Saphala Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यधिक महत्व है। इसे सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। हर महीने में दो बार एकादशी तिथि आती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष 2024 में यह पवित्र तिथि 26 दिसंबर, गुरुवार को पड़ रही है।सफला एकादशी को विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है। इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता, सुख-शांति, और पापों से मुक्ति मिलती है। इसे महाएकादशी भी कहा जाता है क्योंकि इसका पुण्य फल बहुत अधिक माना गया है।
सफला एकादशी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, सफला एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने वाला, पापों को नष्ट करने वाला और समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से कार्यों में सफलता मिलती है।
मान्यता है कि इस व्रत से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है। सफला एकादशी का मतलब ही “सफलता दिलाने वाली एकादशी” है। यह व्रत व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरा करता है और उसे आत्मिक संतोष प्रदान करता है। इस दिन दान-पुण्य का भी अत्यधिक महत्व है। मंदिर में दीप जलाना, तुलसी के नीचे दीपदान करना और अन्न का दान करना विशेष शुभ फलदायक होता है।
Saphala Ekadashi 2024 शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि आरंभ: 10:29 PM on Dec 25, 2024
- एकादशी तिथि समाप्त: 12:43 AM on Dec 27, 2024
उदया तिथि के अनुसार, सफला एकादशी व्रत 7 जनवरी, रविवार को रखा जाएगा। इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
सफला एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, महिष्मान नामक राजा का पुत्र लुम्पक दुष्ट स्वभाव और पाप कर्मों में लिप्त था। उसके बुरे कर्मों के कारण राजा ने उसे अपने राज्य से निष्कासित कर दिया।
लुम्पक जंगल में रहने लगा और चोरी व अन्य दुष्कर्म करता रहा। एक दिन पौष कृष्ण दशमी की रात को वह ठंड से कांपते हुए वृक्ष के नीचे सो गया। सुबह जागने के बाद उसे अपनी गलतियों का अहसास हुआ और उसने भगवान विष्णु से माफी मांगी।
उस दिन अनजाने में उसने सफला एकादशी का व्रत कर लिया। इसके प्रभाव से उसकी किस्मत बदल गई। भगवान विष्णु ने उसे आशीर्वाद दिया और उसे सुधरने का मौका दिया। लुम्पक वापस अपने पिता के पास गया और उसका व्यवहार देखकर राजा ने उसे अपना उत्तराधिकारी बना दिया। मृत्यु के बाद लुम्पक को विष्णु लोक की प्राप्ति हुई।
सफला एकादशी व्रत के लाभ
- पापों से मुक्ति: इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से छुटकारा पा सकता है।
- सफलता और समृद्धि: यह व्रत जीवन में सफलता और सुख-शांति लेकर आता है।
- धार्मिक पुण्य: इसे करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।
- भगवान विष्णु की कृपा: इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह व्रत व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक संतोष प्रदान करता है।
सफला एकादशी की पूजाविधि
- प्रातःकालीन स्नान: सफला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- शुद्ध वस्त्र धारण करें: स्नान के बाद स्वच्छ और शुद्ध वस्त्र पहनें।
- मंदिर की सफाई: पूजा स्थान को साफ करके भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- दीप प्रज्वलित करें: भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीप जलाएं।
- पूजन सामग्री अर्पित करें: भगवान को हल्दी-कुमकुम, फूल, तुलसी दल और मिठाई अर्पित करें।
- व्रत कथा सुनें: सफला एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
- आरती करें: विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और आरती करें।
- दान करें: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
- सात्विक भोजन: व्रत के दिन फलाहार करें और सात्विक भोजन का सेवन करें।
सफला एकादशी व्रत का पारण
अगले दिन द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करना चाहिए। पारण के समय भगवान विष्णु की पूजा करके अन्न का दान करें। इसके बाद भोजन ग्रहण करें।
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