
अगले प्रधानमंत्री होंगे मार्क कार्नी
Canada PM 2025 जस्टिन ट्रुडो की जगह मार्क कार्नी कनाडा के अगले पीएम होंगे। देर रात लिबरल पार्टी ने उन्हें अपना नेता चुन लिया है। कार्नी को 85.9% वोट मिले हैं। वह पहले ऐसे कनाडाई प्रधानमंत्री होंगे जिनके पास विधायकी या कैबिनेट का अनुभव नहीं है। इस फैसले से पहले जस्टिन ट्रूडो ने पार्टी और अपने समर्थकों को संबोधित किया और कहां मुझे गलत मत समझिए, पिछले 10 वर्षों में हमने जो कुछ भी किया है मुझे उसे पर गर्व है। लेकिन आज की रात एक पार्टी के रूप में, एक देश के रूप में हमारा भविष्य के बारे में है।
Canada PM 2025 के जस्टिन ट्रूटों ने संबोधन में क्या कहा
ट्रुडो ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि “आप सक्रिय बने रहें। इस वक्त आपके देश को आपकी जरूरत पहले से भी कहीं अधिक है। लिबरल पार्टी इस पल का सामना करेगी। यह वक्त नेशन डिफाइनिंग मोमेंट है। लोकतंत्र और स्वतंत्रता के लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए साहस, बलिदान, उम्मीद और कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी सभी बड़ी सफलताओं पर ध्यान नहीं देना चाहिए इसके बजाए हमें अगले 10 सालों और आने वाले दशकों में और ज्यादा सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित होना होगा।
कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यह भी कहा “हमें दृढ़ विद्रोही और एकजुट रहना चाहिए। हमें सिर्फ अपनी पार्टी के बारे में ही नहीं बल्कि देश के प्रति अपने प्यार को साबित करना चाहिए।”
कौन है मार्क कार्नी
मार्क कार्नी इकोनॉमिक्स और पूर्व केंद्रीय बैंकर रह चुके हैं। उन्हें 2008 में बैंक ऑफ़ कनाडा का गवर्नर नियुक्त किया गया था। कनाडा को मंदी से बाहर निकालने में उन्होंने एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उन्होंने जो कदम उठाए उसकी वजह से 2013 में बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में उन्हें गवर्नर बनने का मौका दिया गया। इंग्लैंड के 300 वर्ष के इतिहास में वह पहले ऐसे गैर ब्रिटिश नागरिक थे जिन्हें यह जिम्मेदारी सौपी गयी। मार्क कार्नी 2020 तक इससे जुड़े रहे।
मार्क करनी ट्रंप के समर्थक नहीं
कई वोटर्स का ऐसा मानना है कि मार्क कार्नी की आर्थिक योग्यता और उनका संतुलित स्वभाव ट्रम्प को साधने में सहायता करेगा। आपको बता दे मार्क कार्नी लिबरल पार्टी के ट्रम्प विरोधी सदस्य हैं। उन्होंने देश की इस हालात का जिम्मेदार ट्रम्प को ही ठहराया है। बीते मंगलवार को एक बहस के दौरान उन्होंने कहा कि ट्रम्प की धमकियों से पहले ही देश की हालत नाजुक हो चुकी है। बहुत से कनाडाई बदत्तर जीवन जी रहे हैं और प्रवासियों की संख्या बढ़ने से देश की हालत और खराब हो गई है।
मार्क अपने विरोधियों की तुलना में अपने कैंपेनिंग को लेकर अधिक सतर्क नजर आते हैं। प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के बाद मार्क कार्नी ने अभी तक कोई आधिकारिक इंटरव्यू नहीं दिया है। वे ट्रम्प के विरोधी है लेकिन कनाडा को अमेरिका का 51वा राज्य बनने और देश पर टैरिफ लगाने वाले ट्रम्प के धमकी भरे बयान को लेकर कुछ कहने से भी बच रहे हैं।
ट्रंप के टैरिफ लगाने वाले बयान पर क्या बोले कार्नी
आपको बता दे हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा पर 25 % टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इसके बाद मार्क करनी का एक बयान सामने आया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि कनाडा किसी दबंग के आगे झुकेगा नहीं। हम चुप नहीं बैठेंगे। हम एक मजबूत रणनीति बनाएंगे जिससे निवेश बढ़े और हमारे कामगारों को इस मुश्किल समय में सहायता प्राप्त हो सके।
ज्यादा दिनों तक पीएम रहने की संभावना नहीं
पिछले वर्ष जुलाई में एक पोलिंग फॉर्म में जस्टिन ट्रुडो की जगह लेने वाले संभावित उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी की गयी थी। तब 2000 में से सिर्फ 140 लोग यानी 7% लोग ही मार्क कार्नी को पहचान पाए थे। जनवरी में कार्नी को लिबरल पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर प्रस्तुत किया। इसके बाद उन्होंने लिबरल पार्टी की कई कैबिनेट मंत्री और सांसदों का समर्थन अपने पक्ष में किया जिससे उनकी दावेदारी बेहद मजबूत हुई ।
हालांकि यह कहना मुश्किल होगा की कार्नी कितने समय तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे। दरअसल, लिबरल पार्टी के पास संसद में पर्याप्त बहुमत नहीं है। प्रधानमंत्री बनने के बाद कार्नी को अक्टूबर से पहले देश में चुनाव कराने पड़ेंगे। फिलहाल मार्क कार्नी संसद के सदस्य तक नहीं है। ऐसे में वह जल्द ही चुनाव कर सकते हैं।
भारत और कनाडा के रिश्तों को बेहतर बनाएंगे कार्नी
मार्क कार्नी भारत और कनाडा के रिश्तों में आए खटपट को शांत करना चाहते हैं। वह भारत से एक अच्छे रिश्ते की उम्मीद रखते हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि अगर वह कनाडा के प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाते हैं तो भारत के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों में सुधार करेंगे। उन्होंने कहा था कि कनाडा समान विचारधारा वाले देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों में विविधता लाना चाहता और भारत के साथ संबंध को फिर से बेहतर बनाना चाहता है। आपको बता दे कनाडा और भारत के बीच विवाद की सबसे बड़ी वजह खालिस्तानी आतंकियों का मुद्दा है। मार्क कार्नी ने अभी तक कोई सार्वजनिक बयान इस विषय में नहीं दिया है।
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