Bangladesh violence: बीते कुछ महीना में बांग्लादेश में कई प्रकार की हिंसा देखने को मिली। जहां एक धर्म विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। इसमें चिन्मय कृष्ण दास जैसे लोगों का नाम भी सामने आया। यहां की हिंसा ने दुनिया भर में रह रहे हिन्दुओ को प्रभावित किया है। और कहीं ना कहीं इसका असर भारतीय राजनीति पर देखने को भी मिला है। सबसे ज्यादा असर पश्चिम बंगाल में देखा जा सकता है। आपको बता दें बांग्लादेश और भारत के बीच 4,367 किलोमीटर भूमि बॉर्डर है और यह बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा का 94% है। इसी में बांग्लादेश की 2216 किलोमीटर सीमा भारत के पश्चिम बंगाल से लगती है। ऐसे में अगर कुछ भी बांग्लादेश में होता है या किसी भी तरह की अस्थिरता बांग्लादेश में होती है तो उसका सीधा प्रभाव पश्चिम बंगाल पर पड़ता ही है। ऐसे में जानते हैं बांग्लादेश में इस अस्थिरता का पश्चिम बंगाल की राजनीति पर क्या असर पड़ रहा है।
Bangladesh violence: पश्चिम बंगाल की राजनीति पर क्या प्रभाव?
Bangladesh violence: बांग्लादेश में हो रही ऐसी हिंसा और हिंसा प्रदर्शनों के बीच भारत और बांग्लादेश के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी हो है जिसका सियासी असर भी पश्चिम बंगाल में देखने को मिल रहा है। आपको बता दे पश्चिम बंगाल की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा इस मामले में बहुत आक्रामक दिखाई दी। वहीं भाजपा और उसके समर्थको ने और उसके सहायक डालो ने कोलकाता में बांग्लादेश के उप उच्चायोग के बाहर जम कर विरोध प्रदर्शन किया। इन सभी घटनाओं के बीच दोनों ही देश के मध्य एक विश्वास उत्पन्न हो चुका है और इसका सीधा असर बंगाल में देखा गया पिछले महीने बांग्लादेश के चटगांव में इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास को हिरासत में ले लिया गया वहीं इस गिरफ्तारी के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुभेंदू अधिकारी ने धमकी भरा बयान देते हुए कहा था कि अगर चिन्मय कृष्ण दास को रिहा नहीं किया जाएगा तो अब पेत्रापोल के जरिए भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले सभी कारोबार बंद कर दिए जाएंगे। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के ही भाजपा के नेता और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने भी यह बयान दिया था कि भारत अगर चाहे तो बांग्लादेश को आर्थिक रूप से तोड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर इन सभी के बीच त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बांग्लादेश के उच्चायोग में लोग घुस गए और वहां जाकर बहुत तोड़फोड़ की। बांग्लादेश ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
Bangladesh violence: व्यायसायिक प्रभाव
Bangladesh violence: बांग्लादेश और भारत के मध्य इस बिगड़े हुए संबंध के बीच इसका असर व्यावसायिक रूप से भी देखा जा सकता है। आपको बता दे बांग्लादेश के लिए कोलकाता उनका सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल माना गया है। लेकिन पिछले कुछ महीनो में बांग्लादेश से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी देखी गई है। 2 दिसंबर को भारत के पर्यटन मंत्रालय ने लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि 2023 में बांग्लादेश के 21 लाख 19 हजार पर्यटक भारत आए थे। वहीं 2024 में अगस्त महीने तक 12 लाख 50 हजार बांग्लादेशी पर्यटक भारत में यात्रा करने के लिए आए थे। पिछले साल जुलाई और अगस्त महीने की अगर तुलना की जाए तो इसका इन दो महीना में बांग्लादेश से भारत आने वाले यात्रियों की संख्या में गिरावट देखी गई है।
Bangladesh violence: भाजपा धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है ?
Bangladesh violence: वही इन सब के बीच टीएमसी नेताओं के यह भी बयान आए हैं कि भाजपा पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश के नाम पर धार्मिक ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर रही है। कोलकाता के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक निर्मलिया मुखर्जी ने कहा कि “भाजपा ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है लेकिन उसे कामयाबी नहीं हासिल होगी। भाजपा के शुरू से ही प्रयास रहे हैं कि पश्चिम बंगाल के हिंदुओं को अपने पक्ष में लाया जाए या उन्हें अपने पीछे लामबंद कर ले। लेकिन यह अब तक संभव नहीं हो पाया है। बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर प्रदेश भाजपा को अपनी सरकार से पूछना चाहिए ना की ममता बनर्जी से”।
हालांकि आपको बता दे प्रदेश की भाजपा नेता वैशाली डालमिया ने कहा कि भाजपा बांग्लादेश के हिंदुओं की चिंता कर रही है और किसी ध्रुवीकरण के लिए भाजपा ने ऐसा कुछ भी कदम नहीं उठाया”।
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