Al-Falah University scam: 415 करोड़ की हेराफेरी, फर्जी मान्यता और टेरर मॉड्यूल से जुड़े सनसनीखेज खुलासे
Al-Falah University scam: फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक बार फिर सवालों के घेरे में है। मनी लॉन्ड्रिंग, फर्जी मान्यता और करोड़ों की हेराफेरी जैसे गंभीर आरोपों ने इस यूनिवर्सिटी को सुर्खियों में ला दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हालिया कार्रवाई में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ईडी ने यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया है और कोर्ट ने उन्हें 13 दिन की कस्टडी में भेज दिया है।
यह मामला सिर्फ आर्थिक फर्जीवाड़े तक सीमित नहीं है—इसके तार एक बड़े टेरर मॉड्यूल और हालिया दिल्ली विस्फोट से भी जुड़े मिले हैं। आइए समझते हैं पूरा मामला।
कैसे खुला 415 करोड़ का घोटाला?
ईडी ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े चैरिटेबल ट्रस्ट के 2014-15 से 2024-25 तक के आयकर रिकॉर्ड की जांच की। जांच में पाया गया कि ट्रस्ट ने अपनी आय को स्वैच्छिक योगदान, डोनेशन, और शैक्षिक प्राप्तियों के रूप में दिखाया, लेकिन फंड की एंट्रीज़ और असली लेन-देन में भारी अंतर सामने आया।
ईडी के अनुसार:
- कुल 415.10 करोड़ रुपये की संदिग्ध लेन-देन के प्रमाण मिले
- अभिभावकों और छात्रों से फर्जी मान्यता के नाम पर मोटी रकम ली गई
- ट्रस्ट के फंड फ्लो में भारी गड़बड़ी और कई बेनामी संपत्तियों का शक
ईडी का कहना है कि यह फंड निजी खातों में घुमाया गया और इसकी वास्तविक उपयोगिता को छिपाया गया।
जवाद सिद्दीकी गिरफ्तार
ईडी ने 14 नवंबर को अल-फलाह ग्रुप पर मामला दर्ज किया था। जांच आगे बढ़ने के बाद चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को PMLA की धारा 19 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। जवाद को दिल्ली के जामिया नगर स्थित चैरिटेबल ट्रस्ट के दफ्तर से हिरासत में लिया गया।
ईडी ने कोर्ट में कहा कि:
- जवाद सिद्दीकी का ट्रस्ट पर सीधा नियंत्रण है
- सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है
- फंड फ्लो और डोनेशन से जुड़े दस्तावेजों की जांच के लिए कस्टडी जरूरी है
कोर्ट ने यह बात मानते हुए जवाद सिद्दीकी को 13 दिन की ईडी कस्टडी में भेज दिया।
टेरर मॉड्यूल और दिल्ली बम धमाके से लिंक
यह मामला तब और गंभीर हो गया, जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 10 नवंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कुछ कर्मचारियों और अन्य संदिग्धों को गिरफ्तार किया। जांच में मिली सामग्री चौंकाने वाली थी:
- भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद
- कई डिजिटल डिवाइस और संदिग्ध दस्तावेज
- दिल्ली के लाल किले के पास हुए हालिया विस्फोट के तार यूनिवर्सिटी से जुड़े
गृह मंत्रालय ने इस पूरे मामले की जांच NIA को सौंप दी है। कई रिपोर्टों में इसे “टेरर फंडिंग और रेडिकल नेटवर्किंग का नया हब” बताया जा रहा है।
फर्जी मान्यता का खेल कैसे चलता था?
ईडी की जांच में सामने आया कि यूनिवर्सिटी ने कई कोर्सों के लिए:
- फर्जी मान्यता का दावा
- छात्रों और अभिभावकों से मोटी फीस
- बिना अनुमति के डिग्री और सर्टिफिकेट
प्रवेश प्रक्रिया में भी बड़े स्तर पर पारदर्शिता की कमी मिली। कई अभिभावकों ने शिकायत की थी कि उन्हें मान्यता-प्राप्त कोर्स दिखाए गए, जबकि असल में कोर्स UGC अथवा संबंधित अधिकारियों से अप्रूव्ड नहीं थे।
घोटाले का असर
इस घोटाले का सबसे बड़ा नुकसान उन छात्रों को हुआ है जिन्होंने:
- फीस भरकर कोर्स जॉइन किए
- भविष्य की उम्मीदों के साथ एडमिशन लिया
- लेकिन अब उनकी डिग्री की मान्यता पर सवाल उठ रहे हैं
परिवारों का कहना है कि वे इसे धोखाधड़ी मानते हैं और सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।
आगे क्या?
ईडी और NIA दोनों एजेंसियां मामले की गहन जांच कर रही हैं। फिलहाल, कई प्रोफेसर्स, ट्रस्ट सदस्यों और वित्तीय सलाहकारों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किए जा चुके हैं। अगर ईडी के आरोप साबित होते हैं तो यह मामला देश में शैक्षिक संस्थानों की विश्वसनीयता पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर देगा।
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