बैठक छोड़ दिल्ली से लौटे तेजस्वी यादव
Bihar election को लेकर सीटो के बटवारे पर महागठबंधन में टकराव बढ़ गई है। तेजस्वी यादव सोमवार को कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक से यह बोलकर निकल गए कि ऐसे हालात में गठबंधन आगे नहीं बढ़ सकता। वह राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात किए बगैर ही वापस पटना लौट गए।
सीट शेयरिंग पर महागठबंधन में रार
Bihar election को लेकर महागठबंधन में सीट शेयरिंग का पेंच अभी तक उलझा हुआ है। विधानसभा सीटों को लेकर महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं राजद और कांग्रेस के बीच तनातनी जारी है। एक ओर जहां कांग्रेस को दिए गए ऑफर पर तेजस्वी यादव अड़े हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस के नेताओं से कड़े मोलभाव का निर्देश देने की बात की। दोनों ही राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं की दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठक भी बेनतीजा साबित हुई।
सूत्रों की माने तो कांग्रेस के नेताओं से तेजस्वी यादव ने यह साफ-साफ कह दिया कि मौजूदा हालात में गठबंधन को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। तेजस्वी यादव ने कहा “देखेंगे और जवाब देंगे” और बैठक से बाहर निकल गए। हैरानी की बात यह है कि तेजस्वी यादव, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात किए बिना ही पटना के लिए रवाना हो गए।
इन सीटों पर फसा है पेंच
Bihar election के लिए कुछ महत्वपूर्ण सीटों पर पेच फंसा हुआ है। जिनके नाम है, कहलगांव, नरकटियागंज, वारिसलीगंज, चैनपुर और बछवाड़ा। आपको बता दें कि कहलगांव विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस ने साल 2015 तक 9 बार इस सीट पर कब्जा जमा कर रखा। जबकि नरकटियागंज पर कांग्रेस की नजर इसलिए है क्योंकि वहां मुस्लिम आबादी अधिक है और यहां का सामाजिक समीकरण भी कांग्रेस के आकर्षण का एक मुख्य कारण है। तो वही वारिसलीगंज सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी को 2020 में करीबी अंतर से हार मिली थी। हलाकि चैनपुर और बछवारा को छोड़कर बाकी सीटों पर सहमति नहीं बन पाई।
मुकेश सहनी को लेकर क्यों सतर्क हैं तेजस्वी ?
तेजस्वी यादव विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और मुकेश सहनी की गतिविधियों को लेकर सतर्क दिख रहे हैं। राजद सूत्रों के अनुसार तेजस्वी को लगता है कि मुकेश सहनी भरोसेमंद नहीं है, उनकी मांग अधिक है। तेजस्वी विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख नेता से नाराज बताए जा रहे हैं। इसके पीछे का कारण राजद की 10 मजबूत सीटों पर पहले ही पार्टी सिंबल दे देना है। जिससे भ्रम की स्थिति बन रही है। हालांकि यह भी कयास लगाया जा रहे थे कि सहनी भाजपा के साथ लॉबिंग कर रहे है।
सीट शेयरिंग पर राहुल की दो टूक
हाल ही में राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस के नेताओं के साथ एक बैठक की थी। जिसमें राहुल गांधी ने सीटों को लेकर मोल भाव की पूरी जिम्मेदारी बिहार कांग्रेस के नेताओं को सौपी थी। उनका कहना था कि “ऐसी सीट ना छोड़ी जाए जहां पर पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।” राहुल गांधी ने नेताओं से दो टूक कहा था कि सीट 60 हो या कुछ और, ऐसी स्थिति से बचना जरूरी है जिसमें बड़ी तादाद मे सीटें गवानी पड़े।
खड़गे की नसीहत- जल्द सुलझाए मामला
हालांकि 13 अक्टूबर की देर रात तक Bihar election को लेकर कांग्रेस के नेताओ ने विचार विमर्श किया। राजद की तरफ से सकारात्मक जवाब ना मिलने के कारण कांग्रेस का प्लान बी भी तैयार है। बिहार कांग्रेस के नेताओं ने मल्लिकार्जुन खड़गे और कैसी वेणुगोपाल से भी बातचीत की और कांग्रेस अध्यक्ष से सीटों पर तेजस्वी यादव से बात करने का आग्रह किया। तो वहीं खड़गे ने भी बिहार कांग्रेस के नेताओं को ये नसीहत दी के तेजस्वी यादव से संपर्क करें और इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाए।
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