Unnao rape case latest update: सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को मिली राहत पर लगाई रोक, देशभर में गूंजा इंसाफ का सवाल
Unnao rape case latest update: उन्नाव रेप केस एक बार फिर देश की सबसे बड़ी बहस बन गया है। दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जा चुके पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित किए जाने के फैसले पर अब सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इस फैसले के बाद पूरे देश में, खासकर महिलाओं और छात्र संगठनों के बीच, गुस्सा और चिंता दोनों देखने को मिल रही है।
क्या है पूरा मामला?
2017 में सामने आए उन्नाव रेप केस में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का आरोप तत्कालीन बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर लगा था। लंबी सुनवाई के बाद निचली अदालत ने सेंगर को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यह फैसला न सिर्फ पीड़िता के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए इंसाफ की उम्मीद बना था।
हालांकि 23 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की अपील लंबित रहने तक उसकी उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया। अदालत ने तर्क दिया कि सेंगर पहले ही सात साल से ज्यादा समय जेल में बिता चुका है। इसी फैसले के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
सोमवार को चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। शुरुआती टिप्पणी में ही कोर्ट ने साफ कर दिया कि यह मामला सामान्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया यह आदेश गंभीर सवाल खड़े करता है। कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर किसी को मिली स्वतंत्रता वापस नहीं ली जाती, लेकिन यह मामला अलग है क्योंकि दोषी पहले से ही एक अन्य मामले में जेल में बंद है।
कोर्ट ने सीबीआई की अपील पर कुलदीप सिंह सेंगर को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्ते में जवाब मांगा है। तब तक हाई कोर्ट का आदेश प्रभावी नहीं रहेगा और सेंगर जेल में ही रहेगा।
“यह एक भयावह अपराध है” – CBI
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि यह एक नाबालिग बच्ची के साथ हुआ बेहद भयावह अपराध है। उन्होंने कहा कि इस मामले में आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की गंभीर धाराएं लगाई गई थीं।
सीजेआई ने यह भी सवाल उठाया कि जब पीड़िता नाबालिग हो, तो क्या आरोपी का पब्लिक सर्वेंट होना अप्रासंगिक हो जाता है। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि ऐसे मामलों में अपराध की गंभीरता और आरोपी की प्रभावशाली स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
पीड़िता और परिवार की पीड़ा
सुनवाई से एक दिन पहले उन्नाव रेप पीड़िता की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बावजूद वह सोमवार सुबह सुप्रीम कोर्ट पहुंची। पीड़िता की मां ने कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ इंसाफ चाहिए।
उन्होंने कहा कि उनके बच्चों की सुरक्षा हटा ली गई है और वे खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सेंगर को या तो मौत की सजा दी जाए या उम्रभर जेल में रखा जाए।
देशभर में विरोध और नाराज़गी
दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। मुंबई युवा कांग्रेस समेत कई संगठनों ने सड़कों पर उतरकर अपना गुस्सा जाहिर किया। लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने भी इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे आदेश देश की बेटियों का मनोबल तोड़ते हैं।
अरावली पहाड़ियों पर भी आज सुनवाई
इसी दिन सुप्रीम कोर्ट अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा को लेकर भी स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रहा है। पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील इस मुद्दे पर भी देशभर की नजरें टिकी हुई हैं।
बड़ा सवाल
उन्नाव रेप केस सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं है, यह देश की न्याय व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा पर भरोसे की परीक्षा है। सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, जो मानते हैं कि कानून से बड़ा कोई नहीं। अब अगली सुनवाई तक सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं—क्या इंसाफ की यह लड़ाई अपने सही अंजाम तक पहुंचेगी?
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