
Bihar Politic: बिहार में होने वाले चुनाव के लिए सियासत अभी से अपने चरम पर है। कांग्रेस ने पहले बिहार के चुनाव मैदान में अकेले उतरने के कई हिंट दिए थे लेकिन जल्द ही यह साफ भी कर दिया कि वह महागठबंधन के साथ ही बिहार में चुनाव लड़ेंगे। यह तो जाहिर है की महागठबंधन में राजद के साथ चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस को लालू यादव और तेजस्वी यादव की शर्तों को मानना पड़ेगा और शर्तों में मुख्य फैक्टर है राहुल गांधी के पसंदीदा नेता कन्हैया कुमार और पुनिया से सांसद पप्पू यादव।
Bihar Politic: कन्हैया के लिए बहुत आगे तक जा सकते हैं राहुल गांधी
खबर है कि राहुल गांधी पटना के बाद कन्हैया कुमार का समर्थन करने के लिए बेगूसराय भी पहुंच सकते हैं। कन्हैया कुमार फिलहाल कांग्रेस की “पलायन रोको, नौकरी दो” यात्रा पर निकले हुए हैं और अपने तीसरे दौरे में राहुल गांधी महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह की याद में श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में संविधान सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी मुलाकात करेंगे।
एक रिपोर्ट के अनुसार पटना से राहुल गांधी बेगूसराय जा सकते हैं। खबर यह भी है कि राहुल गांधी का हेलीकॉप्टर उतरने के लिए स्थानीय प्रशासन से इजाजत भी मिल चुकी है। आपको बता दे कि कन्हैया कुमार बेगूसराय के मूल निवासी हैं और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं लेकिन भाजपा के उम्मीदवार गिरिराज सिंह ने कन्हैया कुमार को करारी मात दी थी।
Bihar Politic: बिहार में कांग्रेस का जातीय समीकरण
राहुल गांधी बिहार दौरे से पहले 4 अप्रैल को बिहार कांग्रेस के जिला अध्यक्षों से भी मिल सकते हैं जो दिल्ली पहुंच रहे हैं। 1 अप्रैल को राहुल गाँधी ने कांग्रेस के नेतृत्व में बिहार में 40 अध्यक्षों की नियुक्ति का ऐलान किया था। इसमें स्वर्ण नेताओं को हटाकर बिहार कांग्रेस की कमान दलित चेहरे राजेश कुमार को देने के बाद संगठन में स्वर्ण का दबदबा फिर से देखने को मिला है। नवनिर्वाचित जिला अध्यक्ष में बाकियों के तुलना में दलितों की संख्या काफी कम है।
Bihar Politic: किस जाति के कितने जिलाध्यक्ष
आपको बता दे कि बिहार के 40 जिला अध्यक्षों की लिस्ट में 21 नए चेहरे को मौका मिला है। 19 जिला अध्यक्षों को दोबारा जगह दी गई ह। जातियों की बात करें तो सबसे ज्यादा 14 स्वर्ण जिलाअध्यक्ष बनाए गए हैं। सवर्ण नेताओ में भी छह भूमिहार, छह ब्राह्मण, छह राजपूत और एक कायस्थ है। स्वर्ण के बाद दूसरे नंबर पर है ओबीसी का। 10 जिला अध्यक्ष पिछड़े वर्ग के बनाए गए हैं। जिनमें पांच यादव, तीन कुशवाहा और दो कुर्मी। वही अल्पसंख्यकों की बात करें तो 7 अल्पसंख्यकों को अवसर दिया गया है। जिसमें 6 मुसलमान और एक सिख कांग्रेस नेता भी शामिल है। लेकिन सिर्फ पांच दलित नेताओं को ही जिला अध्यक्ष बनाया गया है।
Bihar Politic: कृष्णा अल्लावरू बोले “सब ऑल इज वेल है”
बिहार में कन्हैया कुमार की भूमिका सिर्फ कैम्पेन और पदयात्राओं तक ही सीमित नहीं मालूम पड़ती। वरना राजद और कांग्रेस में समझौते का सवाल ही पैदा नहीं होता। वैसे कांग्रेस की ओर से तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री पद का चेहरा होना मंजूर न किया जाना कई संकोचो को जन्म दे रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा कांग्रेस नेता की उपस्थिति में ही बताया गया था। और राहुल गांधी ने एंडोर्स भी कर दिया था। बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्ण अल्लावरु ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि “अभी हम चुनाव और जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित रखेंगे, महागठबंधन में अभी सीटों पर चर्चा नहीं हुई है। बातचीत शुरू होने पर आप लोगों को जानकारी दे दी जाएगी। सब ऑल इज वेल है।”
आएं और आरम्भन्यूज़ पर पढ़ें राजनीति, खेल, मनोरंजन, टेक्नोलॉजी, शिक्षा/रोजगार, देश बिदेश, जयोतिष, सवास्थ्य, VIRAL खबरे और शिक्षा/ रोजगार से जुड़ी ताज़ा खबरें—आपके हर पसंदीदा विषय की सटीक जानकारी, एक ही जगह!”