Bihar Assembly Speaker Finalised: NDA ने चुना अनुभवी चेहरा, 1 दिसंबर को होगी औपचारिक घोषणा
Bihar Assembly Speaker Finalised: बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर कई दिनों से जारी राजनीतिक अटकलें आखिरकार खत्म हो गई हैं। एनडीए (NDA) की सहयोगी पार्टियों के बीच लंबी चर्चा और रणनीतिक बैठकों के बाद अध्यक्ष पद के लिए एक नाम पर अंतिम मुहर लग चुकी है। अब पूरा राजनीतिक गलियारा 1 दिसंबर का इंतजार कर रहा है, जब शीतकालीन सत्र के पहले दिन औपचारिक चुनाव संपन्न होगा।
NDA में बनी सहमति: अनुभवी विधायक के नाम पर मोहर
सूत्रों के अनुसार, एनडीए ने ऐसे नेता को चुना है जिनकी विधानसभा और विधायी कार्यों पर मजबूत पकड़ है। कई बार के विधायक, वरिष्ठता, संतुलित छवि और सदन की कार्यशैली की गहरी समझ—ये चारों कसौटियाँ उन्हें बाकी नामों से अलग करती हैं।
एनडीए खेमे में संकेत बेहद स्पष्ट हैं कि अनुभवी बीजेपी नेता प्रेम कुमार इस बार बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष बनने जा रहे हैं।
वे गया टाउन से लगातार 9 बार विधायक चुने जा चुके हैं, और विधानसभा संचालन का लंबा अनुभव रखते हैं।
क्यों था अध्यक्ष पद को लेकर सस्पेंस?
आने वाले महीनों में बिहार विधानसभा में कई बड़े विधायी प्रस्ताव पेश होने वाले हैं। ऐसे में सरकार को एक ऐसे अध्यक्ष की आवश्यकता थी जो—
- सदन को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से चला सके
- विधायी प्रक्रिया में तेजी ला सके
- विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच संतुलन बनाए रख सके
इसी वजह से जेडीयू–भाजपा के बीच कई दौर की बातचीत चली और अंततः अनुभव को ही सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।
1 दिसंबर को नामांकन और औपचारिक चुनाव
नियमों के मुताबिक अध्यक्ष पद के लिए 1 दिसंबर को नामांकन दाखिल किए जाएंगे।
लेकिन चूंकि सत्ताधारी एनडीए खेमे में एकमत सहमति बन चुकी है, इसलिए पूरा चुनाव केवल एक औपचारिक प्रक्रिया हो सकता है।
विपक्ष भी इस मुद्दे पर अभी तक कोई बड़ा संकेत नहीं दे रहा है।
NDA के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह पद?
बिहार विधानसभा अध्यक्ष का पद हमेशा से राजनीति में रणनीतिक शक्ति केंद्र माना जाता है।
स्पीकर के हाथ में—
- सदन की कार्यवाही
- विधेयकों पर नियंत्रण
- विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच संतुलन
- अनुशासनात्मक कार्रवाही
जैसे अहम अधिकार होते हैं।
बीते वर्षों में यह पद अक्सर भाजपा के पास रहा है, और इस बार भी यही परंपरा कायम रहने के संकेत हैं।
एनडीए इसे अपनी संगठनात्मक मजबूती के प्रतीक के रूप में देख रहा है।
प्रेम कुमार पर क्यों ठहरी नजरें?
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, प्रेम कुमार की चयन की प्रमुख वजहें:
9 बार विधायक रहने का रिकॉर्ड
सदन की प्रक्रिया, नियमों और संचालन की गहरी समझ
विवादों से दूर संतुलित छवि
विभिन्न दलों के साथ बेहतर संबंध
सरकार को उम्मीद है कि उनकी अनुभव-सम्पन्न नेतृत्व क्षमता आगामी सत्रों में बड़ी राहत देगी।
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