BPSC Exam Controversy: बिहार में रविवार को बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की प्रारंभिक परीक्षा को लेकर छात्रों का विरोध और पुलिस की कार्रवाई ने एक नया मोड़ लिया। सिविल सेवा की तैयारी कर रहे सैकड़ों छात्रों ने पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निवास की ओर मार्च किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पानी की बौछार और लाठीचार्ज का सहारा लिया। छात्रों का आरोप था कि 13 दिसंबर को हुई BPSC की परीक्षा में कई गड़बड़ियां हुईं, जिसके बाद वे परीक्षा के पुनः आयोजन की मांग कर रहे थे।
क्या है मामला?
13 दिसंबर को बिहार के 912 केंद्रों पर आयोजित BPSC प्रारंभिक परीक्षा में 3.8 लाख छात्रों ने भाग लिया था। छात्रों का आरोप है कि कई परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे और जैमर काम नहीं कर रहे थे, और कुछ केंद्रों पर प्रश्न पत्र भी देर से वितरित किए गए थे। इसके अलावा, पटना के एक केंद्र पर परीक्षा अधिकारी के दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई, जिसके बाद वहां की परीक्षा को स्थगित कर दिया गया। बीपीएससी ने इस केंद्र पर परीक्षा को फिर से आयोजित करने का फैसला लिया, लेकिन छात्रों का कहना है कि पूरे राज्य के 912 केंद्रों में हुई गड़बड़ियों के कारण सभी छात्रों के लिए परीक्षा का पुनः आयोजन होना चाहिए।
प्रशांत किशोर ने छात्रों का समर्थन किया
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने छात्रों का समर्थन किया और गांधी मैदान में छात्रों को इकठ्ठा कर सीएम निवास तक मार्च का आयोजन किया। उनका कहना था कि अगर एक ही केंद्र के छात्रों के लिए परीक्षा पुनः आयोजित की जा सकती है, तो सभी छात्रों के लिए यह क्यों नहीं किया जा सकता? वे पटना के जेपी राउंड अबाउट के पास धरने पर बैठ गए, जब पुलिस ने बैरीकेड्स लगाकर उन्हें मुख्यमंत्री निवास की ओर जाने से रोक दिया।
पुलिस की कार्रवाई
प्रशांत किशोर के नेतृत्व में मार्च कर रहे छात्रों को जब पुलिस ने रोकने की कोशिश की, तो स्थिति तनावपूर्ण हो गई। छात्रों ने बैरीकेड्स तोड़ने की कोशिश की और इसके बाद पुलिस ने पानी की बौछार की और लाठीचार्ज किया। पुलिस की कार्रवाई के बाद छात्रों के बीच आक्रोश बढ़ गया और कई छात्र घायल भी हो गए। इस घटना ने बिहार में छात्र विरोधी पुलिस कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
छात्रों की मांग
छात्रों का कहना है कि परीक्षा में गड़बड़ियां सिर्फ एक केंद्र पर नहीं, बल्कि पूरे राज्य में थीं। उनकी मांग है कि पूरे राज्य में हुए परीक्षा संकट के कारण सभी 912 केंद्रों पर परीक्षा का पुनः आयोजन होना चाहिए। छात्रों का आरोप है कि अगर एक केंद्र के छात्रों को राहत दी जा सकती है, तो पूरे राज्य के छात्रों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है? वे चाहते हैं कि BPSC उन्हें न्याय दे और पुनः परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया जाए।
बीपीएससी का रुख
बीपीएससी ने अब तक सिर्फ पटना के एक केंद्र के छात्रों के लिए परीक्षा को पुनः आयोजित करने का निर्णय लिया है, जहां पर एक परीक्षा अधिकारी की मृत्यु हो गई थी। हालांकि, बीपीएससी ने इस मामले में कोई और स्पष्ट बयान नहीं दिया है। छात्रों का कहना है कि इस फैसले से बाकी 3.8 लाख छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है।
प्रशांत किशोर का बयान
प्रशांत किशोर ने छात्रों के पक्ष में बोलते हुए कहा, “अगर एक केंद्र के छात्रों के लिए परीक्षा को पुनः आयोजित किया जा सकता है, तो अन्य केंद्रों के छात्रों के लिए यह निर्णय क्यों नहीं लिया जा सकता? सभी छात्रों को समान अवसर मिलना चाहिए।” उन्होंने कहा कि इस आंदोलन के माध्यम से वे छात्रों की आवाज उठाएंगे और उन्हें उनका हक दिलवाएंगे।
BPSC Exam Controversy राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
प्रशांत किशोर के इस आंदोलन के बाद राजनीति में भी हलचल मच गई है। जहां एक ओर छात्रों और प्रशांत किशोर ने BPSC के फैसले को लेकर सरकार को घेरा है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों ने भी इसे अपने फायदे के लिए उठाने की कोशिश की है। यह मामला बिहार की शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है।
समाज में गुस्से की लहर
पुलिस की लाठीचार्ज और छात्रों पर किए गए अन्यायपूर्ण व्यवहार ने समाज में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। छात्रों का कहना है कि उनकी भविष्यवाणी और करियर से जुड़ी यह परीक्षा एक सुनहरा अवसर थी, लेकिन परीक्षा में हुई गड़बड़ियों ने उनके सारे सपने चकनाचूर कर दिए हैं। उन्हें लगता है कि अगर उनकी बातों को सुना जाता और उनकी मांगों पर विचार किया जाता, तो शायद इस स्थिति से बचा जा सकता था।
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