Chagos Island: भारतीय महासागर क्षेत्र में एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत, यूनाइटेड किंगडम (UK) ने मॉरीशस के साथ 60 साल पुराने संप्रभुता विवाद का समाधान करते हुए Chagos Island पर अपने अधिकारों को मॉरीशस को सौंपने की घोषणा की है।
Chagos Island
यह समझौता ब्रिटेन द्वारा नियंत्रित ब्रिटिश भारतीय महासागर क्षेत्र (BIOT) के तहत आने वाले Chagos Island के अधिकारों को मॉरीशस को हस्तांतरित करेगा। हालांकि, डिएगो गार्सिया द्वीप पर स्थित महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा पूरी तरह ब्रिटेन के नियंत्रण में रहेगा, जो Chagos Island का सबसे दक्षिणी द्वीप है।
यूके के विदेश कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, “मॉरीशस BIOT पर संप्रभुता ग्रहण करेगा, और यूके Diego Garcia पर संप्रभु अधिकारों का प्रयोग करने के लिए अधिकृत रहेगा।”
यह समझौता न केवल क्षेत्रीय विवादों को समाप्त करता है, बल्कि भारतीय महासागर क्षेत्र में सैन्य और राजनीतिक स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जा रहा है। डिएगो गार्सिया द्वीप पर ब्रिटेन और अमेरिका के सामूहिक सैन्य संचालन जारी रहेंगे, जो लगभग 1,800 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित केरल से काफी नजदीक है। भारत ने इस समझौते का स्वागत किया है।
Chagos Island पर ब्रिटेन का नियंत्रण और मॉरीशस का दावा
ब्रिटेन ने 1814 से इस क्षेत्र को नियंत्रित किया है। 1965 में, ब्रिटेन ने Chagos Island को मॉरीशस से अलग कर दिया, जो एक ब्रिटिश उपनिवेश था और 1968 में स्वतंत्र हुआ। Chagos Island को अलग कर ब्रिटिश भारतीय महासागर क्षेत्र (BIOT) का गठन किया गया। इस दौरान, यूके ने अमेरिकी सेना को डिएगो गार्सिया द्वीप पर एक सैन्य अड्डा स्थापित करने की अनुमति दी, जिससे वहां रहने वाले मूल चागोसवासी अपने घरों से विस्थापित हो गए। इसके बाद से ही मॉरीशस ने लगातार Chagos Island पर अपनी संप्रभुता का दावा किया है, जिसे लेकर दोनों देशों के बीच कई दशक तक विवाद चलता रहा।
1970 के दशक में लगभग 1,000 से अधिक चागोसवासियों को जबरन अपने घरों से निकाल दिया गया था, ताकि द्वीप का सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा सके। इसके बाद से ही मॉरीशस ने इस मामले को कई बार अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाया। 1980 में, मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री सेवूसागुर रामगूलाम ने Chagos Island को लौटाने की मांग की, लेकिन ब्रिटेन ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
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अंतर्राष्ट्रीय अदालत और मॉरीशस की जीत
2019 में, मॉरीशस को एक महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई, जब अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने Chagos Island से चागोसवासियों को जबरन निकालने को अवैध और अनुचित ठहराया और ब्रिटेन को द्वीपों से हटने के लिए कहा। इस निर्णय के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में 116 देशों ने इस मामले पर ब्रिटेन के खिलाफ मतदान किया, जिसमें भारत भी शामिल था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ब्रिटेन से Chagos Island को मॉरीशस को सौंपने की मांग की थी, लेकिन इसके बाद भी ब्रिटेन पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाने में तीन साल लग गए।
भारत की भूमिका
भारत ने मॉरीशस के Chagos Island पर दावे का लगातार समर्थन किया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस समझौते का स्वागत करते हुए इसे “मॉरीशस के उपनिवेशवाद के समापन” का प्रतीक बताया। भारत ने इस समझौते में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस वर्ष की शुरुआत में मॉरीशस यात्रा के दौरान मॉरीशस के दावे का समर्थन करते हुए कहा था कि यह उपनिवेशवाद के अवशेषों को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत ने दोनों देशों को इस मुद्दे पर बातचीत करने और आपसी लाभकारी परिणामों तक पहुँचने के लिए प्रोत्साहित किया था। भारत का मानना है कि यह समझौता भारतीय महासागर क्षेत्र में दीर्घकालिक सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा और वैश्विक सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यूके और मॉरीशस की संयुक्त घोषणा में भी भारत के समर्थन और सहयोग की सराहना की गई है।
डिएगो गार्सिया सैन्य अड्डे की रणनीतिक भूमिका
डिएगो गार्सिया सैन्य अड्डा, जो Chagos Island का हिस्सा है, अमेरिकी नौसेना के जहाजों और लंबी दूरी के बमवर्षक विमानों के संचालन के लिए एक महत्वपूर्ण आधार है। यह अड्डा अफ्रीका, पश्चिम एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के महत्वपूर्ण क्षेत्रों तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे इसकी रणनीतिक महत्वता और बढ़ जाती है।
समझौते के तहत, डिएगो गार्सिया में सैन्य संचालन अगले 99 वर्षों तक जारी रहेगा, जिसके लिए यूके वार्षिक भुगतान करेगा और मॉरीशस को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। यह समझौता अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के साथ-साथ भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इस समझौते की सराहना की और इसे एक “स्पष्ट उदाहरण” बताया कि कैसे देश कूटनीति और साझेदारी के माध्यम से लंबे समय से चले आ रहे ऐतिहासिक मुद्दों का शांतिपूर्ण और लाभकारी समाधान कर सकते हैं।
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ब्रिटेन में प्रतिक्रिया
यह समझौता ब्रिटेन की नई लेबर सरकार के लिए एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि है, जो केवल तीन महीने पहले सत्ता में आई है। हालांकि, इस समझौते की आलोचना भी की जा रही है। पूर्व रक्षा सचिव ग्रांट शैप्स ने इसे एक खेदजनक कार्य बताया है, और कंजर्वेटिव नेता टॉम तुगेंदहाट ने इसे “शर्मनाक कदम” कहा है जिससे ब्रिटेन की सुरक्षा कमजोर हो सकती है।
यह समझौता पूर्व कंजरवेटिव सरकार द्वारा शुरू की गई बातचीत के आधार पर हुआ है। पूर्व विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली ने लेबर सरकार को “कमजोर” बताते हुए कहा कि उसने ब्रिटिश क्षेत्र का हिस्सा मॉरीशस को सौंप दिया।
ब्रिटेन द्वारा Chagos Island को मॉरीशस को सौंपने का निर्णय न केवल दोनों देशों के बीच दशकों पुराने विवाद का समाधान है, बल्कि यह भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत ने इस समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसे मॉरीशस के उपनिवेशवाद के अंतिम अध्याय के रूप में देखा जा रहा है।
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