सिर्फ ग्रेटर नोएडा डिपो से बोड़ाकी तक 2.6 किलोमीटर लाइन को हरी झंडी दी।
इस रूट पर जूनापत और बोड़ाकी—दो नए स्टेशन बनाए जाएंगे। बाकी दो प्रस्ताव अभी भी केंद्र सरकार के पास विचाराधीन हैं।
द्वारका–खेड़कीदौला कॉरिडोर: बढ़ती आबादी की ज़रूरत
द्वारका से खेड़कीदौला टोल प्लाजा तक मेट्रो कॉरिडोर की मांग तेज़ होती जा रही है।
द्वारका एक्सप्रेसवे के आसपास तेज़ी से आबादी बस रही है और गुरुग्राम के नए इलाकों को मेट्रो से जोड़ना ज़रूरी हो गया है।
स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने शहरी विकास मंत्रालय को इस नए कॉरिडोर का सुझाव दिया है। अगर यह कॉरिडोर बनता है, तो अलवर तक जाने वाले लोगों को भी फायदा होगा, क्योंकि खेड़कीदौला के पास RRTS स्टेशन प्रस्तावित है।
सोनीपत–मुरथल तक मेट्रो की मांग
रिठाला-नरेला-कुंडली मेट्रो लाइन के तहत सोनीपत जिले में फिलहाल सिर्फ दो स्टेशन प्रस्तावित हैं। इससे जिले में केवल चार किलोमीटर तक ही मेट्रो पहुंचेगी।
स्थानीय लोगों की मांग है कि मेट्रो को NH-44 के साथ मुरथल या सोनीपत सेक्टर-7 तक लाया जाए, ताकि दिल्ली आने-जाने में असली राहत मिल सके। इस मांग को विधायक स्तर पर भी उठाया जा चुका है।
बल्लभगढ़–पलवल मेट्रो: घोषणा के बाद सन्नाटा
बल्लभगढ़ से पलवल तक मेट्रो विस्तार की घोषणा 2023 में हुई थी। 2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर मुहर लगाई। लेकिन एक साल से ज़्यादा वक्त बीतने के बावजूद ज़मीन पर कोई काम शुरू नहीं हो सका है।
निष्कर्ष
एनसीआर में मेट्रो सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि प्रदूषण, जाम और समय की बर्बादी से निजात का सबसे बड़ा ज़रिया है। DPR बनना अच्छी शुरुआत है, लेकिन जब तक प्रोजेक्ट ज़मीन पर नहीं उतरते, तब तक राहत सिर्फ वादों तक ही सीमित रहेगी।
अब देखना यह है कि नई मंजूरियों के बाद क्या सरकार अटकी परियोजनाओं को भी रफ्तार दे पाएगी—या फिर ये योजनाएं फाइलों में ही दौड़ती रहेंगी।
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