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BPSC Controversy: ‘लाठी-तंत्र’ लोकतंत्र के लिए हानिकारक है, प्रशांत किशोर ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की, तेजस्वी यादव ने सरकार को ‘भ्रष्ट’ बताया

BPSC Controversy: 'लाठी-तंत्र' लोकतंत्र के लिए हानिकारक है, प्रशांत किशोर ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की, तेजस्वी यादव ने सरकार को 'भ्रष्ट' बताया

BPSC Controversy: 'लाठी-तंत्र' लोकतंत्र के लिए हानिकारक है, प्रशांत किशोर ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की, तेजस्वी यादव ने सरकार को 'भ्रष्ट' बताया

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BPSC Controversy: बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (BPSC) की परीक्षा को लेकर राज्यभर में विवाद खड़ा हो गया है। 13 दिसंबर को पटना में बीपीएससी उम्मीदवारों ने परीक्षा में कथित गड़बड़ी के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसमें पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया। इस घटना ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी, और विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने राज्य सरकार की आलोचना की। राजद नेता तेजस्वी यादव और जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी, जिसमें तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को ‘भ्रष्ट’ करार दिया, जबकि प्रशांत किशोर ने राज्य में बढ़ती लाठीचार्ज की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की।

बीपीएससी उम्मीदवारों का विरोध और पुलिस कार्रवाई

13 दिसंबर को पटना में बीपीएससी के उम्मीदवारों ने राज्य के सरकारी दफ्तर के बाहर इकट्ठा होकर परीक्षा के रद्द करने की मांग की। उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि परीक्षा के दौरान गड़बड़ी हुई थी, और यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी नहीं थी। उनका कहना था कि इस परीक्षा में धोखाधड़ी और अनियमितताएं सामने आई थीं, जिससे उनकी मेहनत पर पानी फिर गया।

प्रदर्शनकारियों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखी, लेकिन पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया, जिससे कई छात्र घायल हो गए। पुलिस के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने कानून तोड़ा और इसलिए उन्हें तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया गया। हालांकि, कई नेताओं ने पुलिस की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की और इसे छात्रों के साथ अन्याय करार दिया।

प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया: ‘लाठी-तंत्र’ लोकतंत्र के लिए हानिकारक

जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि पिछले एक या दो सालों में बिहार में लोकतंत्र का रूप ‘लाठी-तंत्र’ में बदल चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि यदि समाज का कोई वर्ग अपनी बात सरकार से शांतिपूर्वक और लोकतांत्रिक तरीके से रखता है, तो सरकार का जवाब लाठीचार्ज होता है।

प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज को दबाना ठीक नहीं है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि छात्रों पर बल प्रयोग बंद किया जाए और छात्रों के अधिकारों की रक्षा की जाए। उन्होंने कहा, “हम छात्रों के खिलाफ बल प्रयोग का विरोध करते हैं। अगर कोई शांति से अपनी बात रख रहा है, तो उस पर लाठीचार्ज का कोई औचित्य नहीं है।”

तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया: नीतीश सरकार को ‘भ्रष्ट’ बताया

बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को ‘भ्रष्ट’ करार दिया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार अब पूरी तरह से भ्रष्टाचारियों के हाथों में है और राज्य में कोई शासन नहीं है। तेजस्वी यादव ने कहा, “यहां कोई सरकार नहीं है… मुख्यमंत्री चुप हैं। जब हमारी सरकार थी, तब युवाओं के चेहरे पर खुशी थी। आज, बस लोगों के शरीर पर ही निशान रह गए हैं (नीतीश कुमार की सरकार के तहत)।”

तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की चुप्पी पर भी सवाल उठाया और यह कहा कि यह सरकार अब भ्रष्ट लोगों की सरकार बन गई है, जो सिर्फ अपनी सत्ता के लिए काम कर रहे हैं, बजाय इसके कि वे बिहार के युवाओं की भलाई के लिए कुछ करें।

लालू यादव की प्रतिक्रिया: पुलिस कार्रवाई की निंदा

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू यादव ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि छात्रों पर लाठीचार्ज करना गलत था। लालू यादव ने कहा, “यह जो हुआ, वह गलत था। छात्रों के साथ ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था।” लालू यादव की इस टिप्पणी से यह स्पष्ट होता है कि विपक्ष इस मुद्दे पर एकजुट है और बिहार सरकार की कार्रवाई को लेकर गंभीर सवाल उठा रहा है।

मद्रास उच्च न्यायालय और विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट की टिप्पणी

वहीं, बीपीएससी परीक्षा के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को लेकर प्रशासन भी सतर्क हो गया है। पटना के विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट एमएस खान ने हिंसा के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी और कहा कि किसी भी प्रदर्शनकारी को निषेध क्षेत्रों में घुसने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, “हमने उकसाने वालों पर नजर रखी हुई है, और जब समय आएगा, तो हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। पुलिस बल पर्याप्त है और किसी को भी कानून तोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”

समाज में बढ़ती असहमति और सरकार की भूमिका

बीपीएससी विवाद और इसके बाद की पुलिस कार्रवाई ने बिहार में बढ़ती असहमति को उजागर किया है। सरकार की नीतियों और उनके कार्यों को लेकर विरोध तेज हो गया है, और यह मुद्दा अब राजनीतिक संघर्ष का रूप लेता जा रहा है। प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं के आरोपों से यह साबित होता है कि राज्य में राजनीतिक असहमति को शांतिपूर्वक समाधान करने की बजाय लाठीचार्ज जैसे उपायों का सहारा लिया जा रहा है।

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