Kansa Vadh Parv 2024 हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण ने अपने दुष्ट मामा कंस का वध किया था। इस साल यह पर्व 11 नवंबर, सोमवार को मनाया जाएगा। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और इसकी पृष्ठभूमि में कई पौराणिक कथाएं छिपी हुई हैं।
कंस का चरित्र
कंस, शूरसेन जनपद के राजा उग्रसेन का पुत्र था और श्री कृष्ण का मामा था। प्रारंभ में, वह एक समर्पित और प्रेममय व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, लेकिन एक आकाशीय भविष्यवाणी ने उसकी जीवनधारा बदल दी। भविष्यवाणी में कहा गया था कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसे मार देगा। इस खबर ने कंस को इतना आतंकित कर दिया कि उसने अपनी बहन और जीजा को जेल में डाल दिया और उनके छह बच्चों की हत्या कर दी।
श्री कृष्ण का जन्म
जब देवकी ने श्री कृष्ण को जन्म दिया, तब कंस ने पहले से ही उसे मारने की योजना बनाई थी। लेकिन जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तब मथुरा की जेल के दरवाजे अपने आप खुल गए और वसुदेव जी ने बालकृष्ण को गोकुल पहुंचाने में सफलता प्राप्त की। यहां से शुरू होती है श्री कृष्ण की लीला, जिसमें वह कंस के सभी प्रयासों को विफल कर देते हैं।
कंस वध का संकल्प
कंस ने अपने दरबार में कई असुरों को भेजकर श्री कृष्ण को मारने का प्रयास किया, लेकिन हर बार वह असफल रहे। अंततः, जब कंस को यह पता चला कि श्री कृष्ण गोकुल में हैं, तो उसने उन्हें अपने दरबार में आमंत्रित किया। इस आमंत्रण में उसकी मंशा केवल एक ही थी—श्री कृष्ण का वध करना। लेकिन यह उसकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई।
कंस वध की घटना
जब श्री कृष्ण दरबार में पहुंचे, तो कंस ने उन पर हमला करने का प्रयास किया। लेकिन श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति का परिचय देते हुए कंस का वध कर दिया। इस घटना ने न केवल कंस के अत्याचारों का अंत किया, बल्कि राजा उग्रसेन को भी उनके अधिकारों का पुनःअधिग्रहण करने का अवसर दिया। कंस के वध के बाद, मथुरा की जनता ने राहत की सांस ली और श्री कृष्ण को अपना उद्धारक मान लिया।
कंस वध पर्व का महत्व
कंस वध पर्व को मनाने का मुख्य उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बनाना है। यह पर्व यह दर्शाता है कि जब भी धरती पर अत्याचार और अन्याय बढ़ता है, तब भगवान अवतार लेते हैं और सच्चाई की स्थापना करते हैं। कंस वध का पर्व केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में नकारात्मकता को दूर करने का भी संदेश देता है।
कंस वध मेला
मथुरा में कंस वध पर्व के अवसर पर भव्य मेला लगता है, जिसे कंस टीले पर मनाया जाता है। इस मेले में लोग अपने-अपने लाठी को सजाकर भाग लेते हैं। यहां विभिन्न नाट्य रूपांतरण भी होते हैं, जैसे सुदामा-श्री कृष्ण मिलाप। इस दिन कंस का पुतला बनाया जाता है, जिसका सिर कंसखार पर तोड़ा जाता है। पूरे मेले में “जय श्री कृष्ण” के जयकारे गूंजते हैं, जो सभी भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक होता है।
Kansa Vadh Parv 2024 निष्कर्ष
कंस वध पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपने जीवन में अच्छाई को बढ़ावा देना चाहिए और बुराई का सामना करने का साहस जुटाना चाहिए। श्री कृष्ण का जीवन और कंस वध की कहानी हमें प्रेरणा देती है कि जब भी हम किसी संकट का सामना करें, हमें सत्य और धर्म का मार्ग अपनाना चाहिए।
इस साल कंस वध पर्व का आयोजन 11 नवंबर को किया जाएगा, और यह अवसर है अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का स्मरण करने का। इस दिन की तैयारियों में शामिल होकर हम अपनी आस्था और भक्ति को और भी गहरा सकते हैं।
आप सभी को कंस वध पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ! जय श्री कृष्ण!
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