सोमवार को हुए चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ विधायक और गया टाउन से नौ बार के विजेता डॉ. प्रेम कुमार को निर्विरोध तथा सर्वसम्मति से बिहार विधानसभा का अगला अध्यक्ष चुन लिया गया।
बिहार की नई सरकार के गठन के साथ ही Bihar Assembly Speaker को लेकर उत्पन्न सस्पेंस खत्म हो गया है। सोमवार को हुए चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ विधायक और गया टाउन से नौ बार के विजेता डॉ. प्रेम कुमार को निर्विरोध तथा सर्वसम्मति से बिहार विधानसभा का अगला अध्यक्ष चुन लिया गया। घोषणा होते ही सदन तालियों और नारों से गूंज उठा। “हर हर महादेव” और “जय श्री राम” के उद्घोष ने पूरा माहौल उत्साहपूर्ण बना दिया।
गीता के श्लोक से की शुरुआत, सबको साथ लेकर चलने का वादा
Bihar Assembly Speaker के रूप में पहली बार सदन को संबोधित करते हुए डॉ. प्रेम कुमार ने अपनी बात की शुरुआत भगवद गीता के एक श्लोक से की। उन्होंने सभी सदस्यों को धन्यवाद देते हुए कहा “आप सभी ने सर्वसहमति से मुझे चुना, इसके लिए मैं आभारी हूं। अध्यक्ष के रूप में मेरा कर्तव्य है कि सदन की गरिमा को बनाए रखते हुए सभी सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करूं। विचारों की विविधता हमारी ताकत है, और इसी विविधता के बीच संवाद को बढ़ावा देना ही हमारी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है। मेरे लिए सरकार और विपक्ष दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।”
उनके इस वक्तव्य को सत्ता और विपक्ष दोनों ही पक्षों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।
नीतीश–तेजस्वी ने Bihar Assembly Speaker को दिया सम्मान
चुनाव के तुरंत बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव खुद डॉ. प्रेम कुमार को अध्यक्ष की कुर्सी तक लेकर गए और उन्हें बैठाकर बधाई दी। यह दृश्य सदन में दुर्लभ और सौहार्दपूर्ण माहौल का प्रतीक रहा।
सीएम नीतीश कुमार ने पूरे सदन की ओर से उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रेम कुमार के अनुभव और संतुलित स्वभाव से विधानसभा की कार्यवाही और अधिक सुव्यवस्थित और प्रभावी होगी।
गया टाउन के अपराजेय नेता, लगातार नौवीं जीत
डॉ. प्रेम कुमार का राजनीतिक सफर बिहार की राजनीति में एक मिसाल माना जाता है। 1990 से अब तक लगातार नौ बार विधायक चुने जाना उनकी लोकप्रियता और क्षेत्र पर मजबूत पकड़ का प्रमाण है।
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने गया टाउन सीट पर एक बार फिर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। कांग्रेस उम्मीदवार अखौरी ऑनकार नाथ को 26,423 वोटों के विशाल अंतर से हराकर उन्होंने इस सीट पर अपना प्रभुत्व फिर साबित किया। उन्हें कुल 90,878 वोट मिले, जो उनके प्रति जनता के अटूट भरोसे को दर्शाते हैं।
2025 की जीत के बाद उनका राजनीतिक कद और बढ़ गया और इसी निरंतर जीत व भरोसे की वजह से वे विधानसभा अध्यक्ष पद के सबसे मजबूत दावेदार के रूप में उभरे।
लंबा और प्रभावशाली प्रशासनिक अनुभव
69 वर्षीय डॉ. प्रेम कुमार न सिर्फ सफल विधायक बल्कि अनुभवी प्रशासक भी हैं। वे बिहार सरकार में कई अहम मंत्रालयों की ज़िम्मेदारी संभाल चुके हैं, जिनमें कृषि विभाग, पशुपालन व मत्स्य संसाधन विभाग, सहकारिता विभाग, पर्यटन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग, पर्यावरण एवं वन विभाग शामिल है।
इन विभागों में उनकी कार्यशैली को लेकर आम धारणा यह रही है कि वे कम बोलते हैं लेकिन प्रभावी ढंग से काम करते हैं। कृषि एवं पशुपालन विभाग में उनके कार्यकाल को विशेष रूप से याद किया जाता है, जब उन्होंने सूखे और बाढ़ की परिस्थितियों में किसानों के लिए योजनाओं को तेज़ी से लागू कराया।
व्यक्तिगत जीवन और कार्यशैली
राजनीति में आने से पहले उन्होंने मगध विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की और सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे। वे सरल जीवन शैली, समय के पाबंद और शांत स्वभाव के लिए जाने जाते हैं।
सहयोगी विधायक अक्सर बताते हैं कि वे सदन में बहस के दौरान संयम नहीं खोते और तर्क व नियमों के आधार पर बात रखने में विश्वास करते हैं। यही गुण उन्हें अध्यक्ष पद के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
Bihar Assembly Speaker के रूप में क्या होंगे उनके सामने प्रमुख चुनौतियाँ?
बिहार विधानसभा पिछले कुछ वर्षों में कई बार हंगामों और कार्यवाही बाधित होने का गवाह रहा है। ऐसे में डॉ. प्रेम कुमार के सामने कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ होंगी
सदन की मर्यादा और अनुशासन बनाए रखना
सरकार व विपक्ष के बीच संवाद को संतुलित रखना
नए विधायकों को संसदीय प्रक्रियाओं से परिचित कराना
महत्वपूर्ण विधेयकों पर सार्थक बहस सुनिश्चित कराना
उनके अनुभव को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि वे इन चुनौतियों को संभालने में सफल रहेंगे।
नए अध्याय की शुरुआत
निर्विरोध चुनाव, सर्वदलीय समर्थन और सदन में दिखाई दी सार्थक एकजुटता ये सभी संकेत हैं कि बिहार में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के प्रति एक सकारात्मक माहौल बन रहा है।
Bihar Assembly Speaker के रूप में डॉ. प्रेम कुमार का कार्यकाल अब शुरू हो चुका है, और उनके नेतृत्व में सदन की कार्यवाही अधिक सुचारु, अनुशासित और जनहित-केंद्रित होने की उम्मीद जताई जा रही है।
