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Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे की प्रक्रिया में बड़े बदलाव, वंशावली की अनिवार्यता समाप्त

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बिहार में जमीन सर्वेक्षण का कार्य तेजी से प्रगति पर है। पहले यह काम काफी जटिल माना जाता था, लेकिन अब राजस्व विभाग ने इसे सरल और सुविधाजनक बना दिया है। रैयतों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए नियमों में लगातार सुधार किया जा रहा है। इसी क्रम में अब एक अहम बदलाव किया गया है। अब जमीन सर्वेक्षण के लिए आवेदन करते समय वंशावली जमा करने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है।

बिना वंशावली भी कर सकते हैं आवेदन

पहले जमीन सर्वे के आवेदन के साथ वंशावली जमा करना जरूरी था, लेकिन अब बिना वंशावली के भी आवेदन किया जा सकता है। हालांकि, सर्वेक्षण की प्रक्रिया पूरी कराने के लिए वंशावली की जरूरत होगी। जब अमीन जमीन का दखल और नापी करने आपके खेत पर जाएंगे, तब वंशावली की प्रतिलिपि उन्हें देनी होगी। इसके बाद ही सर्वे का कार्य आगे बढ़ सकेगा।

सर्वे की फाइनल रिपोर्ट में यदि किसी प्रकार की त्रुटि होती है, तो रैयतों को दावा-आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार दिया गया है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है।

समय सीमा में दी गई राहत

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने न केवल दस्तावेजी प्रक्रिया को सरल बनाया है, बल्कि समय सीमा में भी बदलाव किए हैं। अब रैयतों को विभिन्न कार्यों के लिए अधिक समय मिलेगा।

  • गांवों का मानचित्र तैयार करने की समय सीमा: 30 दिन से बढ़ाकर 90 दिन।
  • खानापुरी पर्चा वितरण की समय सीमा: 15 दिन से बढ़ाकर 30 दिन।
  • दावा-आपत्ति दर्ज करने का समय: 30 दिन से बढ़ाकर 60 दिन।

मार्च 2024 तक सभी रैयतों के लिए आवेदन करना अनिवार्य होगा, ताकि 1 अप्रैल से सर्वेक्षण का कार्य शुरू किया जा सके। आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से उपलब्ध है।

पटना जिले में जमीन सर्वेक्षण की स्थिति

पटना जिले में कुल 1511 राजस्व ग्राम हैं। इनमें से:

  • 41 ग्राम: टोपोलैंड का हिस्सा।
  • 170 ग्राम: नगर निकाय क्षेत्र के अंतर्गत।
  • 1300 ग्राम: इन पर सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है।

जिले में कुल 7 लाख आवेदन अपेक्षित हैं, जिनमें से अब तक लगभग 3 लाख आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जो कुल लक्ष्य का लगभग 40% है।

बिहार में जमीन सर्वेक्षण प्रक्रिया को सरल और समयबद्ध बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वंशावली की अनिवार्यता समाप्त करने और समय सीमा बढ़ाने से रैयतों को काफी राहत मिलेगी। राजस्व विभाग की यह पहल न केवल सर्वेक्षण प्रक्रिया को तेज करेगी, बल्कि रैयतों के हितों की भी रक्षा करेगी।

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