
Babita Patel
Babita Patel: खेतों की पगडंडियों से शुरू हुआ एक सपना, जो आज अमेरिका की जमीन पर सुनहरे पदकों के साथ पूरा हुआ।
यह कहानी है बबीता पटेल की। जो एक साधारण से किसान परिवार की बेटी है , जो कभी खेतों में पिता के साथ काम करती थी, और आज वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स में दो-दो मेडल जीतकर भारत का सिर गर्व से ऊँचा कर रही है। CISF में हवलदार के पद पर कार्यरत बबीता ने अपने हौसले, मेहनत और जज्बे से वो कर दिखाया जो लाखों युवाओं के लिए मिसाल बन चुका है।
प्रयागराज की बबीता पटेल ने बर्मिंघम में आयोजित वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स 2025 में इतिहास रच दिया। उन्होंने पोल वॉल्ट में स्वर्ण हाई जंप में कांस्य हेप्टाथलॉन में रजत और 400 मीटर रिले रेस में कांस्य पदक जीता। सीआईएसएफ हवलदार बबीता की इस उपलब्धि से उनके गांव और पूरे जिले में खुशी का माहौल है। और बबिता के कोच घनश्याम यादव ने उनकी प्रतिभा और मेहनत की सराहना की।
खेतों से अमेरिका तक:
एक साधारण बेटी की असाधारण उड़ान खेतों की मिट्टी से उठी एक चिंगारी, आज अमेरिका में जला रही है देश का नाम। यह कहानी है बबीता पटेल की उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव की बेटी, जो कभी खेतों में पिता के साथ हल चलाती थी, पर आज इंटरनेशनल स्पोर्ट्स मंच पर देश की पहचान बन चुकी है। बबीता ने अमेरिका में आयोजित वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स 2025 में दो पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
बर्मिंघम (अलाबामा, अमेरिका) में आयोजित वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स 2025 में प्रयागराज के सोरांव तहसील के तिली का पूरा अब्दालपुर गांव की बेटी बबीता पटेल ने इतिहास रच दिया है। अब बबीता के खाते में चौथा पदक भी आ गया है। अमेरिका में बबीता ने शानदार प्रदर्शन कर पूरे देश का नाम रोशन किया है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में हवलदार के पद पर तैनात बबीता ने इस प्रतियोगिता में चार पदक जीते, जिनमें तीन व्यक्तिगत और एक टीम पदक शामिल है।
बबीता ने हाल ही में अमेरिका में आयोजित खेल प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए चार अलग-अलग इवेंट्स में पदक जीते। उन्होंने पोल वॉल्ट में 3.50 मीटर की छलांग लगाकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। हाई जंप में भी उन्होंने 1.30 मीटर की ऊंचाई पार कर कांस्य पदक हासिल किया। हेप्टाथलॉन जैसी बहु-चरणीय और चुनौतीपूर्ण स्पर्धा में बबीता ने शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक पर कब्जा जमाया। इसके साथ ही, 400 मीटर रिले रेस में अपनी टीम के साथ सिर्फ 52 सेकंड में दौड़ पूरी कर कांस्य पदक जीतकर उन्होंने एक और गौरवपूर्ण उपलब्धि अपने नाम की।
उनकी इस सफलता ने न सिर्फ उनके गांव को, बल्कि पूरे जिले को गर्व से भर दिया है। खेतों से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने वाली बबीता की यह कहानी लाखों युवाओं के लिए अब प्रेरणा बन चुकी है।
गांव की गलियों से शुरू हुआ सफर
बबीता का जन्म एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। बचपन में जब दूसरे बच्चे स्कूल जाते थे, बबीता खेतों में पिता का हाथ बंटाती थीं। संसाधनों की कमी थी, लेकिन सपनों की उड़ान कभी रुकी नहीं। दौड़ने की शुरूआत खेतों के कच्चे रास्तों से की और यहीं से शुरू हुआ उनका असली संघर्ष।
CISF में बनीं हवलदार,पहला बड़ा मुकाम
बबीता की मेहनत रंग तब लाई जब उन्हें CISF (Central Industrial Security Force) में नौकरी मिली। हवलदार बनने का सपना उनके लिए सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और सम्मान की सीढ़ी थी। यहां उनकी काबिलियत को पहचान मिली और खेलों में उनकी प्रतिभा को सही दिशा मिली। विभागीय स्तर पर हुई प्रतियोगिताओं में उन्होंने बार-बार खुद को साबित किया।
बबिता को मिली सराहना
उनकी इस उपलब्धि पर न सिर्फ CISF बल ने बल्कि सोशल मीडिया और विभिन्न समाचार माध्यमों ने भी उन्हें बधाई दी है। दैनिक जागरण से बातचीत में बबीता ने कहा, “मेरे लिए यह सिर्फ एक जीत नहीं, गर्व का पल है।” “जिस मंज़िल का सपना आंखों में था, आज वो सच्चाई बन चुकी है। यह मुकाम यूं ही नहीं मिला मुझे इसके लिए मेहनत, और बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ा,और मेरे कोच घनश्याम यादव के मार्गदर्शन ने मेरी राह आसान की। अब मेरी एक ही ख्वाहिश है की अपने देश और परिवार के लिए और भी ज़्यादा पदक जीतकर तिरंगे को और ऊंचा करना।” और आगे उन्होंने कहा, “मैं आगामी 6 जुलाई को पोल वॉल्ट प्रतियोगिता में भी हिस्सा लूंगी और देश के लिए एक और पदक जीतने की पूरी कोशिश करूंगी।” उनकी इस उपलब्धि पर सांसद प्रवीण सिंह पटेल, एमएलसी सुरेंद्र चौधरी और पूर्व विधायक सत्यवीर मुन्ना ने उन्हें बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
बबीता पटेल की ऐतिहासिक सफलता ने सिर्फ पोडियम पर नहीं, बल्कि हर दिल में जगह बना ली है। उनकी मेहनत, संघर्ष और जीत की गूंज अब उनके गांव तिली का अब्दालपुर तक पहुंच चुकी है जहां अब हर घर में गर्व, खुशी और जश्न का माहौल है।
पिता राम नेवाज पटेल की आंखें नम हैं, लेकिन चेहरा गर्व से दमक रहा है। उन्होंने भावुक स्वर में कहा,”बबीता ने हमारा और देश का नाम रोशन किया। उसकी मेहनत और जज़्बा देखकर दिल भर आता है।”
मां सावित्री देवी की आंखों में सपना नहीं, अब सच्चाई है। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा,“जिस बेटी को कभी खेतों में मेहनत करते देखा, आज वो विदेश में जीत का परचम लहरा रही है। उसकी सफलता हमारी सबसे बड़ी खुशी है।”
कोच घनश्याम यादव ने भी अपनी शिष्या की तारीफ करते हुए कहा,”बबीता में कुछ खास है अनुशासन, जूनून और जिद। मुश्किल हालात में भी उसने हार नहीं मानी और अपनी पहचान बनाई।”
भाई-बहन कमलेश, रवि और शुभम की खुशी का ठिकाना नहीं है। उनकी बहन आज लाखों लड़कियों के लिए मिसाल बन चुकी है।
गांव वाले झूम रहे हैं, हर कोई उनके घर जाकर बधाई दे रहा है। सोशल मीडिया पर बबीता की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, और हर पोस्ट में एक ही संदेश है “बबीता जैसी बेटियां ही असली चैंपियन होती हैं।”
बबीता की कहानी सिर्फ जीत की नहीं, बल्कि एक छोटे से गांव से निकलकर पूरी दुनिया में चमकने की है। सीमित संसाधनों के बीच पले-बढ़ी यह बेटी अब उन हजारों लड़कियों की प्रेरणा बन चुकी है, जो बड़े सपने देखती हैं और उन्हें सच करने की हिम्मत भी रखती हैं। बबीता की कहानी हम सबके लिए एक सबक है कि कोई सपना बड़ा नहीं होता, बस मेहनत और दिशा सही होनी चाहिए। खेतों की पगडंडियों से शुरू हुआ ये सफर अब भारत के लिए गौरव का प्रतीक बन चुका है।
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